Commissioner Sahab ! दिल पर हाथ रखो, और कहो, खाकी की लापरवाही नहीं रही ?

Commissioner Sahab

Commissioner Sahab: सड़क पर बेटी लाश में तब्दील हालत में पड़ी है। मां मदद के लिए गुहार लगा रही है। लोग वीडियो बना रहे हैं, फोटो खींच रहे हैं। पुलिस के मौके पर आने का इंतजार हो रहा है। मगर, हालत देखिए कि उम्मीद की आखिरी किरण खाकी भी लापरवाह और बेपरवाह हो जाती है। जब तक सड़क पर लहुलुहान मां की गुहार पर ध्यान दिया जाता है, एक भविष्य के सैकड़ों सपने बुनने वाली बच्ची सदा-सदा के लिए दुनिया से रुखसत हो जाती है। जानता भी हूं और मानता भी हूं कि मीडिया वालों के सामने बहुत सी बंदिशें हैं।

मीडिया में काम करने वालों के हाथों में बहुत सी बेड़ियां आ चुकी हैं। और कोई भी क्षेत्र हो, उसमें अपने साथी की खामियों को छिपाने का चलन आज का नहीं बल्कि दशकों से चला आ रहा है। मगर, सिर्फ एक मानवीय दृष्टिकोण से मेरा यह सवाल जिले के Commissioner Sahab से है कि क्या उन्हें नहीं लगता कि कविनगर कोतवाली के पास हुई उस रोंगटे खड़े कर देने वाली घटना में खाकी की कुछ लापरवाही और बेपरवाही रही? एक बार पुलिस अधिकारी से इतर उन्हें इस बारे में सोचना चाहिए और यदि लगे कि चूक हुई, तो कुछ ऐसा करना चाहिए कि इस तरह की गलती दोबारा न हो।

ये हुई थी घटना

मोदीनगर स्थित शिव मंदिर वाली गली धर्मपुर निवासी मयूरी भारद्वाज (34) अपनी 12 साल की बेटी काश्वी के साथ बृहस्पतिवार की दोपहर शास्त्रीनगर एक रिश्तेदार के यहां जा रही थीं। कविनगर थाने के आगे साइड में चल रहे ट्रक ने स्कूटी में टक्कर मार दी। आसपास के लोगों ने आरोपी चालक को पकड़ लिया। दोनों को सर्वोदय अस्पताल में भर्ती कराया, जहां चिकित्सकों ने काश्वी को मृत घोषित कर दिया।

ये कहना है एसीपी का

एसीपी कविनगर अभिषेक श्रीवास्तव ने बताया कि ट्रक कब्जे में लेकर चालक को हिरासत में ले लिया गया है। तहरीर के आधार पर कार्रवाई की जाएगी। पुलिस के मुताबिक, कविनगर थाने के सामने स्कूटी सवार महिला और उनकी 12 वर्षीय बेटी को ट्रक ने टक्कर मार दी थी। हादसे में मां-बेटी दोनों गंभीर रूप से घायल हुई थीं। उपचार के दौरान बेटी की मौत हो गई, जबकि मां की हालत गंभीर बनी हुई है।

ये भी पढ़े: Zila Ghaziabad : लो कर लो बात ! अब सड़कें भी होने लगीं चोरी

हादसा-चश्मदीदों की जुबानी

करीब पौने तीन बजे यह हादसा हुआ। 12 साल की जिस बच्ची की इस हादसे में मौत हुई, उसके साथ मौजूद महिला लोगों से मदद के लिए गुहार लगा रही थी। शास्त्रीनगर की तरफ पूरे रास्ते पर जाम लगा था। हालत यह थी कि शास्त्रीनगर चौराहे से हापुड़ चुंगी तक जाम था।

