AIMIM प्रत्याशी रवि गौतम: सब चुनावी नेता, पैगंबर साहब के लिए मैं गया जेल, दलितों की मैं बना ढाल

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AIMIM Candidate Interview: पहले बसपा के प्रत्याशी घोषित हुए और बाद में टिकट कट जाने पर AIMIM से चुनाव मैदान में उतरे रवि गौतम का कहना है कि इस बार चुनाव में जितने भी प्रत्याशी उतरे हैं उनमें से कोई भी ऐसा नहीं है जिसने समाज या लाईनपार क्षेत्र के लिए कभी कुछ किया हो। उनका कहना है कि जो लोग दलित और मुस्लिम वोटों पर अपनी दावेदारी जता रहे हैं जरा वो भी बताएं कि उन्होंने दोनों समाजों के लिए क्या किया।

सुनें क्या बोले AIMIM प्रत्याशी रवि गौतम

Ravi Gautam

प्रश्न 1- आपको यदि जनता विधायक बनाती है, तो प्रमुखता के साथ फोकस किन मुद्दों और समस्याओं पर करेंगे ?

उत्तर- कुछ मुद्दे हैं, जो शहर विधानसभा और लाईनपार क्षेत्र से जुड़े हुए हैं। उन्हीं पर पूरे कार्यकाल काम करने का मन है।

  • साप्ताहिक पैंठ के जरिये अपने परिवारों का पेट पालने वाले लोगों से होने वाली अवैध वसूली पर रोक लगाना।
  • बाईपास के दूसरी तरफ रहने वाली आबादी को विजयनगर से दोबारा कनेक्ट करने के लिए हाईवे पर जगह-जगह फुटब्रिज का निर्माण कराना।
  • पूरे विधानसभा क्षेत्र में सभी धार्मिक स्थलों, पार्कों, सामुदायिक केंद्रों और उनके आस-पास के इलाकों में सुरक्षा और देखरेख के लिए 24 घंटे विशेष इंतजाम।

  • लाईनपार क्षेत्र में शहर में हिंडन नदी पर बने शमशान घाट की तर्ज पर एक बड़े और सुविधाओं से लैस शमशान घाट का निर्माण।

  • विजयनगर बाइपास के दूसरी तरफ रह रही लाईनपार की आधी आबादी की बेटियों के लिए अलग से एक सरकारी कन्या इंटर कॉलेज का निर्माण।

  • हिंडन पर बने बैराज पुल पर सुबह-शाम जाम से जूझने वाले स्थानीय लोगों की सहूलियत के लिए नये पुल का निर्माण।
  • पानी-बिजली, सीवर, साफ-सफाई और मुख्य मार्गों से गली-मुहल्लों तक में स्ट्रीट लाईटों के निर्माण के लिए विशेष इंतजाम।

  • ई-रिक्शा, ऑटो चालकों के साथ आने वाली तमाम दिक्कतों का स्थाई समाधान। रसूखदार शिक्षा माफियाओं पर लगाम।
  • बेटियों की सुरक्षा के लिए विधानसभा में अतिरिक्त महिला थाने, चौकी और महिला पुलिसकर्मियों की तैनाती के प्रयास।

  • आबादी, धार्मिक स्थलों और शिक्षक संस्थानों के पास से शराब के ठेकों को आबादी से बाहर शिफ्ट कराने का काम।

  • लाईन पार क्षेत्र के रहने वाले लोगों के लिए 500 बेड का एक सरकारी अस्पताल का निर्माण।

प्रश्न 2- किन मुद्दों को लेकर जनता के बीच जा रहे हैं ?

उत्तर- जनता के बीच मुद्दे लेकर जाने की जरूरत ही नहीं पड़ रही। जहां भी जा रहा हूं लोग बीजेपी को पानी पी-पीकर कोस रहे हैं। बीजेपी के शासन में दलित और मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में आप जाकर देखिए कि क्या हालात हैं। सबका साथ, सबका विकास का नारा देने वालों ने दलित-मुस्लिम और वाल्मीकि समाज के लोगों को नारकीय जीवन जीने को मजबूर कर रखा है।

न पीने के पानी की व्यवस्था ठीक, न सीवर निकासी या नाले-नालियों और सड़कों की हालत ठीक है। कूड़े के अंबार लगे हैं जबकि योगीजी से लेकर उनकी पार्टी के तमाम लोग स्मार्ट सिटी का राग अलापते फिरते हैं। चमचमाती सड़कें, साफ-सफाई और पेयजल व्यवस्था के अलावा पथ प्रकाश की व्यवस्था केवल पार्षदों और जनप्रतिनिधियों के घरों के बाहर आपको स्मार्ट दिखेगी बाकी सब जगह हाल बेहाल है।

जनता कराह रही है। खुद लोग कह रहे हैं इस बार बीजेपी को झटका जरूर लगना चाहिए ताकि इनका गुरूर चूर-चूर हो सके। पूरे लाईन पार क्षेत्र की हर जाति-धर्म से जुड़े लोग बीजेपी से नाराज हैं और जमकर आशीर्वाद दे रहे हैं।

प्रश्न 3- दलित-मुस्लिम वोटों को लेकर कहा जा रहा है कि चार दावेदार हैं ?

