
Thukk Jihad: हाल ही में उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में एक नया सांप्रदायिक विवाद सामने आया है, जिसे ‘Thukk Jihad’ का नाम दिया गया है। इसे लेकर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की सरकारें सतर्क हो गई हैं। सांप्रदायिक सद्भाव को कमजोर करने वाले वीडियो और घटनाओं का असर न केवल सामाजिक ताने-बाने पर पड़ा है, बल्कि इसने जनता और प्रशासन के बीच संवाद को भी प्रभावित किया है। ताजे विवादों में, मुरादाबाद में “Dudh Jihad” का मामला सामने आया है, जिसमें एक मुस्लिम दूधवाले पर आरोप है कि उसने एक हिंदू ग्राहक के दूध में थूकने की हरकत की, जिससे सोशल मीडिया पर यह विवाद गरमा गया है
उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश सरकार की सख्त प्रतिक्रिया
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दशहरे के मौके पर जनता को संबोधित करते हुए राज्य को “Thukk Jihad” जैसे कृत्यों से मुक्त करने का संकल्प लिया और ऐसी गतिविधियों पर सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया। इसी प्रकार, उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने प्रस्तावित कानून की योजना बनाई है, जिसके अंतर्गत किसी भी खाद्य पदार्थ में थूकना या मिलावट जैसे कार्यों पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इस प्रस्तावित अध्यादेश के अनुसार, सभी होटल, ढाबे, और खाद्य विक्रेताओं को कर्मचारियों की पहचान स्पष्ट करने के लिए पहचान पत्र और कैमरे लगाने का निर्देश दिया गया है।
'Thukk Jihad' की पृष्ठभूमि और विस्तार
उत्तर प्रदेश में Thukk Jihad को लेकर कई मामलों की रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें कहा गया कि कुछ दुकानदार या होटल कर्मचारी खाने में थूकते हुए पकड़े गए। मुरादाबाद में “Thukk Jihad” का मामला इससे जुड़ा हुआ नया विवाद बनकर उभरा है। रिपोर्ट्स के अनुसार, एक वीडियो में मुरादाबाद के एक मुस्लिम दूध विक्रेता पर हिंदू ग्राहक के दूध के बर्तन में थूकने का आरोप लगाया गया है। हालांकि, अभी इस वीडियो की सत्यता का संज्ञान नहीं लिया गया है, लेकिन यह मामला सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया है और इसके परिणामस्वरूप सांप्रदायिक तनाव उत्पन्न हो सकता है।
प्रस्तावित कानून: उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा के उपाय
उत्तर प्रदेश सरकार ने घोषणा की है कि वह नए कानून के माध्यम से खाद्य प्रतिष्ठानों में बेहतर साफ-सफाई और पारदर्शिता सुनिश्चित करेगी। इसके तहत यह अनिवार्य किया जाएगा कि सभी प्रतिष्ठान अपने कर्मचारियों की पहचान दर्शाने वाले साइनबोर्ड लगाएंगे, और खाद्य निर्माण के दौरान रसोई में कैमरे लगाए जाएंगे ताकि उपभोक्ताओं को यह पता हो कि उनके खाने के साथ किस प्रकार का व्यवहार किया गया है।
सांप्रदायिक विश्वास और आलोचना
कई लोगों का मानना है कि सरकार का यह कदम सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा और उपभोक्ता विश्वास को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है। दूसरी ओर, आलोचक यह तर्क दे रहे हैं कि इस प्रकार के कानून कहीं न कहीं एक विशिष्ट समुदाय के प्रति नकारात्मकता को बढ़ावा दे सकते हैं। ऐसे कानूनों से न केवल समाज में ध्रुवीकरण बढ़ सकता है, बल्कि इससे विभिन्न धर्मों के बीच तनाव भी उत्पन्न हो सकता है। हालांकि, सरकार का दावा है कि यह कानून किसी एक विशेष समुदाय के लिए नहीं, बल्कि संपूर्ण समाज के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए लाया जा रहा है।
मीडिया और सोशल मीडिया पर 'Thukk Jihad' और 'Dudh Jihad' का प्रभाव
इस तरह के विवादों के तेजी से फैलने में सोशल मीडिया की भूमिका प्रमुख रही है। वायरल वीडियो और बिना पुष्टि के फैलती अफवाहें जनता में भ्रम और आक्रोश को जन्म देती हैं। मीडिया चैनल भी इन मुद्दों को उछालने में पीछे नहीं रहते, जिससे स्थिति और भी संवेदनशील हो जाती है। ऐसे मामलों में भ्रामक सूचनाओं का विस्तार रोकना जरूरी है, ताकि सांप्रदायिक सौहार्द्र को बनाए रखा जा सके।
“Thukk Jihad” और “Dudh Jihad” जैसे विवाद ने सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भारत के बहुसांस्कृतिक समाज में एक नई चुनौती पेश की है। जहां एक ओर सरकार इस पर सख्त कदम उठाने की योजना बना रही है, वहीं दूसरी ओर समाज में किसी एक समुदाय के प्रति नकारात्मक भावनाओं को रोकने की भी आवश्यकता है। ऐसे मुद्दों के प्रति जागरूकता फैलाना और सरकारी कदमों के सही उद्देश्य को समझना आवश्यक है, ताकि इन विवादों को सुलझाया जा सके और समाज में एकता और शांति को बढ़ावा दिया जा सके।
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