अब पैसे लेकर काने, लूले-लंगड़ों के लाइसेंस नहीं बना पाएगा Divisional Transport Department

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Transport Department: भले ही Local Divisional Transport Department दावें करे कि विभाग से भ्रष्टाचार का खात्मा करने के लिए 58 कार्य़ के लिए लोगों को विंडो पर आना नहीं पड़ेगा। मगर हकीकत ये है कि आज भी करप्शन के मामले में जिले का Divisional Transport Department अनय कहीं विभागों से आगे है। इसकी सबसे बड़ी बानगी यहां मेडिकली लोगों को फिट और अनफिट घोषित करने वाले पैनल के रूप में देखी जा सकती है।

इस पैनल में ही अनफिट लोग मेडिकल प्रमाण पत्र जारी करने वाले हैं। यही नहीं यहां मेडिकल जांच करने वाली टीम की बागडोर ही सालों से संविदा के नाम पर जमे लोगों के हाथ में है। लेकिन आम लोगों के लिए ये खबर राहत देने वाली है कि शासन स्तर पर ये कवायद चल रही है कि ड्राइविंग लाईसेंस जारी करने के लिए आवेदक की जांच करने का काम अब जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी के पैनल में शामिल डॉक्टर्स करेंगे।

इसका सीधा-सीधा अर्थ ये है कि Divisional Transport Department में इसके नाम पर चल रहा खेल अब बंद होगा और लाइसेंस जारी करने से पहले ये बेहद जरूरी काम अब सरकारी चिकित्सकों के जिम्मे रहेगा।

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ऐसे होता आ रहा Transport Department में खेल

अभी तक ड्राइविंग लाइसेंस का आवेदन करने वाले की जांच के लिए ऑन लाइन या ऑफ लाइन जो टीम लगा रखी है, उसमें अधिकांश अस्थाई कर्मचारी हैं, जो अरसे से Divisional Transport Department में कच्चे-पक्के काम कराने वाले दलालों के संपर्क में हैं। ऐसे लोगों से मिलने वाले सुविधा शुल्क के बूते Transport Department के मानकों के विपरीत मानकों को पूरा कर पाने में विफल लोगों के लाइसेंस न सिर्फ Divisional Transport Department से बन जाते रहे हैं बल्कि उनकी अवधि भी बढ़ा दी जाती है। लेकिन नई बनने वाली पॉलिसी इस करतूत की राह में रोड़ा बनने जा रही है।

हैल्थ सर्टिफिकेट अब मैन्युअली नहीं होगा मान्य

आसानी से हासिल हो जाने वाले ड्राइविंग लाइसेंस पाने की राह आने वाले दिनों में काफी कठिन होगी। डीएल के नवीनीकरण की प्रक्रिया अब सख्त की जाएगी। डीएल रिन्यूअल में लगने वाला हेल्थ सर्टिफिकेट अब मैनुअली मान्य नहीं किया जाएगा।

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CMO का पैनल बनाएगा अब स्वास्थ्य प्रमाण पत्र

मुख्य चिकित्साधिकारी (सीएमओ) की तरफ से आने वाले दिनों में अब तय किया गया डॉक्टरों का पैनल स्वयं स्वास्थ्य प्रमाण पत्र अपलोड करेगा। इसके बाद ही रिनुअल लाइसेंस अप्रूव हो पाएगा।

लखनऊ में शुरू हो चुका है काम

इस संबंध में लखनऊ के जिलाधिकारी के साथ Transport Department के अधिकारियों ने बैठक की। डीएम ने इस संबंध में सीएमओ को डॉक्टरों का पैनल तय करने का आदेश जारी किया। लखनऊ के एआरटीओ (प्रशासन) प्रदीप कुमार सिंह का कहना है कि ऑनलाइन व्यवस्थाओं को फूलप्रूफ करने की दिशा में यह कदम अहम है। डॉक्टरों को सारथी पोर्टल की एक लॉग इन आईडी और पासवर्ड दिया जाएगा। डॉक्टरों की सूची जारी होने के बाद इसे अनिवार्य कर दिया जाएगा।

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पूरे सूबे की व्यवस्था में भी होगा बदलाव

डीएल रिन्यूअल के दौरान डॉक्टर की ओर से उम्र के मुताबिक जारी स्वास्थ्य प्रमाण पत्र की आवश्यकता होती है। इसके पीछे मकसद होता है कि रिन्यूअल के समय आवेदक को स्वास्थ्य संबंधी कोई दिक्कत तो नहीं है। अभी तक की व्यवस्था के अनुसार यह प्रमाण पत्र मैनुअल जमा होता था। अब चूंकि आरटीओ की सेवाओं को ऑनलाइन किया जा रहा है। इसी क्रम में इस व्यवस्था में भी बदलाव किया गया है।

अब डॉक्टर की ओर से जारी स्वास्थ्य प्रमाण पत्र को भी ऑनलाइन ही जमा करना होगा। इसमें किसी प्रकार की धांधली न हो इसके लिए सीएमओ की तरफ से डॉक्टरों का पैनल निर्धारित किया जाएगा। इन निर्धारित डॉक्टरों को आरटीओ की ओर से एक लॉग इन आइडी और पासवर्ड दिया जाएगा। ये निर्धारित डॉक्टर ही आवेदक के स्वास्थ्य की जांच करेंगे और उसकी रिपोर्ट वेबसाइट पर अपलोड करेंगे। उसके बाद ही ड्राइविंग लाइसेंस जारी हो पाएगा। ये व्यवस्था पूरे सूबे में लागू होने जा रही है।

लखनऊ में 12 डॉक्टरों के पैनल पर विचार

अधिकारियों के मुताबिक, इस नई व्यवस्था के तहत लगभग 12 डॉक्टरों का पैनल होगा। सीएमओ की तरफ से जब इन डॉक्टरों का निर्धारण हो जाएगा तो ऑनलाइन व्यवस्था लागू कर दी जाएगी। साथ ही आवेदकों की जानकारी के लिए डॉक्टर किस अस्पताल में कहां बैठते हैं, इसकी भी डिटेल जारी की जाएगी, जिससे आवेदकों को किसी प्रकार की समस्या न हो।

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