
अफसरों की तैनाती किसी भी महकमें में इसलिए की जाती है ताकि वो अपने अधीनस्थों से अपने हिसाब से काम करा सकें। मगर, करंट वाले यानि बिजली विभाग में आलम गजब ही है। यहां पश्चिमांचल विद्युत वितरण खंड की प्रबंध निदेशिका महोदया इस कदर बाबुओं पर निर्भर हैं कि उन्होंने आंख बंद कर एक ही दिन में एक अधीनस्थ के दो जगह के तबादला आदेशों पर हस्ताक्षर कर दिए। आदेश की कॉपी उच्चाधिकारियों तक को डिस्पेच कर दी गई। अब तबादला पाने वाला अफसर गफलत में है कि चार्ज ले तो कहां ? क्योंकि एक आदेश नें तबादला गजरौला क्षेत्र किया गया है, तो दूसरे में मुरादाबाद क्षेत्र में।
ये है मामला

पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम मेरठ मंडल की प्रबंध निदेशक ईशा दुहा के हस्ताक्षर से दो तबादला आदेश 16 जून 2025 को जारी किए गए। मजे की बात ये कि इन दोनों ही तबादला आदेश में उनके एक ही अधीनस्थ अफसर को लेकर स्थानांतरण का फरमान था। अफसर वही मगर दोनों आदेशों में तबादला होने वाला स्थान अलग-अलग। एक में मुरादाबाद क्षेत्र अंकित था तो दूसरे में गजरौला क्षेत्र। ताज्जुब की बात तो ये कि दोनों ही आदेशों पर प्रबंध निदेशिका के ही हस्ताक्षर थे। तबादला आदेश की कॉपी तबादला पाने वाले अफसर के साथ-साथ उच्चाधिकारियों को भी भेज दी गईं।
लापरवाही-बेपरवाही का है सुबूत
इस मामले पर उच्चाधिकारी क्या संज्ञान लेते हैं ये तो आने वाला वाला वक्त ही तय करेगा। मगर, इस प्रकरण ने ये साफ कर दिया है कि बड़े औहदों पर बैठे अफसर भी किस तरह से लापरवाह और बेपरवाह हैं। या ये कहें कि कैसे बाबुओं पर आंख बंद करके यकीन करते हैं। जाहिर है कि ये बड़ी चूक उसी लापरवाही-बेपरवाही और बगैर पढ़े दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने की आदत का नतीजा है।