दिवाली के बाद हवा हुई ज़हरीली : AQI ‘खतरनाक’ स्तर पर, नॉएडा-गाज़ियाबाद में घना स्मोग

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AQI(वायु गुणवत्ता सूचकांक): दिवाली के त्योहार के बाद दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में प्रदूषण अपने चरम पर पहुँच गया है। हर साल की तरह दिल्ली, नोएडा और गाज़ियाबाद के कई इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक(AQI) बेहद खतरनाक स्तर पर पहुँच गया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, दिल्ली के कई इलाकों में AQI 400 से भी अधिक हो गया है, जो कि ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है। इसके साथ ही, शहर के ऊपर छाए स्मॉग के कारण लोगों का सांस लेना भी मुश्किल हो गया है।

वायु गुणवत्ता सूचकांक(AQI) का खतरनाक स्तर

दिल्ली, गाजियाबाद और उसके आसपास के क्षेत्रों में दिवाली के तुरंत बाद वायु गुणवत्ता सूचकांक में भारी गिरावट दर्ज की गई। आनंद विहार, वजीरपुर, रोहिणी जैसे कई प्रमुख इलाकों में AQI 400-450 के बीच दर्ज किया गया, जो कि गंभीर श्रेणी में आता है। AQI के इस स्तर पर पहुँचने से हवा में घुला प्रदुषण लोगों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न कर रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि दिवाली के दौरान पटाखों के ज़्यादा उपयोग के चलते प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ा है

गाजियाबाद और नोएडा की स्थिति

गाजियाबाद और नोएडा जैसे इलाकों में भी वायु प्रदूषण ने गंभीर रूप ले लिया है। इन शहरों में घने स्मॉग की चादर छाई हुई है, जिससे दृश्यता काफी कम हो गई है। गाजियाबाद के कुछ इलाकों में तो AQI 450 के ऊपर चला गया है।

AQI के अधिक होने का स्वास्थ्य पर प्रभाव

AQI के इस स्तर पर पहुंचने से सांस लेने में समस्या, आंखों में जलन, और गले में खराश जैसी समस्याएँ आम हो गई हैं। यह प्रदूषण दिल की बीमारियाँ, अस्थमा और फेफड़ों के संक्रमण जैसी बीमारियों को और भी बढ़ावा दे सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस प्रदूषण का असर सबसे ज्यादा बच्चों और बुजुर्गों पर पड़ता है, जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। दिवाली के त्योहार के बाद से ही शहर के कई अस्पतालों में सांस की समस्या से ग्रसित मरीजों की संख्या में वृद्धि देखने को मिली है।

सरकार द्वारा किए गए प्रयास

दिल्ली और कई इलाकों में सरकार ने इस बार दिवाली के त्योहार से पहले पटाखों की बिक्री और उनके उपयोग पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था। इसके बावजूद, कई लोगों ने इस प्रतिबंध का उल्लंघन किया और बड़े पैमाने पर पटाखों का उपयोग किया। सरकार द्वारा चेतावनी दी गई थी कि जो लोग इस नियम का उल्लंघन करेंगे, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी, लेकिन प्रतिबंध को लागू करने में ढील और जागरूकता की कमी के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है।

पराली जलाने का प्रभाव

शहरों में पटाखों के अलावा अन्य प्रदूषण स्रोतों जैसे पराली जलाने का भी असर पड़ता है। हर साल सर्दियों में उत्तर भारत में पराली जलाने की समस्या बढ़ जाती है, जो वायु प्रदूषण को और भी गंभीर बना देती है। पंजाब, हरियाणा, और उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में किसान फसलों के अवशेष जलाते हैं, जिसका धुआं उसके आसपास के क्षेत्रों में आकर प्रदूषण बढ़ाता है। पराली जलाने से निकलने वाला धुआं और प्रदूषक कण हवा में मिल जाते हैं, जिससे वायु गुणवत्ता खतरनाक स्तर पर पहुंच जाती है।

विशेषज्ञों का सुझाव

विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार के साथ-साथ लोगों को भी प्रदूषण कम करने के लिए अपना योगदान देना चाहिए। वायु प्रदूषण की गंभीरता को देखते हुए लोगों को अपने स्तर पर कुछ कदम उठाने की जरूरत है। पटाखों का उपयोग न करने का संकल्प लेना और अपने परिवेश को स्वच्छ रखना आवश्यक है। इसके अलावा, प्रदूषण के प्रति जागरूकता फैलाना भी हमारी व्यक्तिगत जिम्मेदारी होनी चाहिए। लोगों को अपने वाहनों का कम से कम उपयोग करना चाहिए और सार्वजनिक परिवहन का अधिक से अधिक इस्तेमाल करना चाहिए।

भविष्य के लिए सख्त कदमों की आवश्यकता

दिवाली के बाद कई शहरों में प्रदूषण की स्थिति यह दर्शाती है कि अब सरकार को और भी कड़े कदम उठाने की जरूरत है। इसके साथ ही, प्रदूषण फैलाने वाले अन्य कारकों जैसे पराली जलाने और औद्योगिक प्रदूषण पर भी सख्त नियंत्रण की आवश्यकता है।

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