German Chancellor Olaf Scholz ने की PM Modi से मुलाकात: भारत-जर्मनी के बीच नई रणनीतिक साझेदारी पर चर्चा

German Chancellor Olaf Scholz ने शुक्रवार को नई दिल्ली में Indian Prime Minister Narendra Modi से मुलाकात की। दोनों नेताओं ने इस अवसर पर रक्षा, सुरक्षा, उभरती प्रौद्योगिकियों, और प्रवासन जैसे प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया। यह मुलाकात हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखने के लिए दोनों देशों के मजबूत संबंधों को और गहरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। भारत और जर्मनी ने इस मुलाकात में कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए, जिससे दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को नई दिशा मिलेगी।

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द्विपक्षीय वार्ता और अंतर-सरकारी परामर्श: सहयोग का एक नया आयाम

भारत और जर्मनी के बीच द्विपक्षीय वार्ता का आयोजन द्विवार्षिक अंतर-सरकारी परामर्श (आईजीसी) के तहत किया गया। इस बैठक की विशेषता यह है कि इसमें दोनों देशों के कई मंत्री शामिल होते हैं और विभिन्न क्षेत्रों में चर्चा की जाती है। इस परामर्श का उद्देश्य अगले दो वर्षों के लिए दोनों देशों के सहयोग का एक स्पष्ट रोडमैप तैयार करना है। इस साल की बैठक में मुख्य ध्यान रक्षा, उभरती प्रौद्योगिकियों, प्रवासन और गतिशीलता पर था।

आईजीसी में दोनों नेताओं ने रूस-यूक्रेन और इजरायल-हमास जैसे अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर भी चर्चा की। इन संघर्षों के समाधान के लिए भारत और जर्मनी दोनों ने अपने-अपने विचार साझा किए और शांति स्थापना के प्रयासों में सहयोग की बात की।

हिंद-प्रशांत में नौवहन की स्वतंत्रता: एक साझा उद्देश्य

हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा और नौवहन की स्वतंत्रता पर भारत और जर्मनी की चिंताएं समान हैं। दोनों देश मानते हैं कि इस क्षेत्र में कानून के शासन और स्वतंत्रता को सुनिश्चित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने प्रारंभिक भाषण में कहा कि वर्तमान समय में विश्व संघर्ष और अनिश्चितता से जूझ रहा है। उन्होंने इस पर जोर दिया कि भारत-जर्मनी साझेदारी इस क्षेत्र में एक “मजबूत सहारा” बन सकती है।

चांसलर ओलाफ स्कोल्ज ने भी इस मुद्दे पर अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि यूक्रेन पर रूस के हमले के कारण अंतरराष्ट्रीय नियम-आधारित व्यवस्था “भारी दबाव” में है, और ऐसे समय में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखना बेहद महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि जर्मनी ने हाल ही में दो युद्धपोत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में तैनात किए थे, जो भारतीय नौसेना के साथ संयुक्त अभ्यास में भाग लेंगे। यह दोनों देशों के साझा उद्देश्य को दर्शाता है कि अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत नौवहन की स्वतंत्रता को कायम रखा जाए।

प्रौद्योगिकी और नवाचार में सहयोग: भविष्य के लिए एक मजबूत रोडमैप

इस समझौते के तहत भारत और जर्मनी ने नवाचार और प्रौद्योगिकी में सहयोग बढ़ाने के लिए एक स्पष्ट रोडमैप तैयार किया है। दोनों देशों ने उन्नत सामग्रियों के अनुसंधान और विकास के लिए एक संयुक्त घोषणा की है। इसके अतिरिक्त, हरित हाइड्रोजन पर आधारित तकनीक और महत्वपूर्ण एवं उभरती प्रौद्योगिकियों में सहयोग बढ़ाने के लिए भी एक रूपरेखा तैयार की गई है।

भारतीय प्रधानमंत्री ने इस प्रौद्योगिकी रोडमैप की सराहना करते हुए कहा कि यह कृत्रिम बुद्धिमत्ता, अर्धचालकों, और अन्य उच्च तकनीकी क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच सहयोग को और मजबूत करेगा। इस प्रकार के सहयोग से न केवल तकनीकी विकास को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि एक भरोसेमंद और लचीली आपूर्ति श्रृंखला भी तैयार की जा सकेगी, जो वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए एक स्थिर आधार प्रदान करेगी।

