
Abhinav Arora Dispute: Rambhadracharya Ji जैसे शांतचित और मृदुभाषी संत को जिस बच्चे को मूर्ख कहकर मंच से उतारना पड़ा, 10 साल के Abhinav Arora नाम के उस बच्चे की पहले सात्विक वीडियो और अब उल-जुलूल हरकतों वाली वीडियोज ने सोशल मीडिया पर उन्हें ट्रोल कर रखा है। आप सोचिए कि क्या इसके पीछे सिर्फ उस मासूम का दोष है या फिर उसके साथ-साथ ऐसी हरकतों को सोशल मीडिया पर अपने बच्चों से कराते नजर आ रहे परिवार वाले भी इसके जिम्मेदार हैं ?
ये है Abhinav Arora
Abhinav Arora, जिनकी उम्र मात्र 10 वर्ष है, सोशल मीडिया पर “बाल संत” के रूप में लोकप्रिय हैं। भगवान कृष्ण और राधा पर केंद्रित उनकी भक्ति और प्रवचनों की वीडियो पोस्ट्स को लाखों दर्शक पसंद करते हैं।
Abhinav Arora Dispute पर ताजा अपडेट

हालांकि, उनके हाल के वीडियो में कुछ अनियमितताएं और कृत्रिमता नजर आई, जिससे सवाल उठने लगे हैं कि क्या Abhinav Arora वास्तव में इन विचारों को समझते हैं या यह केवल उनके पिता की इच्छाओं का परिणाम है। जब Swami Ramabhadracharya ने Abhinav Arora को मंच से हटाया और उन्हें “मूर्ख” कहकर संबोधित किया, तब यह विवाद और गहरा हो गया। Swami Ramabhadracharya ने कहा कि Abhinav Arora का मंच पर अनुचित तरीके से जयकारे लगाना और बार-बार हरकतें करना संतुलित नहीं था, जो एक संत के व्यवहार के विरुद्ध है।
Abhinav Arora के पिता पर आरोप
Abhinav Arora के पिता Tarun Raj Arora पर आरोप है कि वे Abhinav को धार्मिक प्रवचनों के लिए प्रशिक्षित कर रहे हैं, ताकि उनका आध्यात्मिक पक्ष व्यापार के रूप में प्रस्तुत हो सके। कई लोगों ने दावा किया कि तरुण अपने व्यक्तिगत व्यवसायिक हितों के लिए अभिनव का उपयोग कर रहे हैं। Youtuber Ankit ने एक वीडियो में Abhinav Arora को मोबाइल इस्तेमाल करते हुए दिखाया और यह भी आरोप लगाया कि Abhinav को बातचीत और धार्मिक बातें रटाई गई हैं, जिससे उनका स्वाभाविक विकास बाधित हो रहा है।
सोशल मीडिया और बाल उत्पीड़न बना मुद्दा
सोशल मीडिया पर Abhinav Arora के अनुयायी उनकी भक्ति को लेकर अलग-अलग प्रतिक्रिया दे रहे हैं। कई का कहना है कि Abhinav Arora को साधारण बच्चे की तरह व्यवहार करने और स्कूल जाने की स्वतंत्रता मिलनी चाहिए। कुछ कमेंट्स में लगातार पूछा जाता है कि वह “आज स्कूल क्यों नहीं गए,” जिससे उनके शिक्षा और सामान्य जीवन को लेकर भी चिंताएं बढ़ती हैं।
कई विशेषज्ञ इसे बाल उत्पीड़न के रूप में देख रहे हैं। उनका मानना है कि एक बच्चे के बचपन को उसकी इच्छाओं के विरुद्ध ढालना और सोशल मीडिया पर “वायरल” करवाना उसके मानसिक और सामाजिक विकास को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है। हालाकि अभिनव ही क्यों अपने दूधमुंहे बच्चों से ही सैकड़ों नहीमं बल्कि हजारों पैरेंट्स सोशल मीडिया पर लाभ लेने के लिए ये सब कर और करा रहे हैं।
मनोचिकित्सक भी मानते हैं गलत
बाल मनोविज्ञान से जुड़े विशेषज्ञों ने चिंता व्यक्त की है कि इस प्रकार की गतिविधियां बच्चों को मानसिक और भावनात्मक रूप से कमजोर बना सकती हैं, जिससे उनमें आत्म-चेतना और आत्म-सम्मान की कमी हो सकती है।
उठ रही है सख्त कानून की मांग
ये मामला इस समय बहस का मुद्दा बन गया है और इससे जुड़े कई लोग बाल कल्याण मंत्रालय और मानवाधिकार संगठनों से तत्काल कदम उठाने की मांग कर रहे हैं। लोगों का मानना है कि सोशल मीडिया पर बच्चों के उपयोग को लेकर सख्त कानून बनाए जाने चाहिए, ताकि अभिभावक अपने बच्चों का उपयोग केवल लोकप्रियता और पब्लिसिटी के लिए न करें। कुछ मानवाधिकार संगठनों ने बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए इस प्रकार के ऑनलाइन कंटेंट पर प्रतिबंध लगाने की भी सिफारिश की है।
Supreme Court पहुंचा Abhinav का परिवार
Abhinav Arora Dispute में अब एक नया मोड़ आया है, जिसमें सोशल मीडिया पर मशहूर बाल संत अभिनव ने कानूनी कदम उठाते हुए Supreme Court के वरिष्ठ वकील Dr. Kislay Pandey को अपने केस में नियुक्त किया है। यह कदम उन्होंने जगद्गुरु रामभद्राचार्य की मंच से मिली फटकार के बाद उठाया, जिसकी वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गई और जिसके चलते अभिनव को ट्रोलिंग और आलोचनाओं का सामना करना पड़ा।
कई Youtubers ने अभिनव के खिलाफ वीडियो बनाकर उन्हें “फ्रॉड बाबा” या “बाबा कल्चर से प्रभावित बच्चा” बताया। इस विवाद में, अभिनव अरोड़ा की मां, ज्योति अरोड़ा ने कानूनी संरक्षण के लिए यह कदम उठाया, क्योंकि उन्हें डर है कि यह ट्रोलिंग उनके बच्चे की मानसिक और शारीरिक सुरक्षा को खतरे में डाल सकती है। वकील डॉ. पांडेय ने एक साक्षात्कार में बताया कि अभिनव को हाल ही में जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं, और सोशल मीडिया पर उनके खिलाफ एक संगठित अभियान चलाया जा रहा है।
प्रकरण ने उठाया नया सवाल
इस मामले में अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या यह कानूनी प्रक्रिया सीधे स्वामी रामभद्राचार्य के खिलाफ है या यह सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही ट्रोलिंग और धमकियों के खिलाफ है। अभिनव का परिवार इस मामले में न्याय पाने और अपने बच्चे की सुरक्षा सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहा है। यह मामला बाल संतों की सुरक्षा, बच्चों के अधिकारों और सोशल मीडिया पर बच्चों के उत्पीड़न से जुड़े मुद्दों पर विचार करने के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत है, जिससे सरकार और बाल अधिकार संगठनों को ऐसे मामलों में ठोस कदम उठाने की जरूरत है।