Khaki: अधिकारी को रिश्वत के नाम पर २ लाख ठगने वाले को संरक्षण क्यों ?

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Don’t have hopes from Khaki:  एक वक्त था जब Khaki पर छोटे से छोटा दाग लगाने की कोशिश करने वालों का जबरदस्त इलाज किया जाता था, चाहे वह कानून के दायरे में रहकर हो या फिर उससे बाहर जाकर। मगर आजकल गाजियाबाद में बेपरवाह हो चुकी Khaki उन्हीं लोगों को संरक्षण देने का काम कर रही है, जो Khaki पर दाग लगा रहे हैं। ताजा मामला 10 लाख रुपये की ठगी का है।

एक शख्स के साथ 10 लाख की ठगी होती है। शिकायत करते-करते थक चुके पीड़ित से Khaki के जरिए न्याय दिलाने और ठगी गई रकम वापस दिलाने के नाम पर एक जालसाज दो लाख रुपये लेता है। जालसाज बताता है कि यह रकम गाजियाबाद के एक पुलिस अफसर को देनी है। दो लाख रुपये लेने के बाद वह फरार हो जाता है।

पीड़ित किसी तरह Khaki पर दाग लगाने वाले के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने में कामयाब होता है। मगर थाना पुलिस की करतूत देखिए कि दर्ज एफआईआर से Khaki को बदनाम करने वाले के बारे में जानकारी को ही छिपा दिया गया।

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ये है मामला

राजनगर एक्सटेंशन की फोरचुयन रेजिडेंसी में रहने वाले संजीव कुमार ने अपने एक परिचित विपिन शर्मा को बेटी की शादी के लिए 10 लाख रुपये उधार दिए थे। कुछ महीनों बाद जब यह रकम वापस नहीं मिली, तो संजीव ने गाजियाबाद पुलिस के उच्चाधिकारियों से शिकायत की। इसी दौरान डॉ. विजयपाल नाम के व्यक्ति ने संजीव से संपर्क किया। उसने अपने पुलिस अधिकारियों से संबंध होने का दावा किया और काम कराने के लिए 2 लाख रुपये मांगे।

रकम लेने के बाद से डॉ. विजयपाल न तो संजीव का फोन उठा रहा है और न ही वायदे के मुताबिक 10 लाख रुपये वापस दिला रहा है। मामला उच्चाधिकारियों के संज्ञान में आने के बाद नंदग्राम पुलिस ने एफआईआर दर्ज की।

आखिर क्यों आरोपियों को बचा रही नंदग्राम पुलिस?

नंदग्राम पुलिस द्वारा दर्ज की गई रिपोर्ट में न तो 10 लाख ठगने वाले विपिन शर्मा का कोई नाम-पता है और न ही पुलिस अधिकारियों से सेटिंग कराने के नाम पर 2 लाख रुपये लेने वाले डॉ. विजयपाल की जानकारी। यही नहीं, पुलिस ने जानबूझकर पीड़ित का नंबर और घटना का दिन व वक्त भी एफआईआर में दर्ज नहीं किया है। सिर्फ दो लाख रुपये लेने की तारीख 29 नवंबर जरूर दी गई है।

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कोतवाल बोले- "नहीं पता कौन है विजयपाल"

हैरानी की बात यह है कि जब नंदग्राम के प्रभारी निरीक्षक से इस मामले में बात की गई, तो उन्होंने कहा कि उन्हें केस दर्ज करने की जानकारी है। मगर, पुलिस अफसरों को रिश्वत देने के मामले का आरोपी विजयपाल कौन है और कहां का रहने वाला है, यह उन्हें नहीं पता।

पहले भी "Khaki" पर लगते रहे हैं दाग

गाजियाबाद में पुलिस अफसरों के नाम पर रिश्वत लेने का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी ऐसे कई मामले सामने आए हैं। मगर सवाल यह है कि Khaki को दागदार करने वालों के खिलाफ कार्रवाई के मामले में खुद कोतवाल स्तर के अफसर इतने बेपरवाह कैसे हो सकते हैं? उच्चाधिकारियों द्वारा मामला दर्ज कराने के बावजूद उन्हें यह नहीं पता कि लाखों की वसूली करने वाला कौन है?

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