सावधान ! गाजियाबाद में साल-दर-साल फैल रहा ‘AIDS’

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AIDS in Ghaziabad: दुनियाभर में आज भी जो बीमारी जानलेवा है। जिस बीमारी का कोई इलाज नहीं है। वो हमारे जिले में साल-दर-साल फैलती जा रही है। ये बात हम सरकारी आंकड़े के आधार पर कह रहे हैं। बाकी तो आप खुद तय कीजिए कि जब सरकारी आंकड़े ये हालात बता रहे हैं तो हकीकत कितनी भयानक होगी। हम जिस जानलेवा बीमारी की बात कर रहे हैं, वह AIDS है। जाहिर है कि इन हालातों में सजग रहने की जरूरत है।

ये है CMO कार्यालय की रिपोर्ट

जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय की ओर से शनिवार को जारी की गई रिपोर्ट के मुताबिक एक जनवरी 2024 से 30 अक्टूबर तक जिले में कुल 563 AIDS रोगी मिले हैं। इनमें 370 पुरुष हैं तो 159 महिला और 7 ट्रांसजेंडर्स के अलावा 17 बच्चे हैं।

बीते तीन साल का हाल

मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के मुताबिक साल 2023 में जिले में AIDS के रोगियों की संख्या 543 थी। इनमें 389 पुरुष, 141 महिलाएं, 4 ट्रांसजेंडर्स और नौ बच्चे थे। यदि बीते साल के आंकड़े को इस साल 10 महीने के आंकड़ों से मिलान करें, तो साफ है कि जिले में AIDS रोगियों की तादात बीते साल के मुकाबले काफी ज्यादा है।

सबसे ज्यादा चिंता की बात

बीते साल के आंकड़ों में जहां AIDS रोगियों में पुरूषों की संख्या 389 थी, तो इस बार वो संख्या 370 है। लेकिन चिंता की बात ये है कि महज 10 महीने में बीते साल की अपेक्षा महिला रोगियों की संख्या बीते साल के 141 के आंकड़े से ऊपर 159 हो गई है, जबकि ट्रांसजेंडर्स में ये संख्या 4 से बढ़कर सात हो गई है। इसी तरह बीते साल के मुकाबले AIDS रोगी बच्चों की संख्या बीते साल नौ थी जबकि इस साल महज 10 महीने में ये संख्या 17 हो गई है। ये आंकड़े साफ बता रहे हैं कि AIDS महिला, ट्रांसजेंडर्स औऱ बच्चों में तेजी से फैल रहा है। जो बेहद चिंताजनक है।

2021-2022 में ये रहा हाल

यदि हम 2021 और 2022 के आंकड़ों पर नजर डालें तो 2021 में जिले में AIDS रोगियों की संख्या 349 थी। इनमें 239 पुरुष, 98 महिलाएं, 5 ट्रांसजेंडर्स और 7 बच्चे थे। जबकि 2022 में ये आंकड़ा 655 पहुंच गया था। कुल 655 मरीजों में 466 पुरुष रोगी थे, जबकि महिला मरीजों की संख्या 164 थी और ट्रांसजेंडर एड्स रोगी 6 और 19 बच्चे AIDS के शिकार मिले।

सरकारी आंकड़े ऐसे, तो हकीकत कैसी ? सोचिए

खास हो या आम, अफसर हो या फिर राजनेता, सभी जानते हैं कि सरकारी विभागों में आंकड़ों का किस तरह से खेल होता है। लिहाजा जिले के चिकित्सा विभाग के आंकड़े यदि जिले में AIDS की ऐसी स्थिति बता रहे हैं तो इसमें संदेह नहीं कि हालात इसके कहीं ज्यादा भयावह होंगे। जाहिर है कि जो हालात सरकारी आंकड़े बता रहे हैं हकीकत में स्थिति इससे कई गुना खतरनाक होगी। अब सवाल ये कि इन हालात से कैसे निबटा जाए ?

सरकारी विभाग का ये है दावा

  • मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय की मानें तो 2024 में 34 गर्भवती महिलाएं AIDS की शिकार मिली थीं। उनके द्वारा 22 स्वस्थ्य बच्चों को जन्म दिया गया। इन सभी बच्चों को मानकनुसार नेविरापिन सिरप दिया जा रहा है।
  • संक्रमण की रोकथाम और मरीजों की पहचान के लिए सभी जिला अस्पतालों और सामूदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में इससे संबंधित जांच निशुल्क की जा रही हैं।
  • AIDS रोगियों उनके पति-पत्नी और पार्टनर्स की भी जांच और काउंसिंग की व्यवस्था उपलब्ध है।
  • एमएमजी अस्पताल में स्थापित एआरटी सेंटर में रोगियों के इलाज की व्यवस्था की गई है।
  • गर्भवती महिलाओं के पॉजिटिव पाए जाने पर उनके सुरक्षित प्रसव की व्यवस्था भी जिले में मौजूद है।
  • जरूरत के मुताबिक ऐसे रोगियों की सर्जरी सुपर स्पेशलिटी अस्पतालों में कराने की व्यवस्था भी जिले में उपलब्ध कराई जा रही है।

AIDS रोगियों की जिले में 10 जगह चिंहित

जिला चिकित्सा विभाग ने जिले में 10 ऐसे इलाके चिंहित किए हैं जहां AIDS रोगियों के मिलने की संभावनाएं सबसे ज्यादा मानी गई हैं। इनमें हाईरिस्क आबादी, हॉटस्पाट माने गए हैं। इनमें मुरादनगर का गुलघर फाटक, सदरपुर, सिकरोड़ा, खोड़ा, शहीदनगर दिल्ली ब़र्डर, विजयनगर, टीला मोड, नंदग्राम और लालकुआं है।

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