
Mantri Ji Ki Vidhansabha: सूबे की सबसे बड़ी विधानसभा साहिबाबाद जिसके विधायक योगी सरकार के मंत्री सुनील शर्मा हैं, वहां नशे की लत छुड़ाने की एक दो नहीं बल्कि चार-चार फर्जी दुकानों का संचालन किया जा रहा था। वो भी सबसे बड़ी विधानसभा के महज एक छोटे से इलाके में। सोचिए कि पूरी विधानसभा में ऐसी कितनी फर्जी दुकानें होंगी, जो लोगों को मजबूरी का फायदा उठाकर सालों से लूट रही होंगी। इस पूरे गोरखधंधे का खुलासा हुआ है जिले के स्वास्थ्य विभाग की औचक कार्रवाई में।
नशाखोरी से परेशान हैं, तो ध्यान दें
यदि आपके परिवार का कोई सदस्य किसी भी तरह के नशे की लत का शिकार है। और आप उसकी नशे की आदत छुड़ाने के लिए नशा मुक्ति केंद्रों की मदद लेना चाह रहे हैं। तो जरा संभलकर ! क्योंकि इस जिले में चलने वाली अधिकांश नशा छुड़ाने वाली दुकानें या तो फर्जी हैं। या फिर वहां मरीजों का तरह-तरह से शोषण किया जा रहा है। इस बात का खुलासा खुद जिला स्वास्थ्य विभाग की अचानक की गई छापेमारी में हुआ है।
स्वास्थ्य विभाग की टीम ने ऐसे ही फर्जी चार नशा मुक्ति केंद्रों पर अचानक निरीक्षण किया तो जो बातें निकलकर सामने आईं उन्हें सुनकर औऱ जानकर आप सन्न रह जाएंगे। चारों ही नशा मुक्ति केंद्रों पर न तो लाईसेंस थे औऱ ना ही वे नशा मुक्ति केंद्र चलाने वाले किसी भी मानक को फॉलो कर रहे थे। यहां तक कि केंद्रों में भर्ती मरीजों को भी जमीन पर और अंधेरे कमरों में रखा हुआ था। स्वास्थ्य विभागों ने चारों कथित नशा मुक्ति केंद्रों के संचालकों को नोटिस जारी किया है।
इन नशा मुक्ति केंद्रों पर छापेमारी
गाजियाबाद में जिला स्वास्थ्य विभाग के मानसिक रोग कार्यक्रम के नोडल अधिकारी के नेतृत्व में मंगलवार को स्वास्थ्य विभाग की टीम ने चार कथित नशा मुक्ति केंद्रों का औचक निरीक्षण किया। इनमें न्यू मधुबन चैरिटेबल ट्रस्ट, गांव सिंदरपुर, भौपुरा, वैष्णवी जन कल्याण समिति, कृष्णा विहार भौपुरा, नये विचार फाउंडेशन, कॉटी रोड भौपुरा और सेफ लाईफ ट्रस्ट, लोनी रोड भौपुरा पर औचक निरीक्षण की कार्रवाई की गई।
फर्जी निकले चारों नशामुक्ति केंद्र
स्वास्थ्य विबाग की टीम ने जब संचालकों से इन केंद्रों के संचालन संबंधी कागजात मांगे तो दे नहीं पाए और वहां मौजूद लोग बगलें झांकने लगे। यानि साफ हो कि इनका संचालन अवैध तरीके से किया जा रहा था।
न डॉक्टर, न पैरामैडिकल स्टाफ
निरीक्षण के दौरान इन कथित नशा मुक्ति केंद्रों में न तो कोई डॉक्टर मिला और ना ही कोई पैरामैडिकल स्टाफ। निरीक्षण करने पहुंची टीम के सदस्य भी सकते में थे कि बिना डॉक्टर औऱ पैरामेडिकल स्टाफ के कैसे इन कतित नशा मुक्ति केंद्रों का संचालन किया जा रहा है।
मरीजों की हालत देखकर सहमी टीम
इन कथित नशामुक्ति केंद्रों की पड़ताल के लिए जो टीम मौके पर गई उसमें मौजूद अफसर भी मरीजों की हालत देखकर सकते में आने के साथ-सात सहम गए। जब उन्होंने देखा कि बदहवास हालत में अंधेरे कमरों में पड़े मरीजों के लेटने के लिए बैड तक नहीं थे। मरीजों को सर्दी के मौसम में भी सिर्फ जमीन पर लेटने के ही औपचारिक इंतजाम किए गए थे।
संचालकों पर हो रही विधिक कार्यवाही- नोडल अधिकारी
जिला स्वास्थ्य विभाग के मानसिक रोग कार्यक्रम के नोडल अधिकारी ने बताया कि इन चारों ही कथित नशा मुक्ति केंद्रों के संचालकों के खिलाफ विधिक कार्रवाई शुरू कर दी गई है। नोडल अधिकारी ने बताया कि जल्द ही जिले के अन्य इलाकों में भी चल रहे ऐसे कथित नशा मुक्ति केंद्रों पर भी छापेमारी करने के साथ-साथ उनके खिलाप सख्त से सख्त वैधानिक कार्रवाई की जाएगी।
गाजियाबाद में सैकड़ों फर्जी केंद्र
गौरतलब है कि फिलहाल स्वास्थ्य विभाग की टीम ने सिर्फ ट्रांस हिंडन के महज भौपुरा इलाके में ये कार्रवाई की है। जबकि जिले के अधिकांश पॉश इलाकों से लेकर देहात क्षेत्रों और मलीन बस्तियों तक में इस तरह के कथित नशा मुक्ति केंद्रों का संचालन किया जा रहा है। बकौल स्वास्थ्य विभाग के सूत्र ही बता रहे हैं कि इस तरह के सैकड़ों केंद्र गाजियाबद जनपद औऱ उससे लगी सीमाओं में चल रहे हैं।
मनमाफिक पैसे लेते, नहीं देते मानकों का ध्यान
जिले में कुकुरमुत्तों की तरह खुले ये फर्जी नशा मुक्ति केंद्र नशे की लत के शिकार मरीजों के परिवार वालों से मनमाफिक रकम तो वसूलते हैं। मगर, मानकों के अनुरूप कोई व्यवस्था नहीं करते। स्वास्थ्य विभाग की छापेमारी में भी इस बात का खुलासा हो चुका है। जहां किसी भी नशा मुक्ति केंद्र में न डॉक्टर थे, न पैरामैडिकल स्टाफ और जरूरी सुविधाएं भी गायब थीं।
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