बावजूद इसके, कविनगर थाने में तैनात पुलिसकर्मी या एसीपी दफ्तर में तैनात किसी खाकी वाले ने यह जानने की कोशिश नहीं की कि इस अचानक लगे जाम की वजह क्या है। लोगों ने 112 पर लगातार फोन किए। मगर करीब एक घंटे बाद पौने चार बजे बच्ची के शव और उसके साथ घायल महिला को सर्वोदय अस्पताल निजी वाहन से पहुंचाया गया।

शास्त्रीनगर चौराहे के पुलिसकर्मी पहुंचे मौके पर

चश्मदीदों के मुताबिक, करीब सवा तीन बजे शास्त्रीनगर चौराहे पर तैनात ट्रैफिक पुलिस के जवान जाम लगने की वजह जानने के लिए मौके पर आए। उन्होंने जब हादसा देखा तो उन्होंने भी थाने से लेकर 112 नंबर पर कॉल करके मदद मांगी। मगर उनकी भी नहीं सुनी गई। आखिरकार एक ऑटो को रुकवाकर जबरन उसमें बच्ची के शव और घायल महिला को सर्वोदय अस्पताल भिजवाया गया। घटनास्थल से बच्ची का शव और घायल महिला को अस्पताल भिजवाने का वक्त करीब पौने चार बजे का था। यानी करीब एक घंटे तक मृत बच्ची का शव सड़क पर पड़ा रहा और उसके पास घायल महिला बिलखती रही।

थाने के सामने ये हाल तो...

लोगों की मानें तो हादसे के दौरान मृत बच्ची और उसके साथ घायल हुई महिला का फोन टूट गया था। लोगों के फोन से ही महिला ने फोन पर अपने परिवार को घटना की जानकारी दी थी। जबकि बताते हैं कि कुछ लोगों ने घटना की जानकारी कविनगर थाने में जाकर वहां मौजूद पुलिसकर्मियों को भी दी थी। मगर, उन्हें यह कहकर भेज दिया कि 112 पर कॉल कर दें।

ये भी पढ़े: Smart City में विकास देखना है, तो आओ BJP पार्षद कंहैया लाल के घर

क्या यह मानवीय संवेदनाओं की अति नहीं?

थाने के ठीक सामने एक हादसे का दिन में होना और थाना पुलिस का एक घंटे तक भी मौके पर नहीं पहुंचना क्या संवेदनाओं का दुखद अंत नहीं है? गनीमत है कि वह बच्ची किसी पुलिसकर्मी के परिवार से नहीं थी। यदि ऐसा होता तो जरा सोचें, अफसर कि परिवार पर क्या गुजरती। इस घटना ने जहां मानवीय संवेदनाओं और नौकरशाही में सिर्फ और सिर्फ ड्यूटी का फर्क उजागर कर दिया है, वहीं यह भी जता और बता दिया है कि सरकारी ड्यूटी कर रहे खाकी वालों में मानवीय संवेदनाएं लगभग खत्म हो रही हैं।

इससे पहले भी 112 की लापरवाही आई है सामने

इस घटना के दौरान मौके से गुजरने वाले गौरव अरोड़ा की मानें तो इससे पहले भी दो और घटनाएं हुई हैं, जहां लोग हादसे के दौरान 112 नंबर पर कॉल करते रहे। मगर मदद को कोई नहीं पहुंचा। गौरव ने बताया कि तीन महीने पहले एनएच-9 पर हादसे में एक युवक की मौत हुई थी। वहां भी 112 नंबर पर लोग फोन करते रहे। लेकिन मदद को कोई नहीं पहुंचा।

महज 10-12 दिन पहले एल्ट सेंटर के पास हुए एक और सड़क हादसे के दौरान भी बिल्कुल यही हुआ। जाहिर है कि Commissioner Sahab को इस ओर ध्यान देने और सख्त फैसले लेने की जरूरत है, ताकि जरूरतमंद को सरकारी मदद मिल सके और किसी की जान बच सके।

ऐसी और खबरों के लिए हमारे सोशल मीडिया फॉलो करे: Twitter Facebook 

Scroll to Top