
Administrative Failure in UP: इसे इत्तेफाक कहें, विपक्षियों की चाल कहें या जनप्रतिनिधियों की लापरवाही, या कहा जाए सरकारी मशीनरी की हठधर्मिता? पश्चिमी यूपी के जिन जिलों में बीजेपी का वर्चस्व है, वहीं बीजेपी के जनप्रतिनिधियों से लेकर जनता तक Administrative Failure और सरकारी मशीरनी की लापरवाही से परेशान हैं। ताजा मामला बुलंदशहर के शिकारपुर का है, जहां एक किशोर तीन दिन पहले लापता हो गया। परिवार पुलिस से लेकर अफसरों तक गुहार लगाता रहा, मगर प्रशासन तब हरकत में आया जब किशोर का चाकू से गुदा शव मिला और गुस्साए परिजनों ने जाम लगा दिया।
यह मामला केवल बुलंदशहर तक सीमित नहीं है; गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, मेरठ, बागपत और हापुड़ जैसे जिलों में भी Administrative Failure के ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं। यहां तक कि बीजेपी के जनप्रतिनिधि भी सरकारी मशीनरी की लापरवाही से परेशान हैं, मगर स्थिति में सुधार नहीं हो रहा है।
बुलंदशहर का ताजा मामला

बुलंदशहर की कोतवाली शिकारपुर इलाके में रहने वाला मयंक दो दिन पहले लापता हो गया। परिवार वाले मयंक की तलाश के लिए पुलिस चौकी से लेकर उच्चाधिकारियों तक गुहार लगाते रहे। हालांकि, प्रशासन ने इसे केवल गुमशुदगी का मामला मानकर इतिश्री कर दी। जब मयंक का चाकू से गुदा हुआ शव बरामद हुआ, तो परिजनों और आसपास के लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। उन्होंने दिल्ली-बदायूं मार्ग पर जाम लगाकर Administrative Failure के खिलाफ प्रदर्शन किया।
यह मामला खास इसलिए है क्योंकि बुलंदशहर में अधिकांश जनप्रतिनिधि बीजेपी के हैं। इसके बावजूद, जनता Administrative Failure और सरकारी मशीनरी की लापरवाही से त्रस्त है।
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गाजियाबाद में भी स्थिति चिंताजनक
गाजियाबाद में Administrative Failure के मामले लगातार सामने आते रहते हैं। हाल ही में नगर निगम की एक शिकायत में फर्जी हस्ताक्षर करने की घटना ने सरकारी सिस्टम की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए। इसके अलावा, कविनगर थाने के सामने हुए सड़क हादसे में बच्ची की मौत के बाद भी पुलिस का एक घंटे तक न पहुंचना Administrative Failure का बड़ा उदाहरण है।
बीजेपी के विधायक नंदकिशोर और महापौर सुनीता दयाल खुद कई बार पुलिस और अन्य सरकारी विभागों की लापरवाही पर सवाल उठा चुके हैं। इसके बावजूद, सरकारी मशीनरी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा है।
आगरा में भी उठे सवाल
आगरा के बीजेपी विधायक भी कमिश्नरेट सिस्टम की कार्यशैली पर सवाल उठा चुके हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस आरोपी से पैसे लेकर थाने से ही जमानत दे देती है, जबकि पीड़ित को न्याय के लिए भटकना पड़ता है। इसके बावजूद, Administrative Failure की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है।
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2027 में बीजेपी को नुकसान का खतरा
इसमें कोई शक नहीं कि उप-चुनावों में जनता ने बीजेपी को भरपूर समर्थन दिया है। नौ में से सात सीटों पर जीत दर्ज कर बीजेपी ने अपनी पकड़ साबित की है। लेकिन पश्चिमी यूपी में Administrative Failure और सरकारी मशीनरी की लापरवाही से जनता में असंतोष बढ़ रहा है।
बीजेपी के चुने हुए जनप्रतिनिधि भी Administrative Failure के कारण जनता के काम कराने में असफल हो रहे हैं। अगर यह स्थिति जारी रही, तो इसका असर 2027 के विधानसभा चुनावों में देखने को मिल सकता है।