
Sudhanshu Maharaj in Ghaziabad: विश्व जागृति मिशन मण्डल गाजियाबाद के तत्वाधान में रामलीला मैदान घंटाघर में आचार्य Sudhanshu Maharaj के चार दिवसीय विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। महोत्सव के तीसरे दिन श्री दूधेश्वरनाथ मंदिर के पीठाधीश्वर महंत नारायण गिरि महाराज ने बतौर मुख्य अतिथि इसमें शिरकत की। जबकि कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए।
इसी दौरान उत्तर प्रदेश सरकार के राज्य मंत्री नरेन्द्र कश्यप व लोनी के विधायक नन्द किशोर गुर्जर भी मौजूद रहे। आचार्य Sudhanshu Maharaj ने श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज व आचार्य प्रमोद कृष्णम सहित सभी अतिथियों का स्वागत किया।
सौभाग्यशाली हैं गाजियाबादी- महंत नारायण गिरी
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने कहा कि गाजियाबाद के निवासी बहुत ही सौभाग्यशाली हैं कि उन्हें आचार्य Sudhanshu Maharaj जैसे सिद्ध व तपस्वी संत के प्रवचन सुनने का अवसर मिला है। आचार्य Sudhanshu Maharaj ऐसे सरल संत हैं, जिनके प्रवचन सुनने वाले के सीधे ह्रदय में उतर जाते हैं, जिससे जीवन ही बदल जाता है। उनके प्रवचनों ने भारत ही नहीं दुनिया भर के लोगों के जीवन को ज्ञान, आध्यात्म व भक्ति के उजाले से प्रकाशित करने का कार्य किया है।
उनका व महाराजश्री का सम्बंध बहुत पुराना है और उन्हें जब भी मौका मिलता है, वे उनके प्रवचनों का श्रवण अवश्य करते हैं। भक्ति व आध्यात्म ही नहीं सेवा कार्यो में भी वे मिसाल कायम कर रहे हैं। हजारों बच्चों के जीवन में आज वे शिक्षा का उजाला भर रहे हैं। जरूरतमंदों की मदद करने से लेकर गौ सेवा आदि के कार्य रहे हैं और पूरे विश्व में सनातन धर्म की पताका फहरा रहे हैं।
संतों के प्रवचन का अनुसरण करें- कृष्णम
आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा कि वैसे तो सारे संत ही आदर-सम्मान व श्रद्धा के पात्र हैं, मगर उनके लिए आचार्य Sudhanshu Maharaj उनके लिए सबसे अलग हैं, क्योंकि उनके अंदर उन्हें संत के साथ ही अपने माता-पिता के दर्शन भी होते हैं। कल्कि पीठाधीश्वर धाम की स्थापना के दौरान महाराजश्री उनकी चिंता ऐसे ही करते थे, जैसे माता-पिता करते हैं। ऐसे संत के प्रवचन श्रवण करने से जीवन धन्य हो जाता है।
समय की कीमत पहचानों- Sudhanshu Maharaj
कार्यक्रम के तीसरे दिन आचार्य Sudhanshu Maharaj ने कहा कि जीवन लगातार नदी की प्रवाह की तरह बह रहा है। जो जल बह गया, वह वापस नहीं आता। जो बीत गया, वह बीत गया। अब कुछ नया सोचने का समय आ गया है। जीवन का समय बेहद कीमती है। रिश्ता कीमती है लेकिन उसका पता उसके खो जाने पर ही चलता है कि कितना कीमती था। मनुष्य का देह मिलना आसान नहीं होता है। यही सही समय और सही मौका है कि हम खुद को बदल सकते हैं। परमात्मा के साथ अपना संबंध जोड़िए परमात्मा दयानिधान, कृपानिधान और संकटमोचक हैं और वे हम सबके सभी कष्ट व संकट दूर कर देंगे।
Sudhanshu Maharaj का इतिहास
2 मई 1955 को सहारनपुर में Sudhanshu Maharaj का जन्म हुआ था। वे अपने परिवार में सबसे बड़े हैं। उन्होंने अपना शैक्षिक जीवन गुरुकुल में रहकर बिताया। हिंदी और संस्कृत ज्ञान के बूते उन्हें प्रसिद्धि मिली। Sudhanshu Maharaj का घर का नाम यशपाल है। Sudhanshu Maharaj ने विश्व जागृति मिशन की स्थापना की थी। 24 मार्च 1991 को इन्होंने दिल्ली में विश्व जागृति मिशन का गठन रामनवमी के दिन किया था।
Sudhanshu Maharaj के आश्रम
Sudhanshu Maharaj का सहारनपुर में स्थित आश्रम पुण्य धाम आश्रम के नाम से जाना जाता है। कुल्लू मनाली, पंचकुला, हैदराबाद और देहरादून में उनके आश्रम हैं। ये आश्रम निराशाजनक और बेघर लोगों के लिए शांत और शांत आध्यात्मिक पीछे हटने के रूप में कार्य करते हैं।
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