
Sanjeev’s Victory: ध्यान नहीं आ रहा कि ये किस फिल्म का डायलॉग है कि दो जिस्म एक जान हैं हम। ये फिल्मी डायलॉग गाजियाबाद के विधायक बने संजीव शर्मा और उनके लंगोटिया यार पप्पू पहलवान पर एकदम सटीक बैठता है। संजीव और पप्पू पहलवान की जोड़ी को यदि सोले फिल्म के जय वीरू का नाम दें या फिर किसी और फिल्मी किरदारों का तो गलत नहीं होगा। संजीव को विधायक बनाने में खुलकर जितनी मेहनत पूर्व विधायक और वर्तमान सांसद अतुल गर्ग ने की है। उतनी ही मेहनत पर्दे के पीछे रहकर अगर किसी ने की है तो वो सिर्फ एक ही नाम है। और वो नाम है पप्पू पहलवान का।
दोस्त को विधायक बनाने में पहलवान के पांव हो गए पत्थर
हालाकि मेरी मुलाकात नहीं है। मगर, बीजेपी के चुनाव प्रचार को लेकर जितनी भी जानकारी जुटाई है उसमें एक नाम, एक चेहरा हर जगह संजीव के साथ साये की तरह दिखाई देता रहा है। वो चेहरा पप्पू पहलवान का ही है। पप्पू पहलवान जहां संजीव के साथ साये की तरह पूरे चुनाव में पर्दे के पीछे रहकर सारी जिम्मेदारियां निभाते दिखे, वहीं जिन जिम्मेदारियों से अन्य लोगों में बचना चाहा उन्हें भी पप्पू पहलवान ने बखूबी उठाया।
दोराय नहीं कि संजीव के चुनाव में जितनी मेहनत संजीव और अतुल गर्ग की रही। उससे कहीं ज्यादा जमीनी स्तर पर पप्पू पहलवान ने की है। बताते हैं कि पहलवान जी के पैर सूजे हुए हैं। पत्थर हो गए हैं। मगर न दर्द है और न किसी तरह की पीड़ा। बल्कि संतोष इस बात का है कि जिस दोस्त को विधायक बनाना इच्छा रही, वो पूरी हो गई।
पप्पू की टीम ने ही संभाली जमीनी कमान
लाईन पार क्षेत्र में संजीव को आवास दिलाने से लेकर उनकी तमाम जनसभाओं को सफल बनाने उनके तमाम इंतजाम करने से लेकर रणनीतिक तौर पर सारी जिम्मेदारियां पप्पू पहलवान ने ही संभालीं। अपने नजदीकी यशपाल पहलवान से संपर्क करके विपक्षियों के हमलों का जवाब देने के लिए पप्पू पहलवान ने ही संजीव के प्रताप विहार में आवास की व्यवस्था कराई।
इतना ही नहीं यशपाल को जिम्मेदारी दी वाल्मीकि समाज को साधने की। विपक्ष के जो लोग एससी-एसटी बाहुल्य इलाके में बीजेपी की बंपर जीत से हैरान हैं, उन्हें ये पता भी नहीं चला कि कब पप्पू पहलवान और यशपाल पहलवान ने अपनी योजना के तहत वाल्मीकि समाज को अपने सांचे में ढाला और संजीव के पक्ष में वोट करा दिया।
बीजेपी से नाराजों को भी पहलवान ने किया मैनेज
हालाकि कई इलाकों में बीजेपी को उन्हीं के पुराने लोगों ने नुकसान पहुंचाया, मगर जितना नुकसान होने की उम्मीद की जा रही थी उसे कम करने में पप्पू पहलवान ने अहम भूमिका निभाई। खासकर बीजेपी नेता यतेंद्र नागर से नाराज लोगों को मनाने के मामले में। बीजेपी के ही सूत्र बताते हैं कि प्रताप विहार की रामलीला कमेटी के में करीब 15 लाख रुपये को लेकर एक विवाद कमेटी के पदाधिकारियों का यतेंद्र से चल रहा है। जबकि गंगा-यमुना-हिंडन सोसायटी सिद्धार्थ विहार में भी एक बड़े गुट से यतेंद्र का विवाद है।
जिसके चलते इस चुनाव में बीजेपी को खासा नुकसान होने की संभावना थी। मगर पप्पू पहलवान ने इस नुकसान को रोकने के लिए न सिर्फ अपने पर्दे के पीछे की गई कोशिशों से यतेंद्र के खिलाफ प्रताप विहार रामलीला कमेटी वाली लॉबी को मनाया, बल्कि गंगा-यमुना-हिंडन सोसायटी में रहने वाले यतेंद्र से नाराज गुट को भी बीजेपी के प्रचार में जोड़ दिया। जिसका सीधा लाभ न सिर्फ बीजेपी को बल्कि संजीव को बंपर जीत से विधायक बनने में मिला।
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