उपचुनाव 2024: हिंदूवादी मुद्दों पर उठता दर्द – क्या बीजेपी के लिए बनेगा चुनौती?

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By-Election 2024: उत्तर प्रदेश के इस बार के By-elections में माहौल और भी गरमा गया है, खासकर जब बीजेपी अपने गढ़ों में पुराने हिंदूवादी मुद्दों से चुनौती महसूस कर रही है। बीजेपी उम्मीदवार संजीव शर्मा की स्थिति अभी तक मजबूत मानी जा रही थी, लेकिन हाल के विवादों ने उनकी राह में कई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। यति नरसिंहानंद और पिंकी चौधरी के विवादों का प्रभाव बीजेपी पर किस तरह पड़ सकता है, यह एक बड़ी चर्चा का विषय बन चुका है।

बीजेपी के गढ़ में खड़ी हुई चुनौती

संजीव शर्मा का चुनाव कार्यालय और उनके जनसंपर्क के प्रयासों में अभी तक उन्होंने काफ़ी बढ़त बनाई है, लेकिन हाल के विवादों ने उनके पक्ष में माहौल को कमजोर कर दिया है। साहिबाबाद क्षेत्र में निवास के मुद्दे को लेकर पहले ही उनके विपक्षियों ने उन पर निशाना साधा था। संजीव शर्मा ने हालांकि, इस मसले को बड़ी चतुराई से संभालते हुए लाइनपार क्षेत्र में अपना निवास स्थान स्थानांतरित किया, जिससे कई आलोचनाओं पर उन्होंने काबू पा लिया। फिर भी, यति नरसिंहानंद के विवादास्पद बयानों और उनके समर्थकों पर हुई पुलिस कार्रवाई से माहौल में कड़वाहट बढ़ी है।

यति नरसिंहानंद और पिंकी चौधरी विवाद

पैगंबर मोहम्मद पर दिए गए बयान के बाद यति नरसिंहानंद पर प्रशासनिक कार्रवाई हुई और उन्हें नजरबंद किया गया। इसके बाद पुलिस द्वारा समर्थकों पर लाठीचार्ज और जेल भेजने की घटनाओं ने हिंदूवादी संगठनों में नाराजगी फैला दी है। दूसरी ओर, हिंदू रक्षा दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष पिंकी चौधरी को एक बुजुर्ग मुस्लिम व्यक्ति को रोहिंग्या बताकर पीटने के आरोप में गिरफ्तार किया गया और वे अब तक जेल में हैं। पिंकी चौधरी ने खुद चुनाव में उतरने की कोशिश की, लेकिन असफल रहे। इसके बाद उन्होंने अपनी पत्नी पूनम चौधरी को बीजेपी उम्मीदवार संजीव शर्मा के खिलाफ चुनावी मैदान में उतारकर खुली चुनौती दी है।

हिंदूवादी गुटों का गुस्सा और बीजेपी पर असर

यति नरसिंहानंद और पिंकी चौधरी का बीजेपी समर्थक माने जाने वाले हिंदूवादी संगठनों के साथ लंबे समय से जुड़ाव है। इन संगठनों के लिए पुलिस की यह कार्रवाई, जिसे वे नाइंसाफी के रूप में देख रहे हैं, उनके भीतर असंतोष की भावना को जन्म दे रही है। यह गुस्सा By-election के समय बीजेपी के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है, खासकर जब इन समर्थकों का वोट पहले बीजेपी के पक्ष में माना जाता रहा है।

पूनम चौधरी का चुनाव(By-election) में उतरना

बीजेपी के खिलाफ पूनम चौधरी का चुनाव लड़ना बीजेपी के लिए एक अप्रत्याशित चुनौती साबित हो सकता है। पिंकी चौधरी का हिंदूवादी संगठनों में प्रभाव और उनके समर्थन से पूनम को क्षेत्र में खास समर्थन मिल सकता है, जिससे बीजेपी की स्थिति कमजोर हो सकती है। पूनम चौधरी का चुनाव में उतरना न सिर्फ हिंदूवादी समर्थन को बांट सकता है, बल्कि यह संकेत भी दे सकता है कि बीजेपी अपने पारंपरिक समर्थन को खो रही है।

संजीव शर्मा के लिए मुश्किल हालात

हालांकि संजीव शर्मा अभी भी मैदान में आगे दिख रहे हैं, लेकिन इस प्रकार के विवादों का उनके चुनाव पर असर पड़ सकता है। बीजेपी का आंतरिक विरोध, खासकर यति और पिंकी चौधरी के समर्थकों के बीच, चुनाव परिणाम पर गहरा असर डाल सकता है। विपक्षी भी इस मौके को भुनाने का प्रयास कर रहे हैं, ताकि बीजेपी के मजबूत आधार को कमजोर किया जा सके।

बीजेपी के लिए क्या हो सकते हैं समाधान?

बीजेपी को इस चुनौती से निपटने के लिए अपने समर्थकों को साधने की ज़रूरत है। पार्टी नेतृत्व को चाहिए कि वो यति और पिंकी जैसे महत्वपूर्ण नेताओं के समर्थकों से संवाद स्थापित करे और उनकी चिंताओं का समाधान खोजे। संजीव शर्मा को भी जरूरत है कि वे इस विवाद से उपजे सवालों का जवाब दें और स्पष्ट करें कि वे बीजेपी की नीतियों के साथ किस तरह खड़े हैं।

विपक्ष के लिए वरदान या बीजेपी के लिए चेतावनी?

जहां एक ओर यह विवाद विपक्षियों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है, वहीं बीजेपी को अपनी आंतरिक गुटबाजी से बचने और चुनाव में एकजुटता बनाए रखने की सख्त जरूरत है। इस विवाद ने बीजेपी की छवि को प्रभावित करने के साथ-साथ उसके वोट बैंक को भी नुकसान पहुंचाया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी और संजीव शर्मा इन विवादों से कैसे निपटते हैं और अपने समर्थन को बरकरार रख पाते हैं या नहीं।

बीजेपी के लिए जरूरी है ये

अपने गढ़ को अजेय बनाए रखने के लिए बीजेपी को कड़ी मशक्कत करनी पड़ सकती है। इस प्रकार के विवादों का उपचुनाव(By-election) 2024 पर बड़ा प्रभाव हो सकता है। बीजेपी के लिए यह समय है कि वो इन चुनौतियों का सामना साहस और चतुराई से करे, ताकि उनके गढ़ में उनके विरोधियों को लाभ न मिल सके। लेकिन देखना होगा कि बीजेपी रूठों को मनाती है या फिर विपक्षी हिंदूवादियों में उपजी इस आक्रोश की चिंगारी को घी डालकर भड़काने में कामयाब हो जाते हैं।

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