
Yogi Ji: पहली बार चुनाव में किसी नामचीन राजनेता का लाइन पार क्षेत्र में रोडशो हो रहा है। पहली बार कोई वर्तमान सीएम इस इलाके में वोट मांगने आ रहा है। वो भी बुलडोजर बाबा Yogi Ji। ये सौभाग्य है लाईनपार का। योगीजी आप आ रहे हैं आपका भर-भरकर स्वागत है। मगर एक सवाल है जिसका जवाब आप जरूर देते जाईएगा।
सवाल ये कि जिस चाणक्य चौक से आप रोड शो की शुरूआत करने जा रहे हैं। उसके पास ही जो आपकी पार्टी का चुनाव कार्यालय बना है, वहां से चंद कदम की दूरी पर रक्षा मंत्रायल की अरबों की जमीन है। इस जमीन पर समाजवादी पार्टी का एक भू-माफिया कब्ज़ा किए है। लेकिन देश के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह इस जिले के सांसद रहे, देश की सेना के जनरल वी.के.सिंह यहां से सांसद रहे मगर उस सपाई माफिया से रक्षा विभाग की जमीन खाली नहीं करा सके। क्यों ?
ये सवाल आपसे लाईनपार के हर उस खास-ओ-आम का है, जो ये चाहता है कि उस भूमि को कब्जा मुक्त कराकर लाईनपार वासियों को एक बड़ा स्टेडियम या खेल का मैदान मिले, जो इस इलाके में है ही नहीं। क्या आप वो कर पाएंगे जो रक्षा मंत्री और जनरल नहीं कर सके ?
ये है मामला

लाईनपार क्षेत्र वो इलाका है जो इस वक्त हैसियत रखता है गाजियाबाद विधानसभा के विधायक से लेकर नगर निगम में पार्षदों-मेयर सहित सांसदों का भविष्य और भाग्य तय करने की। जबसे मुरादनगर विधानसभा का नया परिसीमन हुआ है, कमोवेश स्थिति यही है। पुराना शहर नहीं बल्कि लाईन पार क्षेत्र ये तय करता है कि गाजियाबाद का विधायक कौन होगा, गाजियाबाद का मेयर कौन होगा, गाजियाबाद का सांसद कौन होगा ? यही वजह है कि कल डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक यहां वोट मांगने आए थे, तो आने वाले कल खुद सीएम योगी वोट मांगने के लिए रोड शो करने आ रहे हैं।
बावजूद इसके हालात ये हैं कि लाईनपार क्षेत्र में अरबों की कीमत वाली रक्षा मंत्रालय की जमीन पर वहीं के पुराने इलाके मिर्जापुर का रहने वाला फिदा हुसैन नाम का एक भू-माफिया काले नाग की तरह से कुंडली मारकर बैठा है। इस माफिया के संबंध समाजवादी पार्टी से जगजाहिर हैं। परिवार में भी कई सपा नेता हैं। लेकिन केंद्र प्रदेश की सत्ता पर काबिज बीजेपी की सरकार में भी इस माफिया का बाल बांका नहीं हुआ। उल्टा इस जमीन पर लगातार अवैध निर्माण शासन-प्रशासन और कुछ जनप्रतिनिधियों के सहयोग से जारी है।
रक्षामंत्री और जनरल वीके सिंह भी नहीं बिगाड़ सके कुछ
ये हाल तब है जबकि देश का रक्षा मंत्री इस जिले का पूर्व सांसद है। इस जिले के पूर्व सांसद, भारतीय सेना के पूर्व जनरल वी.के. सिंह भी भी रहे है। बावजूद इसके हालात ये हैं कि न हिंदुत्व के नाम पर केंद्र और प्रदेश की सत्ता पर काबिज सरकार इस पर ध्यान दे रही है, न उसके जनप्रतिनिधि।
Yogi Ji! इतनी बे-अदबी क्यों ?
दरअसल, इस मामले में एसडीएम सदर की ओर से गाजियाबाद की सदर तहसील के तहसीलदार को एक नहीं बल्कि तीन-तीन रिमाइंडर भेजे गए हैं। रिमाइंडरों में सख्त लहजों का प्रयोग करते हुए विभागीय कार्रवाई तक का भय दिखाया गया है, मगर कहावत है ना कि पद नहीं रसूख मायने रखता है। जो तहसीलदार वर्तमान रक्षामंत्री के पूर्व संसदीय क्षेत्र और सेना के पूर्व जनरल के वर्तमान संसदीय क्षेत्र में रक्षा मंत्रालय की जमीन कब्जाने वालों का साथ दे रहा है उसके लिए एसडीएम की क्या हैसियत ?
