
RTO Sahab Jatch Krao: चंद रोज पहले ड्राइविंग लाइसेंस के नियमों में सुधार के लिए लखनऊ से बदलाव की कवायद शुरू हुई है, जिसका उद्देश्य अनफिट लोगों को दलालों के माध्यम से लाइसेंस जारी करने पर रोक लगाना है। लेकिन दिल्ली से सटे गाजियाबाद में स्थिति बिल्कुल उलट है। यहां RTO की लापरवाही के कारण ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने में अनियमितताएं और अवैध ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूलों का संचालन धड़ल्ले से जारी है।
जिले में सैकड़ों अवैध ड्राइविंग स्कूलों का संचालन
RTO के रिकॉर्ड में गाजियाबाद में मोटर ड्राइविंग ट्रेनिंग देने वाले स्कूलों की संख्या गिनी-चुनी दिखती है। लेकिन वास्तविकता यह है कि नियमों को ताक पर रखकर सैकड़ों अवैध ड्राइविंग स्कूल संचालित हो रहे हैं। इनमें से कई स्कूलों में ट्रेनिंग देने वाले ट्रेनर्स के पास खुद कमर्शियल लाइसेंस नहीं है। इसके अलावा, कई ट्रेनर्स को ट्रैफिक नियमों की बुनियादी जानकारी भी नहीं है, जिससे यहां से ट्रेनिंग लेकर निकलने वाले ड्राइवर ट्रैफिक रूल्स का पालन करने में विफल रहते हैं।
फर्जी स्कूल, फर्जी सर्टिफिकेट
इन अवैध ड्राइविंग स्कूलों को बिना रजिस्ट्रेशन के चलाया जा रहा है। यहां आने वाले लोगों से मनमाने पैसे वसूलकर फर्जी सर्टिफिकेट और लाइसेंस तक बनवा दिए जाते हैं। इन स्कूलों के संचालक घर बैठे लाइसेंस उपलब्ध कराने की गारंटी देते हैं और इसके बदले भारी रकम वसूलते हैं।
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RTO कर्मचारियों और अफसरों की साठगांठ

इस फर्जीवाड़े के पीछे RTO कर्मचारियों और अफसरों की संलिप्तता की भी चर्चा है। एक स्थानीय व्यक्ति ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कई अधिकारी और कर्मचारी इन अवैध स्कूलों से कमीशन लेते हैं। इसके अलावा, कुछ स्कूल संचालक हर महीने बंधी हुई रकम भी देते हैं।
निजी वाहनों का अवैध उपयोग
RTO नियमों के अनुसार, व्यवसायिक कार्यों में निजी वाहनों का इस्तेमाल कानूनन अपराध है। इसके बावजूद, ये फर्जी ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल धड़ल्ले से निजी गाड़ियों का उपयोग कर रहे हैं। विभाग के अधिकारी और कर्मचारी इन पर कार्रवाई करने से बचते हैं। यदि कभी शासन से निर्देश आते भी हैं, तो RTO में बैठे इन अवैध स्कूलों को संरक्षण देने वाले अधिकारी पहले ही इन्हें सतर्क कर देते हैं, जिससे अभियान के दौरान ये स्कूल बंद कर दिए जाते हैं।
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सरकार को हो रहा करोड़ों का राजस्व नुकसान
ड्राइविंग स्कूल संचालन के लिए RTO द्वारा कई मानक तय किए गए हैं, जिनका पालन करते हुए ही लाइसेंस जारी किया जाता है। इन लाइसेंस से सरकार को हर साल भारी राजस्व प्राप्त होता है। लेकिन RTO की अनदेखी और भ्रष्टाचार के कारण अवैध ट्रेनिंग स्कूलों से न केवल नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, बल्कि सरकार को करोड़ों के राजस्व का नुकसान भी हो रहा है।
समस्या का समाधान कैसे हो?
यदि RTO द्वारा इन अवैध स्कूलों की निष्पक्ष जांच की जाए और जिम्मेदार अधिकारियों व कर्मचारियों पर कड़ी कार्रवाई हो, तो न केवल फर्जीवाड़े पर अंकुश लगेगा, बल्कि सरकार को भी राजस्व का लाभ होगा। इसके साथ ही, ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया को पारदर्शी और सख्त बनाना आवश्यक है।
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