
Kaushambi Murder Case: जिस रात पूरी दुनिया नये साल के आगाज के लिए जश्न मना रही थी, उसी दौरान एक बेटी अपनी अस्मत बचाने के लिए संघर्ष कर रही थी। अस्मत लूटने वाला एक होता तो भी वो खुद को बचा लेती। मगर उनकी संख्या एक से ज्यादा थी इसी वजह से कान काट देने, करीब एक दर्जन से ज्यादा छाती और पेट में हुए चाकू के वार रोकने के लिए उसकी हथेलियां न कटतीं।
सीसीटीवी फुटेज भले ही पुलिस को ये साबित करने के लिए राहत देने वाली हो कि जिस आरोपी को नामजद किया गया है उसके साथ युवती अपनी मर्जी से पार्क में दाखिल हुई थी। मगर, पार्क में उसके साथ जो हुआ वो पोस्टमॉर्टेम रिपोर्ट बताने को काफी हैं।
3 डॉक्टर्स के पैनल ने किया पोस्टमॉर्टेम
नये साल से पहले बीते साल की आखिरी रात में हुई इस सनसनीखेज वारदात की शिकार बनी युवती का पोस्टमॉर्टेम वीरवार की दोपहर हुआ। ये पोस्टमॉर्टेम तीन डॉक्टर्स के पैनल ने किया। पैनल में एक महिला डॉक्टर भी मौजूद रही। जबकि पोस्टमॉर्टेम की वीडियोग्राफी भी की गई। करीब पांच बजे पोस्टमॉर्टेम हाऊस पर मौजूद पुलिसकर्मियों को सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट सोंपी गई। जो शाम तक उच्चाधिकारियों के पास पहुंच गई।
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पोस्टमॉर्टेम रिपोर्ट बता रही संघर्ष की कहानी
पुलिस और चिकित्सा विभाग के सूत्रों की मानें तो इस वारदात की शिकार बनी युवती के शरीर पर पोस्टमॉर्टेम के दौरान चाकू के करीब एक दर्जन वार मिले हैं। इनमें उसके गले और हाथों के अलावा छाती औऱ पेट पर चाकू के वार हैं। यही नहीं चाकू के वार से युवती के लंग्स, किड़नी डेमेज हो चुके थे। जबकि उसकी चेस्ट पर भी धारदार चोटें थीं। इतना ही नहीं युवती के कान भी चाकू से काटने के निशान मिले।
पोस्टमॉर्टेम रिपोर्ट में युवती की मौत 31 दिसंबर की रात में ही होना पाया गया है। पोस्टमॉर्टेम रिपोर्ट से ही ये साफ पता चला है कि युवती ने अपने साथ हुई वारदात का विरोध करने के दौरान अपने ऊपर हुए चाकू के वार को भी हाथों से रोकने की कोशिश की, जिससे उसके हाथों पर भी धारदार हथियार की चोटें लगी हैं। इतना ही नहीं युवती के साथ रेप होने की पुष्टि भी जाहिरा शव के हालातों को देखने से साफ दिखाई दी।
रेप की पुष्टि के लिए स्लाईड लैब भेजी
हालाकि साफ है कि वारदात से पहले युवती का यौन शोषण भी हुआ है। मगर, डॉक्टर्स के पैनल ने इसकी पुष्टि के लिए स्लाइड्स को लैब में जांच के लिए भेजा है। उसकी रिपोर्ट आने के बाद ही अधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि की जाएगी।
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पोस्टमॉर्टेम में देरी की वजह सवाल उठा रही
31 दिसंबर की रात हुई वारदात की पुलिस को 1 जनवरी की सुबह ही जानकारी हो गई थी। बावजूद इसके शव का पोस्टमॉर्टेम 2 जनवरी की दोपहर करीब तीन बजे हुआ। इस तरह की सनसनीखेज वारदात में भी पुलिस का पोस्टमॉर्टेम कराने में इतनी लेट-लतीफी दिखाना कई तरह के सवाल खड़े कर रहा है। जाहिर है कि इसका जवाब उच्चाधिकारी ही बेहतर तरीके से दे पाएंगे।
क्या कोई डिलीवरी ब्वॉय भी था वारदात में शामिल?
हालाकि उच्चाधिकारी अभी रेप की घटना से भी इंकार कर रहे हैं और घटना में एक से ज्यादा लोगों के शामिल होने पर भी चुप हैं। मगर पोस्टमॉर्टेम रिपोर्ट से ये तो साफ हो गया है कि वारदात जिस वैहशियाना तरीके से की गई है, वह केवल एक शख्स तो नहीं कर सकता। उधर, पुलिस ने घटना वाली रात की जो सीसीटीवी फुटैज खंगाली है, उससे भी साफ है कि वारदात के दौरान एक डिलीवरी ब्वॉय पार्क के बाहर चक्कर काटता दिखाई दे रहा है।
हालाकि उसके पार्क में जाने की बात से अफसर इंकार कर रहे हैं। मगर, मामले के नामजद आरोपी की गिरफ्तारी के बाद ही हकीकत से पर्दा उठेगा। लेकिन ये कब तक होगा ये पुलिस अफसर ही बेहतर बता सकते हैं। बहरहाल, इस मामले में एसीपी स्वतंत्र देव सिंह का जो बयान वाला वीडियो सामने आया है उसके मुताबिक पांच टीमें इस सनसनीखेज वारदात का खुलासा करने और आरोपी की गिरफ्तारी में लगी हैं। वो कबतक इस वारदात की परत-दर परत खोल पाती हैं। ये देखना होगा।
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भले वक्त लगे, दोषी बचे नहीं, निर्दोष नापा न जाए

दिल्ली से सटे गाजियाबाद के पॉश इलाके में हुई इस सनसनीखेज वारदात ने हालाकि पुलिस के सुरक्षा के तमाम दावों पर सवाल उठाया है। पॉश इलाके के पार्क में 31 दिसंबर की रात इस तरह की वारदात होना पुलिस की चौकसी और निगरानी पर तो सवाल उठा ही रही है, बल्कि ये भी सोचने पर मजबूर कर रही है कि जब पॉश इलाके में इस तरह की वारदात को एक सरकारी पार्क में खुलेआम अंजाम दिया जा सकता है, तो बाकी इलाकों में सुरक्षा किस तरह की होगी ?
लेकिन फिलहाल इस तरह के सवालों की बजाय जरूरत इस बात की है कि इस सनसनीखेज कांड का सही खुलासा हो, सही आरोपी पकड़े जाएं। कोई निर्दोष खुलासे के दवाब में जेल भेजा न जाए। और इस तरह के जघन्य अपराध में कोई भी दोषी किसी भी तरह के दवाब में छोड़ा न जाए।
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