
विनोद राजपूत जिसे पुलिस ने गिरफ्तार किया है
कहावत बड़ी पुरानी है कि नाम बड़े और दर्शन छोटे। ये कहावत विनोद राजपूत नाम के शख्स पर हर तरीके से चरितार्थ होती है। कभी जमीन के नाम पर फ्रॉडगिरी, कभी मकान-दुकान के नाम पर धोखाधड़ी, तो कभी हथियारों के अवैध लाइसेंस बनवाने के नाम पर जालसाजी का धंधा। बावजूद इसके वो शख्स बड़े संरक्षणदाताओं के बूते देह-व्यापार और उसे संचालित करने के लिए होटल की बड़ी चेन चलाने के कारोबार का संचालन कर रहा है। यही नहीं अपनी इन करतूतों में उस शख्स ने एक सभ्य समाज के नाम से संस्था खड़ी करके उसे अपनी ढाल के रूप में इस्तेमाल किया हुआ है। ये हाल तब है जबकि पुलिस के रिकॉर्ड में वो गुंडा और गैंगस्टर भी है। इसके बावजूद पैसे की खनक और अपने अवैध कारोबारों की चमक के बूते हर सत्ताधारी को वो प्रिय रहा है। लेकिन कहते हैं ना कि कानून के हाथ बहुत लंबे होते हैं। देर से ही सही, मगर मुजरिम तक पहुंच ही जाते हैं। यही हुआ है विनोद राजपूत के साथ गैर जमानतीय वारंट जारी होने पर विजयनगर पुलिस ने सोमवार की रात विनोद राजपूत को गिरफ्तार किया है।
ये है विनोद राजपूत

सपा सरकार के कार्यकाल में 2012 में विनोद राजपूत सर्वोदय नगर इलाके से पार्षदी का चुनाव लड़ा था। हालाकि सपा का सिंबल नहीं मिला था। मगर, सपा सरकार ने पूरा सपोर्ट किया। बावजूद इसके साहब की करतूतें इतनी ज्यादा चर्चित थीं कि चुनाव नहीं जीत सके। सुल्तानपुर जिले में साठगांठ करके लोगों से मोटी रकम एंठकर उनके फर्जी शस्त्र लाइसेंस बनवाने के मामले में विनोद राजपूत गाजियाबाद के कविनगर थाने की पुलिस के हत्थे चढ़ा। विनोद के साथ पुलिस ने उसके पूरे गैंग को दबोचा था। यही नहीं पुलिस ने इस गैंग के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई भी की थी। इसके अलावा सिहानी गेट कोतवाली पुलिस ने भी पिछले दिनों विनोद को अपराधिक मामले में न सिर्फ दबोचा बल्कि पुलिस ने उसके खिलाफ गुंडा एक्ट की भी कार्रवाई की। इसके बाद प्लाट-मकान-दुकान और तरह-तरह के प्रॉपर्टी के मामलों में विनोद ने न जाने कितने लोगों को ठगी का शिकार बनाया। बहुत सारे केस तो साहब के रूआब और पैसे की खनक की वजह से पुलिस के रिकॉर्ड में दर्ज ही नहीं हो सके। हालाकि फिलहाल साहब अरसे से एक समाज विशेष की संस्था के स्वयं-भू अध्यक्ष बने हुए हैं।
इस मामले में हुई गिरफ्तारी

पुलिस की गिरफ्त में विनोद का वर्तमान का फोटो पुलिस रिकॉर्ड से और वो एफआईआर जिस मामले में उसकी गिरफ्तारी की गई है।
और भी हैं कई पीड़ित
ऐसा नहीं कि सर्वोदय नगर के मूल निवासी दिनेश उत्कल ही अकेले विनोद के हाथों ठगे गए हैं। बल्कि बहुत सारे लोग हैं जिनके साथ इस शख्स ने अलग-अलग तरीकों से करोड़ों की ठगी की है। कुछ मामले तो पुलिस के रिकॉर्ड में आए। मगर बहुत सारे मामलों में रिपोर्ट ही दर्ज नहीं हुई। लेकिन यदि उच्चाधिकारी कुंडली खंगाले तो साफ हो सकता है कि फ्रॉड किंग के सताए लोगों की गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर और बुलंदशहर, हापुड़ समेत कई जिलों में भरमार है।
वर्तमान में भी राजनैतिक संरक्षण
सूत्रों की मानें तो इस मामले में जेल भेजे जा रहे विनोद को समय-समय पर राजनैतिक संरक्षण मिलता रहा है। बीजेपी में एक सोलंकीजी नाम से मशहूर पुराने भाजपाई उनके खास हैं। जबकि सपा सरकार में भी कई अन्य उनके संरक्षक रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि विनोद की पैरवी में पार्षदों से लेकर राजनैतिक दलों से जुड़े कई संगठनों के मजबूत पदाधिकारियों की अहम भूमिका रही है। जबकि समय-समय पर सत्ता की बागडोर संभालने वाले नामचीन जन-प्रतिनिधि जिनमें विधायकों से सांसद तक रहे हैं उनके साथ विनोद गाहे-ब-गाहे मंच पर भी दिखता रहा है।