SP-Congress के प्रत्याशी सिंघराज जाटव का चुनाव प्रचार मैनेजमेंट टीम को लेकर पहले से ही सवालों में रहा है। बुलंद गाजियाबाद पहले से कहता आ रहा है कि सिंघराज जाटव भले ही SP-Congress के उम्मीदवार होने की वजह से मजबूत दावेदार कहे जा सकते हों, मगर उनका चुनाव संभाल रहा मैनेजमेंट बेहद कमजोर और शायद नासमझ है। शायद यही वहज है कि वो ये मानता है कि इस चुनाव में सिर्फ एक समाज को तरजीह देने से ही उनकी नैया पार लग जाएगी।
ये हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि इस तरह की हरकत उनके द्वारा की गई है लाईन पार क्षेत्र के मुहल्ला भूड़ भारत नगर में। दरअसल, पूरे लाईन पार क्षेत्र में ये मुहल्ला अकेला है जहां कि महज 100 मीटर के दायरे में मंदिर भी है, मस्जिद भी और गुरुद्वारा भी। इसी दायरे में आर्य समाज मंदिर भी है।
सिंघराज शुक्रवार को यहां प्रचार के लिए पहुंचे। उनका काफिला सीधे इलाके में बनी मस्जिद के पास रुका और सीधे मस्जिद के प्रमुख से मुलाकात की। मस्जिद में जाकर उनके साथ फोटो खिंचवाए। उनका और उनके समाज के लोगों का समर्थन मांगा और वापस लौट गए। इलाके के लोगों को ये बात बेहद नागवार गुजरी है।
ये हाल तो तब है कि उस पूरे इलाके में मुस्लिम समाज के महज 15 से 20 घर हैं। लोग सिर्फ चर्चा ही नहीं कर रहे बल्कि नाराज हैं कि दो-दो इतनी बड़ी पार्टियों के समर्थन से चुनाव लड़ने वाला शख्स या उसकी मैनेजमेंट के लोग ऐसी चूक कैसे कर सकते हैं ? कैसे हिंदू समाज के मंदिर और सिक्ख समाज के लाईन पार क्षेत्र के सबसे प्राचीन गुरुद्वारे की अनदेखी कर सकते हैं ? किस तरह शहर की चुनिंदा और पुरानी आर्य समाजों में गिनी जाने वाली आर्य समाज भूड़ भारत नगर को भूल सकते हैं ? वो भी तब जबकि वो मस्जिद में माथा टेकने और वहां के प्रमुख से मिलने गए हैं।
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जाहिर है कि बीजेपी सहित अन्य दलों के प्रत्याशियों के लिए उनकी ये हरकत चुनाव के लिहाज से फायदे का सौदा होगी, लेकिन बड़ा सवाल ये कि दो-दो बड़ी पार्टियों के स्थानीय नेताओं में से किसी ने भी भला क्यों उन्हें उनकी इस गलती पर टोका नहीं ?
सबसे ज्यादा Congress की छवि पर असर
हालाकि, ये तो महज ढाई साल के कार्यकाल के लिए विधायक बनाने वाला चुनाव है, और जिस इलाके में समाजवादी पार्टी के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ रहे सिंघराज से ये चूक हुई हैं, वहां समाजवादियों का कोई जनाधार ही नहीं है। उस इलाके में भाजपा को टक्कर देने की स्थिति में आज भी सिर्फ और सिर्फ कांग्रेसी वोटर्स ही हैं। बावजूद इसके कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार का ये कदम कांग्रेस के गर्त में जाते भविष्य के लिए और ज्यादा नुकसानदायक है।
दरअसल, एसएसके पब्लिक स्कूल के डायरेक्टर गुलशन भांबरी, रोजबैल स्कूल के डॉयरेक्टर सरदार जोगेंद्र सिंह समेत तमाम पुराने कांग्रेसियों का ये गृह क्षेत्र है। कांग्रेस से कई चुनाव लड़ चुके पवन शर्मा सहित कई दिग्गज कांग्रेसियों जिनमें सरदार दामोदर जग्गी, स्व.सेवाराम बग्गा जैसे लोग भी इसी इलाके के हैं। बावजूद इसके यहां मंदिर और गुरुद्वारे की अनदेखी को इलाके के लोग बेहद गंभीरता से ले रहे हैं।
इतना ही नहीं गुलशन भांबरी जो पुराने कांग्रेसी रहे हैं वो मस्जिद के पास बने मंदिर के प्रधान भी रहे हैं जबकि सरदार जोगेंद्र सिंह भी इलाके के गुरुद्वारे में प्रधान तक की जिम्मेदारी निभाते रहे हैं। उसके बावजूद ये लापरवाही जानबूझकर की, या कराई गई, या फिर हो गई, ये उन कांग्रेसियों को तय करना है, जो आज भी कांग्रेस में बड़े ओहदों पर हैं और उनके संबंध भी आज तक कांग्रेस छोड़ चुके इलाके के लोगों से हैं।
एक खास धर्म को तरजीह से असंतोष
सिंघराज जाटव के इस चुनावी प्रचार ने खास वर्ग में असंतोष पैदा कर दिया है। इस क्षेत्र में जहाँ मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारा पास-पास स्थित हैं, वहाँ सिर्फ मस्जिद में जाना और बाकी धार्मिक स्थलों की अनदेखी करना समाज के कुछ वर्गों में आक्रोश को जन्म दे रहा है। एक ऐसा क्षेत्र जहाँ मात्र 15 से 20 मुस्लिम परिवार हैं, वहाँ मुस्लिम समुदाय से समर्थन की अपील करना और बाकी वर्गों को अनदेखा करना चुनावी रणनीति के तहत एक बड़ा सवाल खड़ा करता है।
सबसे ज्यादा बीजेपी को होगा लाभ
टीम सिंघराज की जाने या अनजाने हुई इस हरकत का सबसे ज्यादा फायदा इस वार्ड में बीजेपी को मिलना तय माना जा रहा है, क्योंकि यहां के कई पुराने कांग्रेसी या उनके परिवार वाले इस वक्त बीजेपी का दामन थामे हैं। लिहाजा इस चूक का फायदा उठाकर बीजेपी इस बात को बल दे सकती है। ताकि माहौल को अपने पक्ष में करके अपने खिलाफ इस इलाके के वोटर्स का समर्थन पाने में कामयाब हो जाए।
गौरतलब है कि ये वही इलाका है जहां बीजेपी के कुछ नेताओं के सहयोग से एक शराब का ठेका खुला था। जिसके विरोध में आंदोलन हुआ था। और यहां आंदोलन कर रही इलाके की महिलाओं को शराब तस्कर तक बोला गया था, जबकि उन्हें उठाने के लिए उनके साथ अभद्रता तक हुई थी।


