महाकवि डॉ. कुँअर बेचैन की स्मृति में आयोजित भव्य कवि सम्मेलन व सम्मान समारोह

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Kunwar Bechain Foundation द्वारा हिंदी भवन में आयोजित कवि सम्मेलन और सम्मान समारोह ने साहित्य प्रेमियों को एक शानदार अवसर प्रदान किया। इस भव्य आयोजन में महाकवि डॉ. कुँअर बेचैन की काव्य-धारा की महिमा को याद किया गया और उनके योगदान को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ वरिष्ठ भाजपा नेता बलदेव राज शर्मा ने दीप प्रज्ज्वलन कर किया, और इसके बाद रचनाकारों ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस आयोजन का उद्देश्य महाकवि डॉ. कुँअर बेचैन की काव्य विरासत को जीवित रखना था, साथ ही उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करना था।

पुस्तक लोकार्पण

कवि सम्मेलन के दौरान महाकवि Dr. Kunwar Bechain की काव्य रचनाओं पर आधारित पुस्तक ‘सफ़र में हूं’ का लोकार्पण किया गया। इसके साथ ही अभिनेत्री और कवयित्री प्रतिभा सुमन की पुस्तक ‘अर्बन नक्सल बीवी’ का भी लोकार्पण हुआ। दोनों पुस्तकों का लोकार्पण इस कार्यक्रम के महत्वपूर्ण क्षणों में से एक था, जिसने साहित्य जगत में एक नई उम्मीद और ऊर्जा का संचार किया।

सम्मान समारोह

कार्यक्रम में विभिन्न क्षेत्रों से जुड़ी महत्वपूर्ण शख्सियतों को उनके योगदान के लिए सम्मानित किया गया। वरिष्ठ कवि सोम ठाकुर को ‘महाकवि Dr. Kunwar Bechain साहित्य ऋषि सम्मान’ से नवाजा गया, जबकि कवि दिनेश रघुवंशी को ‘महाकवि Dr. Kunwar Bechain साहित्य मनीषी सम्मान’ से सम्मानित किया गया। अभिनेता रज़ा मुराद को महाकवि डॉ. कुँअर बेचैन काव्य कुटुम्भ सम्मान से सम्मानित किया गया, जो उनके साहित्य और काव्य-कार्य के प्रति योगदान को मान्यता देने वाला था।

काव्य-सम्मान और प्रस्तुति

इस आयोजन में कवियों और साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से महाकवि Dr. Kunwar Bechain को श्रद्धांजलि अर्पित की और अपनी काव्य-प्रतिभा का प्रदर्शन किया। युवा कवि मोहित शौर्य की कविता ने श्रोताओं का ध्यान खींचा: “उजड़े हुए चमन में लेकिन फूल ताजा हूं, कम उम्र में भी मैं सदियों का तकाजा हूं।” यह कविता जीवन की कठिनाइयों से संघर्ष करने और हमेशा नए रूप में उभरने के संदेश को व्यक्त करती है।

कवयित्री डॉ. अल्पना सुहासिनी ने अपनी ग़ज़ल से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया: “सारी ही दुनिया बेमायनी लगती है, दो आंखों का खारा पानी लगती है।” वहीं अभिनेता और कवि रवि यादव का शेर बहुत सराहा गया: “उसने बोला अलविदा, मैंने कहा स्वीकार, खामोशी से ढह गया, बातूनी सा प्यार।”

वंदना कुँअर रायजादा ने अपने पिताश्री महाकवि डॉ. कुँअर बेचैन को याद करते हुए एक भावुक कविता पढ़ी। उन्होंने कहा, “गीत, ग़ज़लों और छंदों से उकारू मैं सदा, आपकी इस पावन धरा को संवारू सदा।” यह कविता उनके पिताजी के प्रति गहरी श्रद्धा और सम्मान का प्रतीक थी।

 

वरिष्ठ कवि डॉ. वागीश दिनकर ने महाकवि कुँअर बेचैन की ग़ज़ल का संस्कृत में अनुवाद कर प्रस्तुत किया। “हर तरफ बारूद का मौसम है, कहां जाकर रहें, आदमी भी हो गया है बम, कहां जाकर रहें,” इस ग़ज़ल ने हर श्रोता को भीतर से झकझोर दिया।

अंतिम संबोधन और समापन

कार्यक्रम के समापन पर फाउंडेशन के अध्यक्ष शरद रायजादा ने सभी कवि-मेहमानों और उपस्थित आगंतुकों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “इस आयोजन का उद्देश्य महाकवि डॉ. कुँअर बेचैन की साहित्यिक धरोहर को संजोना और उसे आगामी पीढ़ी तक पहुँचाना है।” मुख्य अतिथि सांसद अतुल गर्ग ने अपने चुटीले और प्रेरक संबोधन से कार्यक्रम को हल्का-फुल्का बनाते हुए श्रोताओं को खूब हंसाया। विशिष्ट अतिथियों के रूप में पूर्व मेयर आशा शर्मा और वरिष्ठ भाजपा नेता पृथ्वी सिंह कसाना उपस्थित रहे।

 

समारोह की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि सोम ठाकुर ने की, जबकि संचालन की जिम्मेदारी डॉ. अल्पना सुहासिनी और राज कौशिक ने बखूबी निभाई। कुलदीप बरतरिया, रामअवतार राणा, राकेश गुप्ता, डॉ. आर पी शर्मा, विनोद पाण्डेय, और अन्य कई गणमान्य अतिथियों ने कार्यक्रम को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

यह आयोजन साहित्य प्रेमियों के लिए एक ऐतिहासिक दिन था, जो महाकवि डॉ. कुँअर बेचैन की काव्य-धारा को न केवल समर्पित था, बल्कि उनकी काव्य-प्रतिभा को आगे बढ़ाने का एक उत्कृष्ट प्रयास भी था।

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