BJP : जनता पहले से नाराज, नेताओं को भी नहीं डाल रहे घास, ना चोलिबे !

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BJP: लाईनपार क्षेत्र गाजियाबाद विधानसभा 56 के विधायक को बनाने और गिराने की हैसियत रखता है। ये बात आज हर बड़ा-छोटा रादजनैतिक दल जानने भी लगा है और मानने भी लगा है। यही वजह है कि देखिए इस बार अधिकांश मुख्य राजनैतिक दलों ने इस क्षेत्र को ही तरजीह दी है। बावजूद इसके BJP के बूथ सम्मेलन में लाईनपार क्षेत्र के संगठन से जुड़े बड़े नेताओं से लेकर पार्षद और पूर्व पार्षदों तक को मंच पर तवज्जो नहीं मिली। कार्यक्रम में मंच पर अधिकांश जो चेहरे दिखे सभी शहरी क्षेत्र के थे।

अब ये अनजाने में हुआ है या फिर ये चुनाव से पहले ही बीजेपी की सोच है जो इस सम्मेलन के जरिये सामने आ गई है इसे लेकर पार्टी में ही भीतरखाने सुगबुगाहट शुरू हो गई है। पार्टी नेता और कार्यकर्ता ही चर्चा कर रहे हैं कि पहले ही से नाराज चल रहे कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों की इस तरह की अनदेखी एक हफ्ता आगे बढ़ी मतदान की तारीख वाले दिन कहीं भारी न पड़ जाएं ?

BJP के किसी भी पार्षद-पूर्व पार्षद को नहीं मिली जगह

लाईनपार क्षेत्र में BJP के पार्षद सबसे ज्यादा हैं। बावजूद इसके कल के कार्यक्रम के जारी फोटो में एक भी पार्षद मंच पर नजर नहीं आ रहा। पार्षद देव नारायण शर्मा, पूनम सिंह, ओमप्रकाश ओढ़, संतोष राणा, गोपाल सिसोदिया, संतराम यादव, राजकुमार सिंह, के अलावा पूर्व पार्षद और डिप्टी मेयर सुनील यादव, देवी सिंह राणा, पीतांबर पाल, बबलू पाल, मनोनीत पार्षद रहे सुरेंद्र नागर समेत तमाम पार्टी के नेता मंच के सामने की कुर्सियों और सोफों पर ही सिमटे रहे।

वर्तमान-पूर्व मंडल अध्यक्षों को भी नहीं पूछा

BJP में लाईनपार क्षेत्र कते तीन मंडलों विजयनगर, प्रताप विहार और क्रासिंग के वर्तमान और पूर्व अध्यक्षों को भी इस कार्यक्रम में कोई तरजीह नहीं मिली। विजयनगर मंडल के अध्यक्ष देवेंद्र त्रिपाठी, प्रताप विहार मंडल के अध्यक्ष सुधीर शर्मा और क्रासिंग मंडल के अध्यक्ष धर्मेंद्र चौधरी को भी मंच पर लगई पचासों में से एक कुर्सी नसीब नहीं हुई।

पूर्व डिप्टी मेयर को कुर्सी भी न मिली

कहते हैं तस्वीरें सब हाल बयान कर देती हैं। इस बात को बल देती एक तस्वीर बीजेपी के ही फेसबुक अकाउंट से मिली जिसमें दिखाई दे रहा था कि नगर निगम के डिप्टी मेयर और पूर्व पार्षद सुनील यादव को बूथ कार्यकर्ता सम्मेलन में मंच पर सीट तो छोड़िए मंच के सामने मौजूद सैकड़ों कुर्सियों में से एक कुर्सी या सोफे पर भी जगह नहीं मिली। कई बार पार्षद रहे और आशा शर्मा के कार्यकाल में नगर निगम के डिप्टी मेयर रहे सुनील यादव की जो तस्वीर सामने आई उसमें वे कार्यक्रम के दौरान मंच के सामने लगे सोफे के एक पाए पर खुद को टिकाकर बैठे हुए दिखाई दे रहे हैं।

सवाल ये कि लाईनपार क्षेत्र में लोगों की इस तरह की अनदेखी क्यों ? उसी तस्वीर में लाईनपार क्षेत्र के दूसरे बीजेपी नेता और पूर्व मनोनीत पार्षद सुरेंद्र नागर भी दिख रहे हैं जो कई लोगों के बीच में बामुश्किल खुद को अरजेस्ट करके अपनी जगह बनाते दिख रहे हैं।

ये जानकर किया या अनजाने में चूक ?

चुनाव में विपक्षी दलों के लोग संजीव शर्मा को बाहरी प्रत्याशी बनाकर टारगेट कर रहे हैं। पार्टी के कुछ लोग भी भीतरखाने और खुलकर उनके खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं। बावजूद इसके सवाल उठना लाजमी है कि लाईनपार क्षेत्र के कार्यकर्ताओं की बूथ सम्मेलन में ही इस तरह से उपेक्षा क्या जान-बूझकर की गई है या फिर किसी ने ऐसा चूकवश किया है ?  

ये सवाल ऐसा है कि जिस पर BJP को जल्द मंथन करना होगा, वरना इसके नतीजे विधानसभा चुनाव के नतीजों पर बड़ा असर डाल सकते हैं। वजह साफ है कि जनता पहले ही से सरकारी मशीनरी की लापरवाहियों और कुछ जनप्रतिनिधियों के रूखे व्यवहार की वजह से बीजेपी से नाराज है। इसका बड़ा नुकसान इस उप-चुनाव में BJP को उठाना पड़ सकता है।

क्या संजीवनी देंगे संजीव ?

हालाकि संजीव शर्मा BJP महानगर अध्यक्ष पद का अपना दूसरा कार्यकाल चला रहे हैं। संगठन के हर कार्यक्रम को और जगहों के मुकाबले ज्यादा व्यवस्थित और सफलता से संपन्न कराने के माहिर संजीव खुदके चुनाव में इन परिस्थितियों से नाराज पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं को मनाने और चुनाव में जोड़कर ऱखने के लिए कौन सी संजीवनी इस्तेमाल करते हैं ये देखने वाली बात होगी। लेकिन ये तय है कि चुनावी मोड में कार्यकर्ताओं की ये नाराजगी पार्टी पर भी और संजीव पर भी भारी पड़ सकती है।

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