BJP: चुनौतियां अपार, मगर ! रूठों को मनाने में कारगर साबित हो रही संजीव की ‘संजीवनी’

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BJP: जैसे-जैसे मतदान की तारीख नजदीक आ रही है चुनावी धमा-चौकड़ी तेज होती जा रही है। बात यदि BJP की करें तो संजीव जहां अभी तक जनसंपर्क से लेकर मतदान से पहले होने वाली तैयारियों के मामले में सारे प्रत्याशियों को पछाड़े हुए हैं, वहीं पार्टी के भीतर नाराज रूठों को मनाने के मामले में भी उनकी संजीवनी बेहद कारगर होती दिखाई दे रही है।

उसी का नतीजा है कि चुनावी तैयारियों से खुद को दूर रखने वाले या किसी न किसी बात पर नाराज चल रहे लाईनपार क्षेत्र के बीजेपी नेता भी अब संजीब के चुनाव प्रचार में दिखाई देने लगे हैं। इन लोगों में खासतौर पर सुनील यादव, संतराम यादव, लेखराज माहौर और प्रदीप जादौन के नाम हैं। जो कल तक प्रचार के दौरान अपनी उपेक्षा से नाराज थे, मगर संजीव की संजीवनी के बाद से चुनाव प्रचार और चुनावी तैयारियों में नजर आने लगे हैं।

लेखराज की दूरी का कारण

दरअसल, लेखराज BJP के पूर्व महानगर अध्यक्ष अजय शर्मा के बेहद करीबी हैं। उनके वक्त महानगर की कार्यकारिणी में लेखराज महामंत्री भी रहे थे। इस बार टिकट के दावेदारों में अजय शर्मा का नाम भी था।अजय को टिकट नहीं मिलने से लेखराज भी असंतुष्टों में थे। मगर संजीव शर्मा के BJP में तारहार माने जाने वाले पप्पू पहलवान और यशपाल पहलवान ने लेखराज को उनके घर जाकर मनाया और लेखराज भी एक्टिव मोड में नजर आने लगे।

संतराम यादव की नाराजगी

प्रताप विहार के पूर्व पार्षद और वर्तमान पार्षद के पति संतराम यादव भी शुरूआत में संजीव शर्मा से नाराज हो गए थे। दरअसल, उनकी नाराजगी इस बात से थी कि संजीव ने वार्ड में उनके प्रतिद्वंदी महेंद्र पाल शर्मा से मुलाकात करके जनसंपर्क अभियान चलाया, मगर उन्हें नहीं पूछा। जब संजीव ने संजीवनी देते हुए संतराम यादव को उसकी वाजिब वजह बताई तो संतराम न सिर्फ प्रचार में जुट गए बल्कि एक-दो दिन में ही अपने इलाके में संजीव की ताबड़तोड़ जनसभाएं और स्वागत समारोह करा दिए।

सुनील यादव भी संजीव से गए थे रूठ

प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी की मौजूदगी में हुए बूथ सम्मेलन के दौरान पूर्व डिप्टी मेयर और पार्षद रहे सुनील यादव को मंच तो छोड़िए मंच के सामने बैठने के लिए सीट तक नहीं मिली थी। सुनील के सोफे के हेंडिल पर बैठी एक तस्वीर जब वायरल हुई तो उस तस्वीर से उनके चेहरे पर नाराजगी साफ झलक रही थी। इस खबर के छपते ही संजीव ने संजीवनी बूटी देते हुए लाईन पार क्षेत्र की अधिकांश सभाओं में संचालन की जिम्मेदारी सुनील को सोंपी बल्कि सीएम योगी की पन्ना प्रमुखों के साथ बैठक में सुनील यादव से कई घंटे मंच सचालन तक कराया।  

...और प्रदीप जादौन भी मान गए

संजीव शर्मा के नामांकन करने के बाद से लाईन पार क्षेत्र के भारतीय जनता युवा मोर्चा से जुड़े प्रदीप जादौन भी सक्रियता के मामले में शून्य थे। बल्कि उनके सोशल मीडिया पर किए गए कई पोस्ट से नाराजगी के भाव भी नजर आ रहे थे। लेकिन राजनाथ सिंह के बेटे नीरज सिंह की लीलावती चौक पर हुई जनसभा से एक दिन पहले अचानक संजीव शर्मा ने ऐसी संजीवनी घुमाई की सभा का निमंत्रण पत्र ही खुद प्रदीप जादौन अपने सोशल मीडिया अकाउंट से साथियों को शेयर करने लगे। प्रदीप भी तबसे चुनावी मोड में हैं।

ओढ़ समाज को मनाना अभी बना है चुनौती

संजीव के लिए इस चुनाव में लाईनपार क्षेत्र में रहने वाले ओढ़ समाज के नेताओं को साधना बाकी है। हालाकि पार्टी के कई पार्षद इसी समाज से हैं, मगर चुनाव प्रचार में ये उस भूमिका में नजर नहीं आ रहे जिसमें होना चाहिए। उसकी एक वजह ओढ़ समाज से जुड़े धर्मेंद्र का चुनाव मैदान में खड़े होना भी है। जाहिर है कि ओढ़ समाज औऱ उससे जुड़े बीजेपी के पुराने कार्यकर्ता और नेताओं को साधना संजीव के लिए अभी भी चुनौतीपूर्ण है। देखना होगा कि 20 नवंबर से पहले संजीव की संजीवनी उनके चुनाव की राह में खड़ी इस बाधा को दूर कर पाती है या नहीं ?

वैश्यों को जोड़ने में जुटी है टीम अतुल गर्ग

संजीव शर्मा का टिकट फाइनल होने से नाराज मयंक के बारे में चर्चाएं लगातार जारी हैं कि वो बिरादरी के उम्मीदवार परमानंद गर्ग को वोट देने के लिए समाज के लोगों से कह रहे हैं। उधर, इस बार चुनाव लड़ने की पूरी तैयारी कर चुके कांग्रेसी नेता सुशांत गोयल भी सीट समाजवादी पार्टी के लिए छोड़े जाने से नाराज हैं। और चर्चा है कि वो भी वैश्य समाज के लोगों से परमानंद गर्ग को वोट देने की अपील भीतरखाने कर रहे हैं। ये निश्चित तौर पर बीजेपी के लिए नुकसानदायक है।

मगर, संजीव शर्मा इससे पूरी तरह बेफिक्र हैं। क्योंकि उनके टिकट की राह में आने वाली तमाम बाधाओं को दूर कराने वाले सांसद अतुल गर्ग और उनकी टीम इस अड़चन को सुलटाने में जुटी है। जहां अतुल गर्ग यदा-कदा संजीव के प्रचार के लिए यहां-वहां दिखाई दे रहे हैं। वहीं संजीव को ये भी बता रहे हैं कि वैश्य समाज की चाभी असल में किन लोगों के हाथ है। संजीव भी ऊपर से मिल रही इस गाईडलाईन के तहत वैश्य समाज के सिर्फ असरदार लोगों तक पहुंच रहे हैं। जबकि बाकी काम टीम अतुल गर्ग निबटा रही है।

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