
Senior Citizen and Police: केंद्र की मोदी सरकार से लेकर प्रदेश की योगी सरकार तक का ध्येय यही है कि Senior Citizen को ज्यादा से ज्यादा राहत मिले। चाहें आयुष्मान योजना हो या फिर सीनियर सिटीजन्स की समस्या को लेकर उनके चिंहिकरण करके बीट कांस्टेबलों की जिम्मेदारी ये तमाम फैसले बीजेपी की सरकार में केवल इसीलिए लिए गए ताकि बुजुर्गों को किसी तरह की परेशानी न हो।
लेकिन गाजियाबाद में तैनात खाकीवाले इस मामले में इस कदर नाफरमानी पर उतारू हैं कि Senior अफसरों के आदेशों की भी अनदेखी करने से नहीं चूकते। आलम ये है कि बुजुर्ग पीड़ितों की अफसरों के आदेश के बावजूद मदद करना तो छोड़िए उल्टा पीड़ितों पर ही फैसला करने का दवाब डालते हैं।
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हद तो तब होती है जबकि पुलिस वाले पीड़ित बुजुर्ग की ही मौजूदगी में पीड़ित का अपमान और आरोपियों की आवभगत करते हैं। आप सब सोच रहे होंगे कि ये सब गाजियाबाद कमिश्नरेट की पुलिस करती है, इसका कोई सबूत है। तो आपको बता दूं कि ये सब हुआ है गाजियाबाद में रहने वाले एक रिटायर्ड प्रिंसिपल के साथ। और पुलिस की ये सारी करतूत पीड़ित बुजुर्ग की तहरीर के आधार पर दर्ज की गई एफआईआर में भी दर्ज है।
ये हैं Senior Citizen की आपबीती
गोविंदपुरम निवासी सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य जीपी शर्मा के साथ ये पूरी कारगुजारी गाजियाबाद की पुलिस कमिश्नरेट में तैनात पुलिसकर्मियों ने की है। जीपी शर्मा ने अपने रिश्तेदार सुभाष शर्मा और उनके बेटे कमल भारद्वाज निवासी गांव कल्लूपुरा थाना रबूपुरा ग्रेटर नोएडा से एक प्लॉट का सौदा किया था। प्लॉट देने के नाम पर रिटायर्ड प्रिंसिपल से आरोपियों ने आठ लाख रुपये ले लिए।
पीड़ित ने प्लॉट में सबमर्सिबल लगवाया और चहारदीवारी भी कराई। इसी बीच सड़क किनारे के इस प्लॉट की कीमत बढ़ने की बात कहकर आरोपी पिता-पुत्र ने जीपी शर्मा के बेटे वेदांत से सात लाख रुपये और ले लिए। आरोप है कि पिता-पुत्र ने वो प्लॉट किसी और को बेच दिया। जमीन की एवज में लिए रुपये जब वापस मांगे तो आरोपियों ने अभद्रता की और जान से मारने की धमकी दी।
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Senior Citizen के साथ खाकी की करतूत

एडिशनल पुलिस कमिशनर का कार्यभार देख रहे डीसीपी सिटी के निर्देश पर कविनगर थाने में जो मुकदमा दर्ज हुआ है उस तहरीर में पुलिसकर्मियों की करतूत का पूरा चिट्ठा मौजूद है। पीड़ित ने तहरीर में बताया है कि सितंबर 2023 से सितंबर 2024 तक वो लगातार मामले को लेकर पुलिस को लिखित शिकायतें करके कानूनी कार्रवाई और न्याय की गुहार लगाते रहे।
एक बार तो गोविन्दपुरम चौकी प्रभारी ने उनकी तहरीर की जांच के नाम पर उन्हें चौकी पर बुलाया और वहां पहले ही से मौजूद आरोपियों की मौजूदगी में ही उनके साथ बदसलूकी की, जबकि आरोपियों की आव-भगत की। यही नहीं चौकी प्रभारी ने उल्टा सीनियर सिटीजन को ही धमकाया।
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दर्ज एफआईआर में ये भी बताया गया कि चौकी इंचार्ज के सामने ही आरोपियों ने उन्हें धमकाने के साथ-साथ ये भी हिदायत दी कि कभी ग्रेटर नोएडा गांव की तरफ न आना और ना ही जमीन या पैसे की मांग करना। इतना ही नहीं पीड़ित ने दर्ज एफआईआर में ही बताया है कि एसीपी कविनगर के यहां उन्होंने शिकायत की तो एसीपी के जांच मुंशी ने भी आरोपियों की ही पैरोकारी की।
बुजुर्ग ने तहरीर में जिक्र किया है कि वह वर्तमान डीसीपी को भी कई मर्तबा शिकायत दे चुका था। उन्होंने अधीनस्थों को कार्रवाई के निर्देश भी दिए थे। मगर उच्चाधिकारी के निर्देश के बावजूद नीचे के अफसरों ने उन्हें सुनवाई के लिए बुलवाया तक नहीं। बुजुर्ग ने दर्ज कराई एफआईआर में पुलिसकर्मियों के इस मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न की पूरी कारगुजारी का भी जिक्र किया है।
सवा साल में लिखी Senior Citizen की FIR, कार्रवाई कब होगी ?
पीड़ित की तहरीर के आधार पर आखिरकार बीते साल सितंबर से टालने वाली पुलिस ने आरोपी सुभाष शर्मा और उनके बेटे कमल भारद्वाज के खिलाफ कविनगर थाने में मुकदमा दर्ज कर लिया है। लेकिन बड़ा सवाल ये कि करीब सवा साल में दर्ज हुई एफआईआर पर एक्शन में कितना वक्त लगेगा ?
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