रक्षा सहयोग में एक नया कदम: भारत-जर्मनी का रक्षा क्षेत्र में नया सहयोग

भारत और जर्मनी के बीच रक्षा सहयोग को भी नई दिशा दी जा रही है। जर्मनी ने घोषणा की है कि वह भारतीय नौसेना के सूचना संलयन केंद्र (IFC) में एक संपर्क अधिकारी तैनात करेगा। यह केंद्र हिंद महासागर क्षेत्र में शिपिंग गतिविधियों और अवैध गतिविधियों पर नज़र रखता है, जिससे क्षेत्रीय सुरक्षा को मजबूत किया जा सकेगा।

इसके साथ ही, जर्मनी ने यूरोड्रोन कार्यक्रम में भारत को पर्यवेक्षक का दर्जा देने का भी समर्थन किया है। यूरोड्रोन कार्यक्रम का उद्देश्य एक उन्नत यूएवी (मानवरहित विमान) विकसित करना है, जिसमें फ्रांस, जर्मनी, इटली, और स्पेन शामिल हैं। इस सहयोग से भारत को रक्षा तकनीकों में नए आयाम जोड़ने में मदद मिलेगी।

प्रवासन, कौशल विकास और रोजगार में सहयोग

भारत और जर्मनी ने रोजगार एवं श्रम में सहयोग बढ़ाने के लिए भी एक संयुक्त आशय घोषणा पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके तहत कौशल विकास और व्यावसायिक प्रशिक्षण में सहयोग को प्राथमिकता दी जाएगी। इसके साथ ही, दोनों देशों ने हरित शहरी गतिशीलता साझेदारी पर भी एक संयुक्त आशय घोषणा को अंतिम रूप दिया है, जिससे पर्यावरण अनुकूल यातायात साधनों को बढ़ावा मिलेगा।

कौशल विकास और व्यावसायिक प्रशिक्षण के क्षेत्र में इस समझौते से भारतीय युवा और अधिक कुशल और रोजगार योग्य बनेंगे, जो न केवल भारत के लिए बल्कि जर्मनी के लिए भी लाभदायक होगा। इससे दोनों देशों के उद्योगों को भी बेहतर और कुशल मानव संसाधन उपलब्ध हो सकेगा।

यूक्रेन और पश्चिम एशिया में संघर्ष: India और Germany का शांति के प्रति योगदान

भारत और जर्मनी दोनों देशों ने यूक्रेन और पश्चिम एशिया में संघर्षों के प्रति चिंता जताई और इन मुद्दों पर शांति स्थापना के लिए योगदान देने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। चांसलर स्कोल्ज ने कहा कि रूस के आक्रमण के कारण अंतरराष्ट्रीय नियम-आधारित व्यवस्था पर गंभीर प्रभाव पड़ा है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर रूस यूक्रेन में अपने “अवैध और क्रूर युद्ध” में सफल हो जाता है, तो इसका असर यूरोप से परे पूरे विश्व की सुरक्षा और समृद्धि पर पड़ेगा।

प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि भारत वैश्विक शांति का पक्षधर है और शांति की दिशा में किसी भी पहल का समर्थन करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि भारत के पास विभिन्न पक्षों के साथ संवाद और समझौते की क्षमता है और वह इन संघर्षों में स्थायी समाधान की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।

भविष्य के लिए एक सकारात्मक दृष्टिकोण

भारत और जर्मनी के बीच यह समझौता केवल रक्षा और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में ही सीमित नहीं है, बल्कि इससे विश्व स्तर पर शांति, सुरक्षा और विकास की नई संभावनाएं भी खुलती हैं। यह साझेदारी वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, और दोनों देश एक-दूसरे के साथ सहयोग करते हुए वैश्विक स्थिरता और विकास में अपना योगदान दे रहे हैं।

भारत-जर्मनी की इस नई रणनीतिक साझेदारी से स्पष्ट है कि दोनों देश न केवल अपने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना चाहते हैं, बल्कि वैश्विक स्थिरता और सुरक्षा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाना चाहते हैं।

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