
UP By-Election 2024 की नौ सीटों में से सबसे हॉट मानी जाने वाली गाजियाबाद विधानसभा सीट पर नाम वापसी 30 अक्टूबर तक होनी है, मगर देखिए चुनावी ऊंट कैसे करवट बदल रहा है। विधायक बनने का सपना देखने वाले 30 लोगों में से 11 तो नामांकन ही नहीं कर पाए। जिन 19 ने किया उनमें से भी 2 ने बीजेपी विधायक के पक्ष में समर्थन का ऐलान कर दिया। एक निर्दलीय प्रत्याशी शमशेर राणा को भी धमकियां आने लगी है। उधर, ओवेसी की पार्टी से नामांकन करने वाले रवि गौतम का तो कार्यालय भी सरकारी अनुमति नहीं मिलने की वजह से अब तक खुल नहीं पाया है।
हॉट सीट पर पल-पल बदल रही तस्वीर
गाजियाबाद विधानसभा सीट का उप-चुनाव उत्तर प्रदेश के नौ महत्वपूर्ण उप-चुनावों में सबसे अधिक चर्चित हो रहा है। विभिन्न राजनीतिक दलों के उम्मीदवार और निर्दलीय प्रत्याशी इस सीट के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। नामांकन की अंतिम तिथि तो समाप्त हो चुकी है, लेकिन नाम वापस लेने की अंतिम तिथि 30 अक्टूबर है। ऐसे में प्रत्याशियों की संख्या और उनके समर्थन में लगातार बदलाव देखे जा रहे हैं, जिससे चुनावी तस्वीर रोज़ नई करवट ले रही है।
UP By-Election 2024: कितने प्रत्याशी मैदान में?
इस उप-चुनाव के लिए कुल 30 उम्मीदवारों ने विधायक बनने का सपना देखा था, लेकिन अंतिम समय तक केवल 19 ही अपना नामांकन दाखिल कर सके। इनमें से 11 उम्मीदवार पहले ही मैदान से बाहर हो चुके हैं क्योंकि वे नामांकन की प्रक्रिया को पूरा नहीं कर सके। यह आंकड़ा ही बताता है कि चुनाव की दौड़ में बने रहने के लिए सभी प्रत्याशियों को किस प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
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बीजेपी को मिला कुछ निर्दलीयों का समर्थन
UP By-Election 2024 में खड़े 19 उम्मीदवारों में से दो ने अपनी स्थिति बदलते हुए बीजेपी विधायक संजीव कुमार के पक्ष में समर्थन व्यक्त कर दिया है। इनमें वैश्य समाज की कई संस्थाओं औऱ संगठन से जुड़े वी.के.अग्रवाल और एक हिंदू संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सत्यम शर्मा उर्फ सत्यम पंडित हैं। दोनों उम्मीदवारों ने ही आज बीजेपी के चुनाव कार्यालय पर जाकर अपना समर्थन बीजेपी प्रत्याशी संजीव शर्मा को देने का ऐलान कर दिया। यह समर्थन बीजेपी के लिए अहम साबित हो सकता है, क्योंकि निर्दलीय प्रत्याशियों का साथ मिलने से उनका मत प्रतिशत मजबूत हो सकता है।
हालांकि, इस समर्थन के पीछे क्या राजनीतिक समझौते या कारण रहे हैं, इसकी अभी तक कोई आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है। लेकिन वीके अग्रवाल जहां वैश्य समाज का वोट लेकर संजीव को ही नुकसान पहुंचाते, वहीं ब्राहमण और हिन्दूवादी नेता होने की वजह से सत्यम भी बीजेपी प्रत्याशी का ही वोट काटते। लिहाजा ये घटनाक्रम बीजेपी उम्मीदवार के लिए किसी बड़ी राहत से कम नहीं है।
निर्दलीय उम्मीदवार को धमकी

एक ओर जहां दो निर्दलीय उम्मीदवार बीजेपी के पक्ष में समर्थन कर चुके हैं, वहीं दूसरी ओर निर्दलीय प्रत्याशी शमशेर राणा का दावा है कि उन्हें चुनावी प्रक्रिया के दौरान धमकियां मिल रही हैं। यह मुद्दा अब गंभीर रूप लेता जा रहा है, क्योंकि चुनाव के दौरान उम्मीदवारों की सुरक्षा बेहद अहम होती है। शमशेर राणा ने सुरक्षा की मांग उठाई है, ताकि वे बिना किसी भय के चुनावी प्रक्रिया में शामिल हो सकें। इस बाबत उनके शिकायत करने पर प्रशासन की ओर से ठोस कार्रवाई करने का आश्वासन भी दिया गया है।
AIMIM उम्मीदवार के प्रचार में अड़चन

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन (AIMIM) पार्टी के उम्मीदवार रवि गौतम के लिए चुनावी राहें आसान नहीं हैं। उन्होंने नामांकन तो कर दिया है, लेकिन अभी तक उन्हें चुनावी कार्यालय खोलने की सरकारी अनुमति नहीं मिल पाई है। यह मुद्दा अब चर्चा का विषय बन गया है, क्योंकि एक पार्टी प्रत्याशी का कार्यालय न खुल पाना उसके प्रचार अभियान पर सीधा प्रभाव डालता है। कार्यालय न खुल पाने के कारण रवि गौतम का प्रचार कार्य प्रभावित हो रहा है और उन्हें समर्थकों तक पहुँच बनाने में कठिनाई हो रही है। रवि गौतम मुस्लिम बाहुल्य इलाके कैला भट्टा में चौराहे पर अपना कार्यालय खोलना चाहते थे। उन्हें प्रशासन ने इसकी अनुमति नहीं दी।
इसलिए नहीं मिली अनुमति

दरअसल, पिछले दिनों यति नरसिंहानंद के विवादित बयान को लेकर जिले में पैदा हुए सांप्रदायिक तनाक के दौरान रवि गौतम ने यति के खिलाफ कैला भट्टा चौक प्र प्रदर्शन किया था। प्रदर्शन के दौरान उन्होंने यति को एनएसए के तहत निरूद्ध करने के साथ उनकी गिरफ्तारी की मांग की थी। इस मामले में रवि गौतम के खिलाफ शांत भंग करने और इलाके का सांप्रदायिक सोहार्द बिगाड़ने के आरोप में रिपोर्ट भी दर्ज की गई थी। प्रशासन ने उसी प्रकरण को ध्यान में रखते हुए उसी कैला भट्टा इलाके में चुनाव कार्यालय खोलने की अनुमति देने से इंकार कर दिया है।
अभी और करवट बदलेगा चुनावी ऊंट
गाजियाबाद में UP By-Election 2024 की यह स्थिति एक दिलचस्प मोड़ पर है। राजनीतिक समर्थन का बदलना, निर्दलीय उम्मीदवारों का सामना करना पड़ रहा खतरा, और सरकारी अनुमति में बाधा जैसे मुद्दे बताते हैं कि यह चुनाव कितना चुनौतीपूर्ण है। 30 अक्टूबर तक नामांकन वापसी का समय है, ऐसे में चुनावी स्थिति में और भी बदलाव देखने को मिल सकते हैं।गाजियाबाद विधानसभा की यह चुनावी दंगल न केवल उम्मीदवारों के लिए बल्कि जनता के लिए भी विशेष दिलचस्पी का विषय बना हुआ है।