उत्तर- ये बात सिर्फ कागजी है। मेरे अलावा दलित और मुस्लिम वोटों का कोई हकदार ही नहीं है। बताईये कि दलित समाज से आप खुद ही जाकर पूछ लीजिए कि इस समाज के लिए पार्षद रहकर भी सिंघराज ने क्या किया है, सतपाल चौधरी ने क्या किया है, बसपा के प्रत्याशी बने परमानंद गर्ग ने क्या किया है, और छोड़िए बीजेपी के उम्मीदवार संजीव शर्मा ने ही क्या कभी किसी दलित की मदद की है।

एकमात्र मैं ऐसा हूं जो पिछले 15 साल से दलित समाज के लिए समर्पित होकर गली-मुहल्लों तक में समाज के लिए काम करता आ रहा हूं। बताईये पैगंबर साहब का एक सिरफिरे ने अपमान किया। किसने उसके खिलाफ खड़े होने की हिम्मत की। अकेला मैं ही था जिसने मुस्लिम भाईयों के साथ खड़े होकर उस माहौल बिगाड़ने वाले शख्स को एनएसए के तहत गिरफ्तार करने की मांग उठाई।

ये अलग बात रही कि पैगंबर साहब का अपमान करने वाले की जगह पुलिस ने मुझे ही जेल में डाल दिया और 12 दिन डासना जेल में बिताकर आया। क्या ये साईकिल से चुनाव लड़ रहे सिंघराज ने किया या बसपा प्रत्याशी परमानंद गर्ग ने और या फिर सतपाल चौधरी ने।

प्रश्न 4- तो क्या आप ये कहना चाह रहे हैं कि दलित-मुस्लिम समाज इस बार आपको वोट दे रहा है ?

उत्तर- कहना क्या है हकीकत यही है। दलित और मुस्लिम समाज का अधिकांश वोट मुझे मिल रहा है। मैं नाम नहीं लूंगा मगर कई बसपा के नेता और समाजवादी पार्टी से जुड़े लोग भी मुझसे व्यक्तिगत मुलाकातें करके और फोन के जरिये सहयोग का खुद वायदा भी कर रहे हैं। वे खुद बता रहे हैं कि कैसे मैं इन उम्मीदवारों की रात की नींद उड़ाए हूं। इन प्रत्याशियों की ओर से खासकर सपा उम्मीदवार की तरफ से तो उनके कुछ सहयोगी मुझे चुनाव से हटने के लिए मोटे ऑफर तक लेकर आ गए हैं। लेकिन लाईन पार की जनता इस बार बीजेपी को हराकर मेरे हाथों में क्षेत्र के विकास की कमान सोंपना चाहती है।

प्रश्न 5- तो आप ये दावा कर रहे हैं कि आपकी जीत सुनिश्चित है ?

उत्तर- मानना क्या है, मैं पूरी तरह से आश्वास्त हूं। हर जाति, हर वर्ग, हर समाज और हर एजग्रुप के लोगों का सहयोग और समर्थन मुझे मिल रहा है। खासकर युवाओं और बुजुर्गों में तो मुझे लेकर खासा उत्साह दिख रहा है। बुजुर्ग जहां भी जा रहा हूं सिर पर हाथ रख रखकर जहां आशीर्वाद दे रहे हैं और मेरे साथ चुनाव प्रचार में हर दिन युवाओं का काफिला बढ़ता ही जा रहा है। जैसे-जैसे चुनाव की तारीख बढ़ेगी, मेरे समर्थन में माहौल आपको खुद दिखाई दे जाएगा।

प्रश्न 6- दलित-मुस्लिम वोट के अन्य दावेदारों पर क्या कहेंगे ?

उत्तर- देखिए बात दो पार्टियों के प्रत्याशी होने की दावेदारी करने वाले सिंघराज की करूं तो उनकी प्रसिद्धि और लोकप्रियता का आंकलन इस बात से ही कर लीजिए कि वे पिछला पार्षदी का चुनाव भी नहीं जीत सके। सतपाल चौधरी इतने चुनाव लड़ चुके मगर कभी जीत का स्वाद नहीं चखा। वोट भी बसपा के टिकट पर भी कितने ले पाए आंकड़े देख लें। अब बात बसपा उम्मीदवार परमानंद गर्ग की करूं तो उन्हें न तो हाथी चुनाव चिन्ह के बावजूद दलित वोट दे रहा और ना ही खुद उनकी बिरादरी। कई इलाकों में तो व्यापारी वर्ग उनके साथ खड़ा है।

इन तीनों उम्मीदवारों की मिलाकर वोट 10 हजार भी नहीं कूद रही। सिंघराज को तो समाजवादी और कांग्रेसी ही भीतरखाने सपोर्ट नहीं कर रहे हैं। दूसरे उनके साथ जुड़े इलाके के कुछ पुराने विवाद और उनका रूखा व्यवहार भी लोगों को अब ध्यान आ रहा है।

प्रश्न 7- मतदान की तारीख एक हफ्ते बढ़ा दी गई है। क्या कहेंगे ?

उत्तर- बीजेपी को जनता हरा रही है। यही वजह है कि चुनाव की तारीख आगे बढ़ाई गई है। इस बार गाजियाबाद में भी यही होने जा रहा है। बाहरी उम्मीदवार को न सिर्फ क्षेत्र वासी नकार रहे हैं, बल्कि उनकी पार्टी के लोग भी उन्हें हराने में भीतरखाने लगे हैं।

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