
Dudheshwar Nath Mandir की कृपा: सिर्फ और सिर्फ हिंदू रक्षा दल की उम्मीदवार पूनम चौधरी को अपवाद कहकर छोड़ दें तो 14 प्रत्याशियों में सिर्फ बीजेपी के महानगर अध्यक्ष संजीव शर्मा ही अकेले ऐसे थे जो ये जान और समझ पाए कि गाजियाबाद की धरती पर भगवान शिव के मठ श्री Dudheshwar मठ का कितना महत्व है। हिंदू बाहुल्य शहर में इस मठ का कितना प्रताप है। संजीव की बंपर जीत और विपक्षियों की महाबंपर हार का ये सबसे बड़े कारणों में से एक रहा।
टिकट के लिए ही पहुंच गए थे बाबा के दरबार

संजीव शर्मा ब्राह्मण होने के साथ-साथ इस जिले में रहने के कारण जानते भी थे औऱ मानते भी थे कि Dudheshwar मठ का प्रताप कितना है। यही कारण है कि पार्टी में टिकट की दावेदारी करने से पहले से ही न सिर्फ संजीव ने बाबा के दरबार में लगातार और बारबार हाजिरी लगाई। बल्कि उसे राजनैतिक दृष्टिकोण से किस तरह से अपनी तरफ करना है ये उन्हें आभास रहा। यही वजह रही कि टिकट फाइनल होते ही संजीव ने सबसे पहले बाबा के दर पर आकर न सिर्फ माथा टेका बल्कि उन्हें एक बाधा पार कराने पर धंन्यवाद भी दिया।
साथ ही विजई होने की अपनी अर्जी भी वे भोलेनाथ के दरबार में लगाना नहीं भूले। नतीजा सामने है। तमाम अपनों के विरोध के बावजूद संजीव के नाम के पीछे विधायक लग चुका है।
नामांकन से पहले भी न भूले, देवो के देव महादेव को

संजीव शर्मा नामांकन करने के लिए जाने से पहले भी भोले बाबा के दरबार में अपनी हाजिरी लगाना नहीं भूले। नामांकन वाले दिन भी संजीव Dudheshwar नाथ मठ पहुंचे औऱ भगवान महादेव का आश्रीवाद लेने के बाद ही चुनाव की प्रक्रिया का आगाज किया। जाहिर तौर पर ऐसा किसी और उम्मीदवार ने नहीं किया। इसे संजीव की इस मठ के प्रति आस्था मानें या फिर कुछ और मनगर नतीजा सबके सामने है।
मतदान और मतगणना वाले दिन भी लगाई हाजिरी
चाहें मतदान की तारीख 20 नवंबर हो या फिर मतगणना का दिन 23 नवंबर संजीव इतनी व्यस्तता के बावजूद नहीं भूले कि महादेव के मठ को लेकर जो मान्यताएं गाजियाबादियों के मन में उसका कितना प्रताप है। जबकि मतदाताओं का फैसला ईवीएम में कैद था। बावजूद इसके संजीव इस मठ के प्रति अपनी आस्था और विश्वास पर अडिग रहे और मतगणना से पहले भी भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद लेकर ही मतगणना की प्रक्रिया में शिरकत की। नतीजा जीत का सेहरा संजीव के सिर बंधा। इसे कोई अंधविश्वास कहे या फिर आस्था और विश्वास।
सबकी आस्था, मगर चुनाव में क्यों भूले ?
ये किसी से छिपा नहीं है कि गाजियाबाद में रहने वाले हिन्दू समाज के मन में दूधेश्वर नाथ मठ को लेकर कितनी आस्था और कितनी निष्ठा है। इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इस धार्मिक केंद्र के प्रति अधिकांश दलों के नेता मंत्रियों की आस्था जुड़ी है। यही वजह है कि बहुत सारे विभिन्न दलों के नेता और कार्यकर्ता तो लगभग हर रोज यहां माथा टेकते हैं। इसके बावजूद बीजेपी नेताओं और प्रत्याशी संजीव के अलावा किसी ने इस मठ की महत्ता को नहीं समझा। नतीजा संजीव की बंपर जीत के रूप में सबके सामने है।
जीत में Dudheshwar-Nath कॉरिडोर की बड़ी भूमिका
गौरक्षपीठ से सीएम की कुर्सी तक का सफर तय करने वाले योगी आदित्यनाथ जानते हैं कि राजनीति हो या फिर हिन्दुओं की आस्था उसमें किसी धार्मिक स्थल और उसके प्रति लोगों की आस्था कितनी मायने रखती है। उसी के चलते योगी आदित्यनाथ ने पन्ना प्रमुखों के साथ किए सम्मेलन में न सिर्फ दूधेश्वर नाथ मंदिर के महंत नारायण गिरी को अपने बराबर की सीट पर मंचासीन कराया। बल्कि अपने भाषण में पार्टी के नेता, मंत्रियों और प्रतिनिधियों से पहले उनका नाम सीएम योगी ने लेकर उन्हें सम्मान दिया।
इतना ही नहीं गाजियाबाद वासियों के लिए दूधेश्वर नाथ मंदिर की महत्ता को भांपते हुए सीएम योगी महानगर वासियों को दूधेश्वरनाथ कॉरिडोर बनाने की अपनी योजना की भी घोषणा करने से नहीं चूके। जाहिर है कि इसका सीधा फायदा बीजेपी को कम मतदान के बावजूद बंपर जीत के रूप में देखने को मिला।
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