सरकार बीजेपी की, मगर नंबरदार है फिदा हुसैन, कैसे ?
फिदा हुसैन नाम का माफिया, वो माफिया है जिसकी बसपा सरकार में भी चली। सपा के राज में भी तूती बोली और मुस्लिमों को पानी पी-पीकर कोसने वाले नेताओं की सराकर में भी वही रसूख है। फर्क गर है तो सिर्फ इतना कि फिदा हुसैन साहब पहले बसपा के नेताओं, मंत्रियों की आरती उतारते थे। सपा सरकार में सपा नेताओं और मंत्रियों को सजदा करते थे और अब बीजेपी की सरकार में बीजेपी के नेता-मंत्रियों की परिक्रमा कर रहे हैं।
कुल मिलाकर माफिया फिदा हुसैन सिर्फ और सिर्फ सत्ता और सत्ता चलाने वाले राजनैतिक दलों का सहारा लेकर रक्षा विभाग की अरबों की संपत्ति पर कल भी कुंडली मारकर बैठा था। आज भी बैठा है। और इसी करतूत के बूते आगे भी बैठा रहेगा, क्योंकि सरकार चाहें सपा की हो, बसपा की कांग्रेस या बीजेपी की ? हमाम में सब पार्टियों के नेता मंत्री नंगे हैं।
कुछ महीने पहले भगवा पर भी लगा था दागदार
लाईनपार क्षेत्र में इसी रक्षा मंत्रालय की एक दूसरी जमीन के टुकड़े को लेकर एक मुकदमा दर्ज हुआ था। उस मामले में वो किसान तो गिरफ्तार हो गया जिसके खाते में इस प्रकरण में कमाई गई रकम पहुंची थी, मगर उस प्रकरण में बीजेपी के मुस्लिम प्रकोष्ट से जुड़े कैला भट्टा इलाके के जिस नेता के परिवार के सदस्य की मुख्य भूमिका रही, उसे सत्ता के दवाब में पुलिस को बचाना पड़ा।
वो अलग बात है कि प्रकरण में इस शहर के नवाब गाजियुद्दीन के परिवार की महिलाओं तक को जेल की हवा खानी पड़ी। लेकिन कहते हैं ना जी सत्ता जिसके साथ खाकी भी उसके साथ। लिहाजा वो मामूली अनपढ किसान तो जेल चला गया, मगर इस मामले में असली खेला करने वाला बीजेपी नेता का रिश्तेदार बच निकला। पुलिस ने उसे अंतरिम जमानत लेने का पूरा मौका दिया। औऱ वो उसमें कामयाब भी हो गया।
निधि केसरवानी के वक्त खुली थी पोल
इस प्रकरण को इलाके के लोगों ने लगातार उठाया था। गाजियाबाद के तमाम अफसरों से लेकर मेरठ में प्रशासनिक अफसरों से लेकर रक्षा मंत्रालय तक पहुंचाया था, मगर रिश्वत की बेड़ियों के चलते मामले में जो निष्पक्ष होना चाहिए था, वो न हुआ। बावजूद इसके तत्कालीन जिलाधिकारी निधि केसरवानी के वक्त में गाजियाबाद के कविनगर थाने में एक एफआईआर हुई और डीएम गाजियाबाद के लेखागार में तैनात कई कर्मचारियों के खिलाफ इसी मामले से संबंधित दस्तावेजों को खुर्द-बुर्द करने का मुकदमा दर्ज हुआ। हालाकि आरोपी थाने से ही जमानत पर छूट गए और अंतरिम जमानत ले ली, मगर ताजा अपडेट ये है कि आज भी केवल मामले को तारीख पर तारीखों में उलझाकर दबाया हुआ है।
कब्जा मुक्त कराओ, एक स्टेडियम बनवाओ
इलाके के लोगों की CM Yogi Ji से यही मांग है कि इस इलाके में कोई भी एक स्टेडियम या बड़ा पार्क नहीं है। यदि ये जमीन कब्जा मुक्त हो जाए औऱ इसकी जगह पर एक बड़े स्टेडियम का निर्माण हो जाए तो इलाके की न सिर्फ सूरत बदलेगी, बल्कि यहां रहने वाले बच्चों और युवाओं में खेलों के प्रति रूझान बढ़ने के साथ-साथ उनकी प्रतिभाओं को भी पंख लगेंगे। देखना होगा कि मामले पर आंखे मूंदे बैठे स्थानीय भाजपा नेता सीएम योगी के सामने इस मुद्दे को उठाते भी हैं या नहीं ?
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