
BJP Wins: बुलंद गाजियाबाद ने मतदान के तुरंत बाद रात में ही अपने नॉन पॉलिटिकल सर्वे से ये खुलासा कर दिया था कि बीजेपी उम्मीदवार संजीव शर्मा के सिर गाजियाबाद विधानसभा के विधायक के रूप में ताज सजने जा रहा है। हमारे सर्वे पर विपक्षी दलों ने खूब चुटकी ली। किसी ने हमारी विश्वसनीयता पर ब्राह्मण होने की वजह से सवाल उठाए, तो कुछ ने सर्वे की सत्यता को ये कहकर खारिज किया कि कम मतदान और पिंकी चौधरी की पत्नी पूनम की वजह से बीजेपी चुनाव हार रही है।
मगर हमें अपने विश्वसनीय साथियों की निष्पक्ष पड़ताल पर यकीं था और हमने ही कहा कि संजीव शर्मा की ताजपोशी विधायक के रूप में जनता कर रही है। नतीजे आने के बाद ये साबित भी हो गया। लेकिन संजीव की बंपर जीत से सब हैरान हैं। हालाकि मतदान से पहले एक लाख से ज्यादा से जीतने का दावा करने वाले संजीव भी ये मान रहे थे कि उनकी जीत 50 प्लस होगी। मगर जब ईवीएम खुलीं तो जनता के विश्वास ने सबको हैरान कर दिया। विपक्ष को तो इस कदर चारों खाने चित कर दिया कि सपा प्रत्याशी को छोड़ कोई भी अपनी जमानत तक नहीं बचा सका।
संजीव ने कार्यकर्ताओं और आलाकमान को दिया जीत का श्रेय
विजेता घोषित होने के बाद संजीव में मीडिया से बातचीत में कहा कि उनकी इस बंपर जीत का श्रेय पार्टी के कार्यकर्ताओं और आलाकमान को जाता है। जिनके प्रयासों की बदोलत कम मतदान के बावजूद उन्हें इतनी बड़ी जीत मिली। संजीव ने कहा कि अपनी विधानसभा में शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार उनकी पहली प्राथमिकता रहेगी।
दलित वोटों में बीजेपी की बड़ी सेंधमारी से सब हैरान
महज 33 फीसदी के करीब हुए मतदान के बावजूद गाजियाबाद विधानसभा के सबसे ज्यादा वोटर्स दलित समाज में बीजेपी ने सबसे ज्यादा सेंधमारी की। हालाकि तमाम विपक्षी पार्टियों का फोकस दलित मतदाताओं पर था, मगर नतीजों ने साफ कर दिया है कि बीजेपी को खासकर लाईनपार इलाके में सबसे ज्यादा दलित और पिछड़े समाज से वोट मिला है। पिछड़ा दलित और अल्पसंख्यक का नारा देने वाली पीडीए के प्रत्याशी सिंघराज से भी ज्यादा पिछड़े और दलित समाज के वोट बीजेपी उम्मीदवार को मिले हैं। जो बताने को काफी है कि सपा के नारे को गाजियाबाद विधानसभा सीट पर जनता ने अस्वीकार कर दिया।
नाराजगी के बावजूद काम कर गई संजीव की संजीवनी
गौरतलब है कि मतदान से पहले बुलंद गाजियाबाद से बातचीत के दौरान बीजेपी प्रत्याशी संजीव शर्मा ने दावा किया था कि उन्होंने महज 25 दिन में अन्य प्रत्याशियों से कई गुना ज्यादा तकरीबन साढ़े तीन सौ छोटी-बड़ी जनसभाएं औऱ बैठकें की हैं। सबसे ज्यादा लोगों से संपर्क किया है। संजीव का दावा था कि उन्होंने खासकर लाईनपार क्षेत्र में गली-गली, मुहल्ले-मुहल्ले जाकर लोगों की दिक्कतों को महसूस किया है। संजीव ने दावा किया था कि जो काम बाकी के विधायकों ने पांच साल में अधूरे छोड़ दिए उन्हें वो अपने दो साल के कार्यकाल में करके दिखाएंगे। संभवत: संजीव का यही वायदा जनता को भा गया और संजीव को हर जाति और बिरादरी का वोट मिला।
अतुल ने शहर संभाला, संजीव ने लाईनपार साधा
गौरतलब है कि संजीव शर्मा ने अपना अधिकांश वक्त लाईन पार क्षेत्र में प्रचार के लिए खर्च किया। जबकि शहरी इलाके की कमान खुद पूर्व विधायक औऱ वर्तमान सांसद अतुल गर्ग ने संभाल रखी थी। खासकर वैश्य मतदाताओं को साधने की पूरी जिम्मेदारी अतुल गर्ग और उनकी टीम के कंधे पर ही थी। उसी का परिणाम रहा कि लाख कोशिशों के बावजूद बसपा प्रत्याशी परमानंद गर्ग वैश्य मतदाताओं को अपनी ओर नहीं खींच पाए और जमानत तक बचा पाने में नाकाम साबित हुए।
उधर, लाईनपार क्षेत्र के साथ-साथ संजीजव ने गाजियाबाद सीट पर बहुत तादात में मौजूद अधिकांश ब्राह्मण मतदाताओं को भी अपने पक्ष में साधा। जिसका नतीजा ये रहा कि कई कांग्रेस, सपा और बसपा से जुड़े ब्राह्मण नेता भी भीतरखाने संजीव को वोट दिलाने में जुटे रहे।
अंतर्कलह को भी संजीव ने कर दिया बेकार
पार्टी में टिकट को लेकर चली नाराजगी के चलते जिन कुछ नेताओं द्वारा खुलकर और कुछ ने जो भीतरखाने संजीव को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया, उस प्रयास को भी संजीव ने अपनी स्टेटेजी के बूते नाकाम कर दिया। उसी का नतीजा रहा कि उप-चुनाव के दौरान सबसे कम मतदान वाली गाजियाबाद विधानसभा की सीट पर भी संजीव ने रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल करके सारे विपक्षियों की हवा निकाल दी।
ये भी पढ़े:
- बुलंद गाजियाबाद का सर्वे: झटके कई, मगर संजीव बने सरताज
- जीत के प्रति आश्वास्त संजीव को भीतरघात का एहसास, विरोधियों को पहली पोस्ट से ही करा दिया एहसास
ऐसी और खबरों के लिए हमारे सोशल मीडिया फॉलो करे: Twitter Facebook