वकीलों का जेल भरो अभियान: ये काले कोट वाले कहां चले ? जेल चले, भाई, जेल चले

Jail

Jail Bharo Abhiyan: वामपंथियों का एक नारा आजादी से पहले से चला आ रहा था। नारा था कि ये दीवाने कहां चले, जेल चले भाई जेल चले। सरदार भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद औऱ राजगुरू ने भी इस नारे को गुनगुनाया था। लेकिन अब गाजियाबाद के काले कोट वाले इस राह पर चल निकले हैं। सोमवार से वकील जेल भरो आंदोलन की शुरुआत करने जा रहे हैं।

जाहिर है कि इस आंदोलन से चाहें सरकार हो या सरकारी मशीनरी सबकी परेशानियां बढ़ने वाली हैं। सबसे ज्यादा दिक्कत यदि किसी को होने वाली है तो वो है जेलर प्रशासन। क्योंकि आरोपियों की रिहाई कराने वाले पेशे से जुड़े लोग ही अब जेल आने का ऐलान कर चुके हैं। लिहाजा एक महीने से वकीलों की हड़ताल के चलते जेल के जो हालात पहले से ही बिगड़े हैं वहां वकीलों को कायदे-कानून के हिसाब से रखना जेल प्रशासन के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम साबित नहीं होने वाला।

वकीलों ने ये किया है ऐलान

  • मांगों को लेकर 11 अधिवक्ताओं का क्रमिक अनशन जारी रहेगा।
  • विरोध स्वरूप मानव श्रंखला बनाने का काम भी वकील करेंगे।
  • कचहरी परिसर में कोर्ट के बाहर विरोध प्रदर्शन भी जारी रहेगा।
  • कचहरी का कामकाज पूरी तरह बंद रहेगा।
  • काम करते पाए जाने पर वकील की 5 साल के लिए सदस्यता समाप्त होगी।
  • दोपहर एक बजे मानव श्रंखला बनाकर वकील कविनगर थाने कूच करेंगे।
  • जिन वकीलों के नाम FIR में हैं, वे आधार कार्ड और परिचय पत्र साथ लेकर गिरफ्तारी देंगे।
  • लोनी, गाजियाबाद और मोदीनगर तहसीलों पर भी रजिस्ट्री आदि का काम बंद रहेगा।

वकीलों ने आंदोलन के लिए बनाई रणनीति

वकीलों ने आंदोलन के लंबा चलने की आशंका के चलते इस बार पूरी रणनीति के सात काम शुरू कर दिया है। तय किया गया है कि हर दिन आंदोलन को जारी रखने की जिम्मेदारी अलग-अलग वकीलों पर होगी। इसी के तहत सोमवार के आंदोलन में क्रमिक अनशन और धरनास्थल पर रहने के लिए बार एसोसिएशन की तरफ से चेंबर नंबर 251 से 500 तक के वकीलों को जिम्मेदारी दी है। जाहिर है कि हर दिन आंदोलन की बागडोर अलग अलग कचहरी परिसर के वकीलों के जिम्मे रहेगी। जो साफ इशारा कर रहा है कि इस बार वकील आर या पार की रणनीति के साथ मैदान में उतरे हैं।

गिरफ्तारियां प्रशासन पर पड़ेंगी भारी

पिछले एक महीने से ज्यादा समय से चल रही वकीलों की हड़ताल के चलते जिले की Dasna Jail की हालत खराब है। आंदोलन से पहले से ही जिला Jail में कैदियों की संख्या तय मानकों से बहुत ज्यादा थी। आंदोलन शुरू होने के बाद हालात पहले से कई गुना ज्यादा बिगड़ गए हैं। हर दिन पुलिस की अपराधों को लेकर गिरफ्तारियों से जहां कैदियों की संख्या बढ़ रही है। वहीं हड़ताल के चलते रिहाई रुकी हुई है।

ऐसे में यदि वकील भी गिरफ्तारी देकर सोमवार को Jail जाते हैं, तो Jail प्रशासन के लिए जेल में व्यवस्थाओं को संभालना बेहद मुश्किल हो जाएगा। जाहिर है कि इसका सीधा असर Jail प्रशासन पर पड़ेगा।

Jail प्रशासन लगा चुका है समाधान की गुहार

Jail के सूत्रों का दावा है कि जेल प्रशासन की ओर से उच्चाधिकारियों को हालातों से अवगत करा दिया गया है। Jail अधीक्षक की ओर से जेल से जुड़े उच्चाधिकारियों को पत्र और फोन के जरिये अवगत करा दिया गया है कि वकीलों के आंदोलन की वजह से Jail में बंदियों को रखने के इंतजामों में बेहद दिक्कतें पेश आ रही हैं।

अनुरोध किया गया है कि अतिशीघ्र इस स्थिति का कोई सामाधान निकाला जाए। मगर वकीलों के गिरफ्तारी के ऐलान के बाद से जेल प्रशासन परेशान है कि यदि वकील Jail पहुंचते हैं तो उनके लिए अलग से इंतजाम कैसे संभव होंगे ? जबकि हालात पहले से ही Jail में बिगड़े हैं।

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