Ghaziabad Bar-Bench Dispute : वकील-जजों की लड़ाई यूपी तक छाई, क्या होगा अंजाम ?

Bar-Bench Dispute

Bar-Bench Dispute: चंद रोज पहले गाजियाबाद की जिला अदालत में हुए वकीलों और जिला जज के बीच के विवाद के बाद जो लाठीचार्ज और तोड़फोड़-आगजनी की घटना हुई थी, उसने बार और बेंच के बीच कई दशक बाद एक बार फिर अचानक ऐसी खाई बना दी है, कि मामला गाजियाबाद से न सिर्फ पूरे यूपी में फेल गया है बल्कि वकील और जजों की संस्थाएं आमने-सामने आ गए हैं।

त्यौहार की छुट्टियों के बाद अपने अपने मसले निबटाने के लिए कोर्ट जाने की सोच रहे लोग कम से कम सोमवार तक तो न जाएं क्योंकि इस विवाद के चलते पूरे यूपी की कचहरियों में काम तो होना नहीं है, उल्टा सिर्फ इसी मुद्दे पर राजनीति होनी है। लिहाजा इंतजार करें और जाने से पहले अपडेट जरूर ले लें।

दरअसल, वकीलों के आरोपों को उनसे जुड़ी बार एसोसिएशन ऑफ उत्तर प्रदेश ने गंभीरता से लेते हुए जहां दोष ज्यूडिशरी पर लगाते हुए जिला जज के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है, वहीं यूपी के न्यायिक अधिकारियों की एसोसिएशन ने भी इस मामले में एकजुटता दिखाते हुए आरोप लगाया है कि न्यायिक अफसरों के साथ बदसलूकी की घटनाएं बढ़ रही हैं। आरोप है कि वकील अपने निजी स्वार्थों के चलते न्यायिक अफसरों से बदसलूकी कर रहे हैं। बेंच की एसोसिएशन ने मांग की है कि इस तरह की घटनाओं का संज्ञान लेते हुए उचित कदम उठाए जाएं। उधर, सोमवार से हड़ताल का ऐलान वकीलों की तरफ से तो पूरे यूपी में है ही।

ऐसे हुई Bar-Bench Dispute की शुरुआत

विवाद की शुरुआत तब हुई जब एक वकील की याचिका को जज ने खारिज कर दिया, जिससे वकीलों में नाराज़गी फैल गई। वकीलों का कहना था कि उनका यह अधिकार है कि वे अपने मुवक्किलों की पैरवी स्वतंत्र रूप से कर सकें। स्थिति इस कदर बिगड़ गई कि वकीलों ने जज के चैंबर का घेराव कर लिया और नारेबाजी शुरू कर दी। पुलिस को बुलाना पड़ा, जिन्होंने स्थिति को काबू में करने के लिए लाठीचार्ज का सहारा लिया। इस दौरान कई वकील चोटिल हो गए और अदालत में स्थिति तनावपूर्ण बनी रही। हालाकि इस दौरान जिला जज औऱ वकीलों के बीच तीखा संवाद भी हुआ जिसे लेकर दोनों पक्ष एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप कर रहे हैं।

गाजियाबाद के वकीलों की ये मांग

इस घटना के बाद गाजियाबाद बार एसोसिएशन की मांग बेहद मायने रखती है, क्योंकि घटना में इसी बार के सदस्य पुलिस की लाठियों के शिकार हुए हैं। लिहाजा ये बताना जरूरी है कि स्थानीय वकीलों की मांग है कि इस मामले में दोषी डीसीपी सहित अन्य पुलिस अफसर और कर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो, जबकि जिला जज को यहां से हटाया जाए। दूसरी तरफ इस मामले में पुलिस की ओर से कई वरिष्ठ अधिवक्ताओं सहित दर्जनों के खिलाफ अपराधिक धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है।

घटना को लेकर सोशल मीडिया पर बवाल

इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसमें वकीलों और पुलिस के बीच की झड़पें साफ नजर आईं। इस वीडियो ने पूरे मामले को और गरमा दिया और वकील समाज के बीच रोष पैदा कर दिया। कई लोग इस घटना को लेकर पुलिस और प्रशासन पर सवाल उठा रहे हैं कि क्या लाठीचार्ज जरूरी था, जबकि कुछ लोगों का मानना है कि कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस का हस्तक्षेप आवश्यक था।

बार-ज्यूडिशियल एसोसिएशन का रुख

वकीलों के इस विरोध प्रदर्शन के बाद बार एसोसिएशन ऑफ उत्तर प्रदेश ने इस मामले में कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि वकील के साथ बदसलूकी का मामला गंभीरता से लिया जाना चाहिए। वहीं, यूपी के न्यायिक अधिकारियों की एसोसिएशन ने भी इस मामले पर एकजुटता दिखाई और जजों के साथ बदसलूकी की घटनाओं में बढ़ोतरी का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि यह मामला सिर्फ गाजियाबाद तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश की अदालतों में यह गूंज रहा है, और न्यायिक प्रणाली में सुधार की जरूरत है।

विरोध-प्रदर्शन, हड़ताल का ऐलान

इस विवाद के चलते वकीलों ने सोमवार से प्रदेशव्यापी हड़ताल की घोषणा की है, जिसका असर यूपी की अन्य कचहरियों पर भी पड़ना तय है। विभिन्न जिलों के वकील बार एसोसिएशन के साथ खड़े हैं और यह मांग कर रहे हैं कि जज के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए। इस मामले ने राजनीतिक रंग भी ले लिया है, जहां कई लोग इसे न्यायपालिका की स्वतंत्रता और वकील समुदाय के अधिकारों से जोड़कर देख रहे हैं।

न्यायिक प्रक्रिया पर असर

इस विवाद के कारण आम जनता जो न्याय पाने के लिए अदालत का रुख करती है, उसकी परेशानियाँ भी बढ़ गई हैं। अदालतों का कामकाज ठप है और मामलों की सुनवाई स्थगित हो रही है। यह स्थिति उन लोगों के लिए परेशानी का सबब बनी है जो अपने कानूनी मसलों का समाधान चाहते हैं। यह विवाद केवल अदालत के कामकाज को प्रभावित नहीं कर रहा है, बल्कि जनता के विश्वास को भी झटका दे रहा है।

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उच्चाधिकारियों की प्रतिक्रिया

यह मामला उच्चाधिकारियों तक पहुँच चुका है। उत्तर प्रदेश के उच्च न्यायालय और बार काउंसिल ने इस पर संज्ञान लिया है और दोनों पक्षों के हितों को ध्यान में रखते हुए कदम उठाने की योजना बनाई है। बार काउंसिल ने कहा है कि वह वकीलों के साथ खड़ा रहेगा, जबकि ज्यूडिशियल एसोसिएशन ने जजों की सुरक्षा और अधिकारों की मांग की है। ऐसी संभावना है कि इस मामले पर विस्तृत जांच के बाद दोनों पक्षों के बीच किसी प्रकार का समझौता कराया जाएगा।

विवाद का संभावित समाधान

इस तरह के विवादों के समाधान के लिए कानूनी प्रक्रिया में सुधार की आवश्यकता है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि कोर्ट परिसर में सुरक्षा को सख्त किया जाना चाहिए और दोनों पक्षों के बीच संवाद स्थापित करने के लिए स्वतंत्र निकायों का गठन होना चाहिए। इसके अलावा, न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता और वकील-जज संबंधों में विश्वास को बहाल करने के लिए एक आचार संहिता की भी जरूरत है।

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