बहुत गहरे हैं अखिलेश की स्पीच के मायने, एक बार भी नहीं बोले ‘मुस्लिम’ सोचिए क्यों ?

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Akhilesh Yadav ने क्या कहा, किस पर हमला किया, किसके पक्ष में बोले, किस-किस पर निशाना साधा, ये सब तो आपने मीडिया के विभिन्न माध्यमों के जरिये देखा, पढ़ा या सुन लिया होगा। मगर Akhilesh Yadav की तकरीबन एक घंटे की स्पीच में कितनी गहराई थी और क्या संकेत थे ये किसी ने शायद नहीं सोचा और न समझा। Akhilesh Yadav ने अपने भाषण में एक बार भी मुस्लिम शब्द का इस्तेमाल नहीं किया, जो कई संकेत देने वाला है।

यही नहीं Akhilesh दलित समाज को बहुत बड़ा मैसेज सिर्फ इतना कहकर दे गए कि जनरल सीट पर हमने जाटव समाज के उम्मीदवार को उतारा है। ऐसा नहीं कि Akhilesh ने ये अनजाने में कह डाला। ऐसा नहीं कि मुस्लिम शब्द का इस्तेमाल उन्होंने अपने भाषण में अनजाने में नहीं किया। बल्कि इसे जान-बूझकर किया गया उनकी दूरगामी रणनीति का नतीजा बताया जा रहा है।

दरअसल, Akhilesh Yadav इस चुनाव को पीडीए के अपने नारे से भटकाना नहीं चाहते। वो जानते हैं कि यदि उन्होंने अपनी स्पीच में अल्पसंख्यक के नाम पर सिर्फ मुस्लिम समाज को तवज्जो देने वाली गलती की तो तुरंत बीजेपी इसे मुद्दा बनाकर इलेक्शन को हिन्दू मुस्लिम बनाने के प्रयासों में जुट जाएगी। जिससे अल्पसंख्यक समाज से ताल्लुक रखने वाली सिख, जैन समाज सहित अन्य बिरादरियां और जातियों से जुड़े लोगों को बरगलाने का मौका बीजेपी को मिल जाएगा।

इसी सोच के चलते Akhilesh ने एक घंटे के भाषण में मुस्लिम शब्द का इस्तेमाल एक बार भी नहीं किया। लेकिन भाषण के आखिर में वो दलित समाज को ये बताना और जताते चले गए कि उनकी पार्टी जनरल सीट पर भी जाटव प्रत्याशी उतार रही है। वो ये कहने से भी नहीं चूके कि वो आरक्षण लेने वालों को जनरल सीट पर भी चुनाव लड़ाकर उन्हें तवज्जो दे रहे हैं।

Akhilesh Yadav के मंच पर भी मुस्लिमों की मौजूदगी रही कम

शायद समाजवादी पार्टी ने अपनी इसी रणनीति के तहत मंच पर पार्टी के जिलाध्यक्ष फैजल और उनके पिता साजिद के अलावा एक-दो और लोगों को ही जगह दी। जबकि मंच पर पिछड़े और दलित समाज से जुड़े नेताओं को तवज्जो दी गई।

कांग्रेसियों को मिली खूब तवज्जो

रणनीति के तहत ही Akhilesh ने अपनी सभा में मंच साझा कांग्रेस के उन्हीं नेताओं के साथ किया जो अन्य बिरादरियों से थे। मंच पर ब्राह्मण समाज से डॉली शर्मा थीं, तो वैश्व समाज से सुशांत गोयल। त्यागी समाज का प्रतिनिधित्व कांग्रेस के जिलाध्यक्ष विनित त्यागी खुद कर रहे थे। इसके अलावा अनुराग भदौरिया के रूप में अपनी पार्टी के प्रवक्ता को भी वे साथ लेकर पहुंचे थे।

सपाईयों की उपेक्षा पड़ सकती है भारी

Akhilesh Yadav की सभा में जहां कांग्रेसियों को मंच पर जमकर तरजीह दी गई, वहीं सपाईयों को दूर रखने के लिए उन्हें मंच के पास बने एक कमरे में ये कहकर बैठाया गया कि सभा के बाद अखिलेश से वहां उनकी मुलाकात कराई जाएगी। लेकिन मंच से उतरते ही मीडिया से कुछ देर बात करने के बाद Akhilesh निकल पड़े और उनसे नजदीक से मिलने, मुलाकात करने और बात करने की बाट जोह रहे समाजवादी मायूस हो गए। हालाकि उनकी नाराजगी साफ दिखाई दी। इसीलिए ऐसा न हो कि समाजवादी पार्टी के चुनाव चिन्ह पर लड़ रहे सिंघराज को सपाईयों की नाराजगी ही भारी पड़ जाए।

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