
कहते हैं कि सत्य कभी मरता नहीं है। सत्य की राह कठिन जरूर होती है। मगर, सत्य कभी न तो मरता है और न उसे कभी झुठलाया जा सकता। दशकों से जिले में अवैध होटल-लॉज का कारोबार चला आ रहा था। ये कारोबार साल-दर साल केवल इसलिए जिले में नहीं बढ़ रहा था क्योंकि ये जिला किसी बड़े पर्यटन स्थल के रूप में जाना-पहचाना जाता है। बल्कि ये कारोबार गली-गली, मुहल्ले-मुहल्ले में इस कारण बढ़ रहा था क्योंकि इसकी आड़ में देह व्यापार, जुएं का कारोबार, सट्टेबाजी के अड्डे भी संचालित हो रहे थे।
हालाकि हमसे पहले भी कई मर्तबा इस अवैध कारोबार को खाकी और अन्य विभागों का संरक्षण होने और अवैध लाइसैंस के इनका संचालन होने की खबरें चलीं और प्रकाशित हुईं। मगर बीते दिनों जब जिला स्वास्थ्य विभाग के एड्स को लेकर जारी किए गए आंकड़ों को देखकर हमने अपने छोटे से मीडिया संस्थान के जरिये इस बड़े मुद्दे को प्रमुखता से उठाया तो जो दशकों में न हुआ, वो सोमवार को हो गया। महज चार घंटे के अभियान में गाजियाबाद पुलिस कमिश्नरेट ने करीब दो सौ अवैध होटल-लॉज सील कर दिए।
भले ही कोई इस कार्रवाई को सामान्य समझ रहा हो। मगर इसमें संदेह नहीं कि इस कार्रवाई से न जाने कितने ही गली-मुहल्लों, गांव-कस्बों और छोटी बस्तियों के लाखों लोगों ने राहत की सांस ली है। कुकुरमुत्तों की तरह नशाखोरी, देह व्यापार, सट्टे और जुएं के अड्डे बने ये होटल-लॉज बहन-बेटियों और महिलाओं के लिए तो मुसीबत थे ही साथ ही युवाओं को अपराध और नशाखोरी समेत तमाम दुर्वयस्नों की ओर उकसाने के अड्डे बने थे।
देर से ही सही मगर गाजियाबाद पुलिस की एक झटके में की गई इस कार्रवाई के लिए जिले के पुलिस कमिश्नर को थेक्यू कहना तो बनता है। ये थेंक्यूं उन लाखों लोगों की ओर से है, जिन लोगों को पुलिस की कार्रवाई से एक उम्मीद जगी है कि रसूखदारों की ये खाकी और अन्य विभागों के संरक्षण से चल रही अवैध दुर्व्यसनों की दुकानों पर सील तो लगी।
सिटी जोन में 56 पर सील

सिटी जोन में पुलिस ने कुल 122 होटल चैक किए गए। इनमें से 56 होटल अवैध तरीके से संचालित किए जा रहे थे। सील किए गए कई होटल अलग-अलग राजनैतिक दलों के छुटभैये नेताओं के भी हैं। सबसे ज्यादा होटल लाईन पार क्षेत्र, कोतवाली नगर, सिहानी गेट और कविनगर क्षेत्र के हैं।
ये भी पढ़े: News Nation Dispute : हटाए मीडिया वालों से बोले कमिश्नर-‘मैं छोटा अफसर, मुझसे न हो पाएगा’
ट्रांस हिंडन वैध से 82 अवैध होटल-लॉज

पुलिस ने अपनी सोमवार की कार्रवाई के दौरान कुल 160 होटल चैक किए। इनमें से 78 वैध मिले जबकि 82 होटल-लॉज अवैध मिले। जाहिर है कि अधिकृत होटल-लॉज से ज्यादा तादात में अवैध होटल-लॉज का संचालन हो रहा था। पुलिस ने 82 अवैध होटलों को सील किया है।
ग्रामीण क्षेत्र में मिले 54 अवैध

ग्रामीण क्षेत्र में पुलिस ने कुल 122 होटल-लॉज को चैक किया। इनमें से 54 अवैध मिले। इन अवैध-होटल-लॉज के खिलाफ सीलिंग की कार्रवाई करके जिला प्रशासन को सूचना भेजी जा रही है।
ये भी पढ़े: Smart City की Traffic Light बीमार, कब होगा इलाज ?
चार घंटे में ही खुल गई पोल
इस मामले से संबंधित खबरें गाहे-ब-गाहे अखबारों में प्रकाशित होने के बावजूद जिले के होटल-लॉज से संबंधित विभागों के अफसरों के कान पर जूं तक नहीं रेंगती थी। निचले स्तर पर पुलिस का भी इन अवैध कारोबारियों को संरक्षण मिलता था। जिसके चलते इनकी तादात में दिनों-दिन बढ़ोतरी हो रही थी। लेकिन अचानक पुलिस के द्वारा की गई इस कार्रवाई ने होटल-लॉज और सरायों की जांच करने और उन्हें लाइसेंस देने वाले संबंधित विभागों के अफसरों और कर्मचारियों की लापरवाही और बेपरवाही की भी पोल खोल दी है।
जांच हो, किसका संरक्षण था और क्यों ?
यदि उच्चाधिकारी इतनी तादात में चल रहे इन अवैध होटल-लॉज की जांच कराएं तो बहुत सारे सरकारी विभागों की करतूतों से पर्दा उठेगा। इसमें सिर्फ खाकी ही नहीं बल्कि जीडीए, नगर निगम समेत अन्य बहुत सारे विभागों की मिलीभगत भी सामने आएगी। क्योंकि इनमें बहुत सारे तो ऐसे हैं जिन्होंने जिस तरह से बगैर लाइसेंस लिए इनका संचालन कर रखा था। उसी तरह से बगैर एनओसी और नक्शे पास कराए इनका निर्माण किया था। इस कारगुजारी की एवज में जहां सरकार को करोड़ों के राजस्व का चूना लगा, वहीं इन संरक्षण देने वालों की चांदी कट रही थी। निष्पक्ष जांच यदि कराई जाएगी तो बहुत सारे अफसर औऱ कर्मचारी नपेंगे।
ये भी पढ़े: गाजियाबाद में खाकी का हाल : Accident की रिपोर्ट को भी योगीजी से करें गुहार
जलदोहन भी जमकर हो रहा था
एक तरफ जहां जिले का भूजल स्तर लगातार गिर रहा है, वहीं इन अवैध होटल-लॉज के संचालक अवैध तरीके से जमकर जलदोहन कर रहे थे। इनकी वजह से इनके आस-पास रहने वाले स्थानील लोगों को पानी के संकट और गंदगी से भी जूझना पड़ रहा था।
साठगांठ से बिजली भी हो रही चोरी
इन होटल-लॉज में इस्तेमाल होने वाली बिजली की भी जमकर चोरी की जाती है। जिसमें बिजली विभाग के नीचे से ऊपर तक के कई कर्मचारी और अफसर हर महीने बंधी-बंधाई रकम वसूलते हैं जबकि सरकार को राजस्व की हानि होती है। जांच होगी तो बिजली विभाग की करतूतों से भी पर्दा उठेगा।
ऐसी और खबरों के लिए हमारे सोशल मीडिया फॉलो करे: Twitter Facebook