गाजियाबाद के प्रभारी मंत्री असीम अरूण बोले- हम नये रिकॉर्ड में जुटे, बाकी 2 नंबर की रेस में

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Asim Arun नाम यूपी के लिए नया नहीं है। चाहें सीनियर आईपीएस के रूप में बात हो या फिर राजनीति के मंच की। बीजेपी हाईकमान को कई चुनावों में अपनी कार्यशैली का लोहा मनवा चुके हैं। Asim Arun योगी सरकार में मंत्री होने के साथ-साथ गाजियाबाद जैसे रसूखदार भाजपाईयों की कार्यस्थली के रूप में पहचाने जाने वाले गाजियाबाद के प्रभारी मंत्री भी हैं। गाजियाबाद के चुनाव में उनकी हैसियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सीएम योगी ने उनका, उनके पिता पूर्व डीजीपी का जिक्र कितनी देर तक किया। Asim Arun से वर्तमान उप-चुनाव को लेकर CUT-TO-CUT बातचीत की। बड़े ही नपे-तुले अंदाज में संयमित तरीके से उन्होंने सवालों के जो जवाब दिए पढ़ें।

सुनें क्या बोले यूपी के प्रभारी मंत्री Asim Arun

प्रश्न 1- गाजियाबाद बीजेपी का गढ़ है। इस बार चुनाव उप-चुनाव की क्या तस्वीर देख रहे हैं ?

उत्तर- बीजेपी में चाहें लोकसभा का चुनाव हो, या विधानसभा का हमारी जीत रिकॉर्ड होती है। ये उप-चुनाव कोई प्रदेश की सत्ता में परिवर्तन लाने वाला चुनाव नहीं है। मगर हम इस चुनाव को भी अपना नया रिकॉर्ड बनाने वाला चुनाव मानकर लड़ रहे हैं। इस बार भी हम नया रिकॉर्ड बनाएंगे। मैं ये नहीं कहता कि जीत का अंतर कितना होगा, मगर ये जानता हूं कि जीत का नया रिकॉर्ड बनेगा।

प्रश्न 2- इस उम्मीद और विश्वास की वजह क्या है ?

उत्तर- संजीव शर्मा को इस बार पार्टी ने अपना प्रत्याशी बनाया है। संजीव एक बेहद संजीदा और सुलझे हुए राजनीतिज्ञ हैं। उन्होंने न जाने कितने जमीनी कार्यकर्ताओं के लिए काम किया है। उन्हें टिकट दिलाया है। हर चुनाव में दिन-रात मेहनत करके पार्टी को जीत दिलाने का काम किया है। अब जब उनका चुनाव है तो सभी मिलकर भला क्यों मेहनत नहीं करेंगे ?

प्रश्न 3- सुना है कि कुछ लोग संजीव का टिकट होने से नाराज हैं ?

उत्तर- ये भाजपा है। बड़ी पार्टी है। दावेदारी की सबको स्वतंत्रता है, तो ज्यादा लोग करते हैं। इस टिकट के भी आठ दस दावेदार थे, मगर पार्टी ने जिसका नाम फाइनल किया अब सब मिलकर उसे चुनाव लड़ा रहे हैं। यहां नाराजगी वाला मसला ही नहीं है। हां और पार्टियों के मुकाबले स्वतंत्रता है तो सभी अपने लिए प्रयास करते हैं। मगर टिकट जिसे मिले फिर फोकस सिर्फ उसकी जीत को लेकर होता है।

प्रश्न 4- दो दिन पहले अखिलेश यादव आए थे। उनका फोकस इस बात पर था कि उन्होंने जनरल सीट पर जाटव समाज जो आरक्षित समाज से आता है उसे टिकट दिया है। उन्होंने अपने पूरे भाषण में एक बार भी मुस्लिम शब्द का इस्तेमाल भी नहीं किया। सपा प्रमुख की इस स्टेटजी पर क्या कहेंगे ?

उत्तर- देखिये हम बांटने की राजनीति करने वाले लोग नहीं हैं। वो बांटने और बरगलाने का काम करते हैं। यदि उन्हें दलित या अनुसूचित समाज से इतना ही लगाव है तो अपनी पार्टी के टिकट पर किसी दलित या अन्य अनुसूचित जाति को जीतने वाली सीट से उम्मीदवार क्यों नहीं बनाते ? क्यों हारने वाली सीट पर ही दलित अनुसूचित जाति को टिकट देकर ठगने वाली राजनीति करते हैं। यदि लड़ाना है तो करहल से लड़ाते ? ये सिर्फ समाज को बांटने वाली राजनीति कर रहे हैं जबकि इसके इतर हम जोड़ने का काम कर रहे हैं।

हम सबका साथ, सबके विकास की बात करते हैं और उसी नारे पर जनता के बीच जा रहे हैं। हम केवल किसी जाति धर्म या संप्रदाय के बीच नहीं जा रहे बल्कि हमारा एक-एक कार्यकर्ता हर जाति, हर बिरादरी और हर धर्म संप्रदाय के लोगों के बीच जाता है। यही वजह है कि हमें सबका समर्थन भी मिलता है।

प्रश्न 5- लोग नाराज हैं। खासकर सरकारी मशीनरी और जनप्रतिनिधियों की अनदेखी के चलते। इसका कितना असर होगा ?

उत्तर- जो सत्ता में होता है उससे जनता की नाराजगी होना स्वाभविक है। कुछ लोग होते हैं जिन्हें सरकारी योजनाओं को पर्याप्त लाभ नहीं मिल पाता। इसी के चलते इस बार हमारा एक-एक कार्यकर्ता हर घर जा रहा है। जिनसे पहले वोट मिला उनके पास भी और जिन्होंने वोट नहीं दिया उनके पास दो-दो बार। ताकि ये जान और समझ सके कि कहां और किस स्तर पर उन लोगों तक केंद्र और प्रदेश सरकारों के प्रयासों का लाभ नहीं पहुंच सका। ताकि भविष्य में उन चीजों को पहले से ज्यादा बेहतर तरीके से सर्व समाज तक पहुंचाया जा सके।

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