
Modi-Yogi Ji Do Something: बेटी बचाओ, बेटी पढाओ का नारा देने वाली केंद्र और प्रदेश की सरकारों के साथ पीएम मोदी और सीएम योगी का भी सारा फोकस महिला सुरक्षा पर है। बावजूद इसके सूबे के मुख्यद्वार यानि गाजियाबाद में महिला अपराधों पर नकेल नहीं लग पा रही।
इसकी बानगी दो हालिया वारदातें बता रही हैं जिनमें से एक थाने से चंद कदम की दूरी पर नशे में धुत तीन बदमाशों के मां-बेटे से मारपीट और बेटे के सामने महिला से बदसलूकी की वारदात है तो दूसरी भाजपा की जिला स्तर की नेता के साथ छेड़छाड़ और विरोध पर उनके पति से मारपीट की घटना। ये वारदातें बताने को काफी हैं कि असामाजिक तत्वों की निगाह में खाकी का खौफ बढ़ नहीं रहा बल्कि कम हो रहा है।
वारदात-1
थाने के पास मां से छेड़छाड़, बेटे को पीटा

कोतवाली विजयनगर के बिहारीपुरा का रहने वाला एक युवक किसी काम से बीते शनिवार को कैलाश नगर आया था। स्कूटी पर उसके साथ उसकी मां भी थीं। युवक रात करीब साढ़े 11 बजे जैसे ही थाना रोड पर ही थाने से चंद कदम की दूरी पर स्थित संजीवनी अस्पताल के ठीक सामने पहुंचा शराब के नशे में धुत तीन युवक उसकी स्कूटी के सामने आ गए। युवक ने उन्हें बचाते हुए स्कूटी रोक दी।
नशे में धुत युवकों ने न सिर्फ युवक की मौजूदगी में ही उसकी मां के साथ गाली-गलौच और बदसलूकी की, बल्कि उनके साथ छीना-झपटी भी की। विरोध करने पर युवक को नशेड़ियों ने जमकर पीटा। हालाकि पुलिस ने तहरीर के आधार पर तीन अज्ञात लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली है। मगर, बड़ा सवाल ये कि क्या थाने से चंद कदम की दूरी पर कानून व्यवस्था का ये हाल तो बाकी इलाके में हालात क्या होंगे ?
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वारदात-2
भाजपा नेता से छेड़छाड़, पति की पिटाई

लोनी बॉर्डर इलाके की कालोनी में एक बीजेपी की जिला स्तर की महिला नेता के साथ एक युवकों के झुंड ने बदसलूकी की। विरोध करने पर न सिर्फ उन युवकों ने भाजपा नेत्री के पति को जमकर पीटा, बल्कि महिला नेता की भी भी पिटाई की। विरोध करने आए मुहल्ले के लोगों को भी उपद्रवियों ने नहीं बख्शा। ये हम नहीं कह रहे, बल्कि बुधवार को थाने में मौजूद दर्जनों महिला-पुरूषों और खुद बीजेपी के विधायक नंदकिशोर गूर्जर ने ये सब कहा। जाहिर है कि यदि ऐसी स्थिति है तो ये रामराज तो बिल्कुल नहीं है।
निश्चित तौर पर कानून व्यवस्था में उच्चाधिकारियों की नकेल कुछ ढीली है, तब ही नीचे के अफसर और कर्मचारी इस तरह खाकी का इकबाल कुंद कर रहे हैं। जिला कमिश्नरेट सिस्टम पर चल रहा है। सीएम योगी ने इस जिले में बढ़ते अपराधों को रोकने के उद्देश्य से ही ये नई व्यवस्था लागू कराई थी। मगर, जिस तरह की घटनाएं कमिश्नरेट सिस्टम को लागू होने के इतने दिन बाद भी सामने आ रही हैं, कम से कम उन्हें देखकर तो नहीं कहा जा सकता कि रामराज का सपना देखने वाले हमारे देश के प्रदानमंत्री मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ की उम्मीदों के मुताबिक जिले में खाकी काम कर रही है।
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कमिश्नर साहब ! ध्यान दो, पेच भी कंसने होंगे

इस जिले में कमिश्नरेट सिस्टम लागू करते वक्त पुलिस कमिश्नर के पद पर जिस सीनियर आईपीएस को सीएम योगी की सरकार ने भेजा था, जाहिर है कि ये सोचकर ही भेजा होगा कि कानून व्यवस्था के लिहाज से नतीजे संतोष जनक नहीं बल्कि अपेक्षाओं से भी बेहतर होंगे। कई मामलों में संदेह नहीं कि सुधार हुआ है।
मगर, महिला सुरक्षा जैसे गंभीर मुद्दे पर यदि जिले में आज भी ये हालात हैं तो क्या फायदा है पिंक बूथ बनाने का। थाने में महिला पुलिसकर्मियों को बैठाने का। जबकि हकीकत में सड़कों और चौराहों तिराहों पर ही असामाजिक तत्वों में खाकी का इकबाल बुलंद नहीं है। निश्चित तौर पर उच्चाधिकारियों को इस ओर गंभीर चिंतन-मनन करने की जरूरत है।
कमिश्नर पर फिर बरसे नंदकिशोर

हालाकि इस मामले में पुलिस का क्या कहना है ये जानने का प्रयास किया गया। मगर, हमेशा कि तरह अफसरों पर वक्त नहीं था। लिहाजा, बीजेपी के विधायक नंदकिशोर गूर्जर के आरोपों को मानें तो उनका कहना है कि लोनी में पुलिस को कानून व्यवस्था दुरूस्त कराने के अलावा बाकी सारे काम हैं। उनका कहना है कि कमिश्नर की लापरवाही को योगीजी तक पहुंचाया ही नहीं जाता। लखनऊ में जो उच्चाधिकारी बैठे हैं, वो गलत फीडबैक देकर योगीजी को भ्रमित करते हैं।
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