
Ghaziabad Upchunav 2024 की महाभारत में यौद्धाओं के नाम फाइनल होने के बाद बुलंद गाजियाबाद ने लाईन पार क्षेत्र इलाके में सर्वे कराया। उस सर्वे के जो नतीजे सामने आए वो बेहद चोंकाने वाले रहे। यदि 13 नवंबर की बजाय तीन नवंबर को चुनाव हो तो मतदाताओं का कहना है कि बीजेपी अपने अभेघ दुर्ग को बचाने में बिना किसी रुकावट कामयाब हो रही है।
बीजेपी के उम्मीदवार संजीव शर्मा के सामने कोई भी दावेदार फिलहाल चुनौती देने वाली हालत में नहीं हैं। सर्वे के दौरान उसकी सबसे बड़ी वजह सामने निकलकर आई कि बीजेपी को टक्कर देने के लिए किसी भी प्रत्याशी के पास न तो टीम है, न कोई पार्टी बीजेपी की तरह इलाके-इलाके में अब तक प्रचार के लिए उतर पाई है।
यही नहीं बीजेपी के धुर विरोधी माने जाने वाले मुस्लिम समाज में भी अब तक गफलत का माहौल है। वो ये तय नहीं कर पा रहे कि वोट औवेसी के उम्मीदवार को दें या फिर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को और या बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे वैश्य समाज के एकमात्र प्रत्याशी परमानंद गर्ग को। आजाद समाज पार्टी के प्रत्याशी और पके हुए राजनीतिज्ञ सत्यपाल चौधरी के भी धीमे पड़े जनसंपर्क की वजह से असमंजस में हैं।
5 हजार गैर राजनैतिक वोटर्स से की गई बात
बुलंद गाजियाबाद के आठ सहयोगियों ने कई दिन मशक्कत करके सबसे पहले ये पड़ताल की कि कौन लोग हैं जिनका किसी भी राजनैतिक पार्टी से कोई वास्ता नहीं है। ऐसे लोगों को चिंहित करने के बाद उनसे सामान्य बातचीत की गई और उनसे सिर्फ दो सवाल किए। उन दो सवाल के आधार पर हमने ये अनुमान लगाया कि फिलहाल किसी भी प्रत्याशी की ये स्थिति नहीं है कि वो बीजेपी उम्मीदवार के इर्द-गिर्द भी हो।जिससे साफ है कि अभी तक कोई भी ऐसा उम्मीदवार नहीं है जो बीजेपी प्रत्याशी संजीव शर्मा की राह में बाधा भी बन रहा हो।
ये पूछे दो सवाल
पहला सवाल: क्या आप बीजेपी के शासन में सरकारी व्यवस्थाओं से संतुष्ट हैं ?
दूसरा सवाल: क्या कोई उम्मीदवार आपकी निगाह में है जो बीजेपी प्रत्याशी को हरा सकता है या हराने के बाद इलाके में बीजेपी सरकार में विकास के लिए लड़ने वाली हालत में है ?
85% लोग बोले-नहीं
हमारे दोनों ही प्रश्नों का जवाब लाईन पार क्षेत्र के 85 फीसदी लोगों ने नहीं कहकर दिया। यानि उनका मानना था कि बीजेपी सरकार के कार्यकाल से वो संतुष्ट नहीं है। मगर उनकी निगाह में कोई ऐसा उम्मीदवार भी फिलहाल नहीं है जो इस सरकार के कार्यकाल में क्षेत्र के विकास के लिए पुरजोर संघर्ष करके कोई बड़ा बदलाव करा सके।
ये भी पढ़े:
अधिकांश ने कहा-ढाई साल की बात है देखेंगे
हर जाति, हर वर्ग और मुस्लिम संप्रदाय को छोड़कर सभी में अधिकांश लोगों का मत यही था कि केवल ढाई साल की बात है जिन उम्मीदवारों को टिकट मिले हैं, इनमें कोई ऐसा नहीं जो बीजेपी सरकार में लड़कर क्षेत्र का एतिहासिक विकास करा सके। लिहाजा ढाई साल की बात है देखते हैं कि महानगर का बीजेपी का अध्यक्ष कितना इलाके का भला करता है ? कई लोगों ने तो यहां तक कहा कि गैर भाजपाई को जिताकर भी कौन सा ढाई साल में लाईनपार ने सिंगापुर बन जाना है ?
गफलत में फंसा मुस्लिम-दलित समाज
लाईनपार क्षेत्र में इस वक्त सबसे ज्यादा गफलत की स्थिति मुस्लिम और दलित समाज की है। बीजेपी के खिलाफ किस उम्मीदवार को वोट करें, अब तक न तो मुस्लिम ये तय कर पाए हैं और ना ही दलित समाज ये तय कर सका है कि अपनी बिरादरी से खड़े रवि गौतम को सपोर्ट करें या फिर सिंघराज को ? हाथी के चुनाव चिन्ह पर फोकस करके परमानंद गर्ग को जिताने का फैसला लें या फिर आजाद समाज पार्टी की केतली चुनाव चिन्ह से चुनाव लड़ रहे सत्यपाल चौधरी को।