
Be BJP Do Fraud: विपक्षी जो आरोप केंद्र-प्रदेश की सत्ता पर काबिज बीजेपी पर लगाते हैं और कहते हैं कि बीजेपी वॉशिंग मशीन है, उसमें जाकर सबके पाप धुल जाते हैं और वो ईमानदार और राष्ट्रवादी हो जाता है। विपक्ष के इन आरोपों को सच करता एक मामला सामने आया है बीजेपी के एक पार्षद महोदय का। पार्षदजी ने फर्जी प्रमाण पत्र बनवाकर चुनाव लड़ा। सरकारी जांच में साबित भी हो गया कि प्रमाण पत्र Fraud है। मगर, सरकारी मशीनरी मामले में एफआईआर कराने से इनकार कर रही है। सवाल पूछना लाजमी है कि आखिर क्यों?
ये है मामला
दरअसल, पिछले दिनों नगर निगम के चुनाव के दौरान वार्ड 26 एससी रिजर्व सीट पर बीजेपी ने राजकुमार केबल वाले को अपना उम्मीदवार बनाया था। राजकुमार ने खुद के एससी होने का प्रमाण पत्र भी नामांकन पत्र के साथ दाखिल किया था। चुनाव के नतीजों में दूसरे नंबर पर रहे निर्दलीय उम्मीदवार सुरेश गुरुजी ने राजकुमार के जाति प्रमाण पत्र को चुनौती देते हुए उनकी पार्षदी रद्द करने की मांग की थी। लंबी जद्दोजहद के बाद जाति प्रमाण पत्र की जांच भी सरकारी स्तर पर हुई।
जांच में प्रमाण पत्र Fraud साबित भी हो गया। मगर, प्रशासन ने आज तक प्रकरण में एफआईआर दर्ज नहीं कराई। हालांकि पीड़ित ने सूचना अधिकार कानून के तहत मामले में कार्रवाई करने का अनुरोध किया और अपडेट मांगा, तो भी ये कहकर टहला दिया गया कि जानकारी दिया जाना संभव नहीं है।
एससी आयोग को भी नहीं दिया जवाब

गौरतलब है कि इसी मामले में एससी आयोग के निदेशक ने भी जिलाधिकारी कार्यालय से जानकारी मांगी थी कि जब जांच में Fraud साबित हो चुका है, तो दोषी के खिलाफ केस रजिसटर्ड क्यों नहीं किया गया? जिलाधिकारी कार्यालय की ओर से उनके पत्र का छोड़िए, उनके रिमाइंडर का भी जवाब नहीं भेजा गया, जिसमें 10 दिन के भीतर जवाब देने के निर्देश दिए गए थे। जाहिर है कि मामला बीजेपी के पार्षद से जुड़ा है। इसीलिए मामले में केस रजिस्टर्ड नहीं कराया गया।
जिलाधिकारी ने दिए थे एफआईआर के निर्देश
सनद रहे कि इसी मामले के एससी-एसटी आयोग की जिला कमेटी की बैठक के दौरान जिलाधिकारी इंद्र विक्रम सिंह ने Fraud करने वाले पार्षद राजकुमार को न सिर्फ लताड़ा था, बल्कि बैठक के दौरान ही संबंधित अफसरों को मामले में एफआईआर दर्ज कराने को कहा था। बाकायदा इस बाबत जिले के सूचना अधिकारी की ओर से मीडिया को समाचार भी भेजा गया था, जिससे इस बात की पुष्टि हुई थी। बावजूद इसके महीनों बीतने के बावजूद केस रजिस्टर्ड न होना साफ बताता और जताता है कि सत्तारूढ़ दल के दबाव के चलते सरकारी मशीनरी मामले में कोई एक्शन नहीं ले पा रही।
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कोर्ट में भी विचाराधीन है मामला
इस प्रकरण में सरकारी स्तर पर बरती जा रही ढिलाई से आजीज आकर शिकायतकर्ता सुरेश गुरुजी ने जिला न्यायालय में एक केस भी दर्ज करा रखा है। उस केस में अगली सुनवाई इसी महीने की 28 तारीख को होनी है। कोर्ट में भी प्रशासन की तरफ से रिपोर्ट भेजकर ये जानकारी दी गई है कि जांच में राजकुमार का जाति प्रमाण पत्र Fraud पाया गया है। मगर, इस सवाल का अब तक कोई जवाब नहीं दिया गया है कि जांच में Fraud साबित होने के बाद भी राजकुमार के खिलाफ कोई एक्शन क्यों नहीं लिया गया?
पार्षदजी और पूर्व पार्षदजी करा रहे काम
भूड़ भारत नगर, रामपुरी, सुंदरपुरी, माधोपुरा और गऊपुरी का रेलवे लाइन से सटा इलाका वार्ड नंबर 26 में आता है। इस वार्ड में पूर्व पार्षद सुनील यादव रहे हैं, जबकि वर्तमान पार्षद राजकुमार भी बीजेपी से ही हैं। वार्ड में विकास के काम की बात की जाए तो जबसे पार्षद के प्रमाण पत्र का विवाद चला है, तबसे इस इलाके में विकास कार्यों संबंधी कोई टेंडर डाला ही नहीं गया है। मगर, निगम के सूत्र बताते हैं कि निगम अफसरों की मदद से वर्तमान और पूर्व पार्षद इलाके में कुछ चुनिंदा जगहों पर ही विकास के कार्य करा रहे हैं। इस बात से लोगों में खासी नाराजगी भी है।
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