One Nation One Election, तो One Nation One Tax क्यों नहीं ?

One Nation One Election

One Nation One Election” कानून संबंधी प्रस्ताव आज लोकसभा ने पास कर दिया और जेपीसी को भेजने की कवायद चल रही है। मोदी सरकार की इस कवायद का उद्देश्य यह बताया जा रहा है कि देश में चुनाव एक साथ, एक ही समय पर आयोजित हों और देश का खर्च समय सहित बहुत कुछ बचे। यह सोचते हुए यह सवाल उठता है कि अगर, हम चुनावों के लिए एक समान नीति का पालन करने की बात कर रहे हैं, तो क्या देश में टैक्स और अन्य कानूनों में भी ऐसी ही एक समानता होनी चाहिए ?

One Nation One Election पर ये है सरकारी दावा

One Nation One Election” का मुख्य उद्देश्य चुनावी प्रक्रिया को सरल, सस्ता और समय की बचत करने वाला बनाना बताया जा रहा है। कहा जा रहा है कि हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में चुनाव एक ही समय पर होते हैं, तो इससे राजनीतिक प्रक्रिया की निरंतरता बनी रहेगी और चुनाव आयोग को भी एक बड़े पैमाने पर तैयारी करने का मौका मिलेगा। इस विचार के समर्थकों का कहना है कि इससे न केवल चुनावों में खर्च कम होगा, बल्कि देश में राजनीतिक स्थिरता भी बनी रहेगी।

One Nation, One Tax क्यों नहीं ?

One Nation One Election की तरह ही अगर Tax के मामले में भी एक समान नीति होती, तो देशभर के नागरिकों को कई तरह की कठिनाइयों से राहत मिल सकती थी। GST (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) के लागू होने के समय यह कहा गया था कि यह देशभर में समान टैक्स दर लागू करेगा और सभी राज्यों के बीच व्यापार में समानता आएगी। हालांकि, हकीकत इससे कुछ अलग है।

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लेकिन हकीकत ये है..

आज भी अलग-अलग राज्यों में टैक्स की दरें अलग-अलग हैं। उदाहरण के लिए, कुछ राज्य तो टैक्स की दरें बढ़ाने के लिए जानी जाते हैं, जबकि कुछ राज्य इसे कम रखने की कोशिश करते हैं। GST के बावजूद, कुछ वस्तुएं और सेवाएं राज्य स्तर पर विभिन्न दरों पर टैक्स करती हैं, जिससे एक आम नागरिक को भ्रम और समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

डी. गुकेश मामला ही देख लो !

ताजा उदाहरण हैं भारत के युवा शतरंज खिलाड़ी डी. गुकेश का। उन्होंने हाल ही में 11 करोड़ रुपये से ज्यादा की ईनामी राशि जीती। जिससे न केवल उन्होंने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया, बल्कि भारतीय शतरंज की दुनिया में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया। गुकेश का मामला ताजा है जिन्हें सरकारी कायदे-कानूनों के तहत अपनी ईनाम राशि से करीब 40 फीसदी से ज्यादा रकम केवल और केवल टैक्स के रूप में देनी पड़ेगी।हालांकि, उनका यह उदाहरण बताता है कि हमारी युवा प्रतिभाएं अब किसी भी क्षेत्र में अग्रणी बन सकती हैं, लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या सरकारी नीतियों और टैक्स दरों में समानता लाकर इन प्रतिभाओं को और अधिक प्रोत्साहित किया जा सकता है?

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समान नीति होती तो...

जब एक व्यक्ति अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उपलब्धियां हासिल करता है, तो उसे केवल प्रशंसा ही नहीं मिलती, बल्कि उसे एक उचित वित्तीय नीति की भी आवश्यकता होती है। अगर देशभर में टैक्स का एक समान ढांचा होता, तो ऐसे खिलाड़ियों ही नहीं बल्कि वैश्विक ख्याति दिलाने वाले सभी भारतीयों को अपनी कमाई पर कोई अलग-अलग टैक्स नहीं देना पड़ता।  जिसके चलते जाहिर है कि अलग-अलग क्षेत्रों में भी देश का नाम रोशन करने वालों का मनोबल बढ़ता। मगर, हमारी टैक्स नीति पर सरकार की सोच अलग है और चुनावी दृष्टिकोष से अलग। गुकेश का मामला ताजा है जिन्हें सरकारी कायदे-कानूनों के तहत अपनी ईनाम राशि से करीब 40 फीसदी से ज्यादा रकम केवल और केवल टैक्स के रूप में देनी पड़ेगी।

क्या One Nation, One Tax पर गंभीर है सरकार ?

प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार का तर्क ये है कि One Nation One Election से राजनीतिक स्थिरता बनी रहती है और खर्च में कमी आती है। लेकिन सवाल यह है कि अगर यही दृष्टिकोण सही है, तो वही नीति टैक्स के मामले में क्यों नहीं अपनाई जाती? अगर सरकार देश में एक ही समय पर चुनाव करवा सकती है, तो क्या वह देशभर में एक समान टैक्स व्यवस्था लागू नहीं कर सकती?

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ये कहते हैं जानकार

जानकारों की मानें तो “One Nation One Election” के विचार को लागू करने की दिशा में सरकार को सराहा जा सकता है, लेकिन “One Nation One Tax” की नीति पर विचार करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। अगर हम यह चाहते हैं कि भारत हर क्षेत्र में समान विकास और अवसर का अनुभव करे, तो हमें टैक्स और अन्य कानूनी नीतियों में भी समानता लाने की आवश्यकता है। एक समान टैक्स प्रणाली से न केवल व्यापार और निवेश को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि आम नागरिक को भी आर्थिक राहत मिलेगी।

अपना नफा-नुकसान भूल समान नीति बनाए सरकार

कुल मिलाकर, यह समय है जब सरकार को एक स्थिर और समान नीति बनाने की आवश्यकता है, जो चुनाव, टैक्स और अन्य कानूनों में समानता सुनिश्चित करें, ताकि देश का विकास और समृद्धि हर नागरिक के लिए सुलभ हो सके। जानकारों का साफ कहना है कि सरकार को अपने नीजि फायदों और नुकसानों को भूलकर वन नेशन वाले मुद्दे पर हर तरफ ध्यान देना होगा। तब ही हम दुनिया को अपना लोहा मनवा सकते हैं।

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