अति उत्साह, मिस मेनेजमेंट में विधायक बनने से चूके सिंघराज

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Singhraj Reasons for Losing this Election: इसमें कोई शक नहीं कि चुनाव में पैसा खूब बहाया। इसमें भी शक नहीं कि साम-दाम, दंड-भेद सब खूब अपनाया। दूसरे दलों के मजबूत लोगों को भी तोड़ा, मतदान से पहले देर रात और दिन निकलते-निकलते बहुतों को जोड़ा। मगर मिस मैनेजमेंट और सपा और कांग्रेसियों को कैश करने के लिए पर्याप्त कोशिशें नहीं कर पाए।

नतीजा ये है कि इस वक्त भले ही पिछलग्गुओं और समर्थकों के कहे मुताबिक सिंघराज जीत की दौड़ में बने हैं। लेकिन हकीकत इससे इतर है। हकीकत ये है कि सिंघराज अपने विधायक बनने का सुनहरा मौका गंवा चुके हैं। जो बात हम कह रहे हैं, हो सकता है कि नागवार गुजरे, मगर 23 नवंबर को नतीजे सामने आने पर इसे स्वीकार करना ही होगा।

हमने शुरूआत से कहा कि मैनेजमेंट गड़बड़

बुलंद गाजियाबाद शुरूआत से सपा प्रत्याशी को अपनी खबरों के जरिये एहसास कराने की कोशिश करता रहा कि उनका मैनेजमेंट कमजोर है। लेकिन इस तरफ सिंघराज ने ध्यान नहीं दिया। मैनेजमेंट मजबूत होता तो सिंघराज को चुनाव सिर्फ और सिर्फ लाईनपार के हिसाब से लड़वाता। दलितों पर जबरदस्त फोकस कराता। मुस्लिम इलाकों में सपा औऱ कांग्रेस के नेताओं को लगाता। लेकिन ऐसा कहीं नहीं दिखा।

यदि ऐसा होता तो मिर्जापुर के गोल्डन पब्लिक स्कूल पर लगे बस्ते पर सिंघराज से ज्यादा भीड़ रवि गौतम की नहीं नजर आती। यदि ऐसा नहीं होता तो लाईनपार में हर बूथ के बाहर बीजेपी की तरह ही सिंघराज के बस्ते पर भी रौनक देखने को मिलती। लेकिन सिंघराज मैनेजमेंट के अभाव में ये कर पाने में नाकाम रहे और नतीजा ये रहा कि अपनी ही इलाके में दर्जनों उनके बस्ते ऐसे थे जहां समाजवादी पार्टी या कांग्रेस के नाम पर तो लोग नजर आए, मगर लाईन पार क्षेत्र से अकेले चुनाव लड़ रहे सिंघराज के बस्तों पर लोग नदारद रहे।

लाईनपार क्षेत्र के वार्ड 26 में सिंघराज से केवल मस्जिद में जाने और मंदिर-गुरुद्वारे को छोड़ देने जैसी गलती नहीं होती। जिसका खामियाजा उन्हें पूरे लाईनपार क्षेत्र में भुगतना पड़ा और वो लाईनपार वासी होने वाला माहौल बनाकर हर बूथ पर बीजेपी को चुनौती देने में नाकाम हो गए।

कई जगह दलित-मुस्लिम बूथों पर भी नहीं दिखा दम

लाईन पार क्षेत्र के कई मुस्लिम और दलित बाहुल्य इलाके रहे जहां सिंघराज जाटव समाज से होने और समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी होने के बावजूद बीजेपी को वो चुनौती देते नहीं दिखे जो अन्य विरोधी प्रत्याशी दे रहे थे। दलित बाहुल्य काशीराम कालोनी में तो उनका बूथ तक नजर नहीं आया। इस इलाके में सिंघराज का चुनाव प्रचार भी ना के बराबर था जबकि इस इलाके में दलितों और मुस्लिम मतदाताओं की आबादी खासी अच्छी थी।

बीजेपी की बजाय बसपा, असपा, AIMIM से भिड़ते दिखे

दो दो बड़ी पार्टियों के प्रत्याशी होने के बावजूद कहीं भी ऐसा नहीं लगा कि सिंघराज बीजेपी को चुनौती देने वाले अकेले उम्मीदवार हैं। बल्कि मतदान वाले दिन भी वे कहीं बसपा से कहीं असपा से तो कहीं ओवैसी की पार्टी के रवि गौतम से ही चुनौती लेते दिखे। जबकि बीजेपी हर बूथ पर लोगों को अपने दम पर तमाम प्रत्याशियों से मुकाबला करती दिखाई दी।

अखिलेश के लाईनपार में लंच को भी नहीं कर पाए कैश

ये पहला मौका था कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव लाईन पार क्षेत्र में अपनी पार्टी के नेता अमन यादव के विजय नगर सेक्टर नौ स्थित आवास पर न सिर्फ आए बल्कि सिंघराज और कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री विजेंद्र यादव सहित कई सपाईयों के सात लंच भी किया। तकरीबन एक घंटा अखिलेश यादव यहां रुके। मगर इसे मैनेजमेंट की खामी ही कहेंगे कि सिंघराज इस चुनाव में इस अहम बात को कैश ही नहीं कर पाए। उल्टा जिस विजयनगर क्षेत्र में वो आए, वहां औऱ उसके आस-पास के इलाकों में रहने वाले समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के नेताओं ने भी बीजेपी को वोट कराया ऐसी सूचना मिल रही है।

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