
BJP चला रही अभियान : कोई कह रहा ईवीएम में गड़बड़ी हुई। कोई कह रहा शासन-प्रशासनिक मशीनरी का दुरूपयोग हुआ। कोई पार्टी के नेता-कार्यकर्ताओं पर भीतरघात का दोष मढ़ रहा। तो सपा कांग्रेसियों से सहयोग नहीं मिलने का रोना रो रही है। जबकि हकीकत को कोई मानने-जानने को तैयार नहीं है कि जब चुनाव आते हैं तो विपक्षी पार्टियां एक्टिव मोड में आती हैं। मगर BJP चुनाव जीतने के बाद से ही पार्टी की गतिविधियों में कार्यकर्ताओं के साथ जुट जाते हैं। BJP के नेता-कार्यकर्ताओं की ये बात बेहद खास है कि बंपर जीत मिलने पर भी वो अपने अभियानों और गतिविधियों को धार देने में कोताही नहीं बरतते।
जीत के अगले ही दिन से भाजपाई जुटे
आपको ध्यान होगा कि चुनाव जीतने के बाद एक दिन आराम करने के बाद विधायक बने संजीव शर्मा पार्टी के महानगर कार्यालय पहुंचे थे औऱ पार्टी नेताओं के साथ बैठकर स्थाई सदस्य बनाने के अभियान पर रणनीति बनानी शुरू कर दी थी। यही नहीं सदस्यता अभियान के जरिये ज्यादा से ज्यादा लोगों को पार्टी से जोड़ने सहित केंद्र और प्रदेश सरकार की योजनाओं से अनजान लोगों को अवगत कराकर उन्हें बीजेपी के पक्ष में करने और पार्टी से जोड़ने का मंत्र भी दिया था।
सांसद लोगों को कनेंट करने में लगे
पूर्व विधाय़क और बीजेपी सांसद अतुल गर्ग भी इसी कड़ी में हाल ही में रिलीज हुई बीजेपी की थ्योरी से मिलती फिल्म सत्याग्रह एक्सप्रेस के जरिये शहर और जिले के लोगों को पार्टी से कनेक्ट करने में लगे हैं। यही वजह है कि उन्होंने एक मॉल का पूरा शो बुक करके सैकड़ों लोगों को साथ लेकर सत्याग्रह एक्सप्रेस फिल्म देखकर अपनी पार्टी की विचारधारा का प्रचार प्रसार करना शुरू कर दिया है।
गौरतलब है कि इससे पहले बीजेपी के नेता और निगम पार्षदों को पहले ही ये फिल्म दिखाई जा चुकी है। ताकि वे भी चुनावी मोड से बाहर आकर पार्टी को बढ़ाने की कसरत में फिर से जुट जाएं।
शर्मनाक हार से नहीं उबरा विपक्ष
BJP बंपर जीत के बावजूद एक्टिव मोड में आ गई है और पार्टी और उसकी विचारधारा पर काम करने लगी है। मगर, विपक्ष की हालत देखिए कि अब तक शर्मनाक हार का गम गलत करने में ही लगा है। चुनाव के बाद से अब तक किसी भी विपक्षी दल की कोई गतिविधि तो छोड़िए किसी नेता का कोई बयान तक मीडिया के पास नहीं पहुंचा है।
ग्राउंड लेबल पर खत्म हो चुका है विपक्ष !
जहां उप-चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया है कि बीजेपी के आगे पूरा का पूरा विपक्ष लगभग खत्म होने की कगार पर है, वहीं चुनाव के नतीजे घोषित होने के करीब एक हफ्ते बाद भी विपक्ष में पसरा सन्नाटा ये बताने को काफी है कि बीजेपी की बंपर जीत ने विपक्ष को लगभग खत्म करने की कगार पर ला खड़ा किया है। शर्मनाक हार से टूटा विपक्ष खड़ा होने की हालत में भी नहीं है।
कब होगा मंथन, कब होगा काम ?
कांग्रेस ने प्रत्याशी नहीं उतारा, सपा जमानत बचाने वाली एक मात्र पार्टी रही। लिहाजा इनके पास घर में आराम करने के लिए बहाने हैं। लेकिन बात बसपा और आसपा के अलावा एआईएमआईएम की करें तो इनके पास निश्चित तौर पर कोई बहाना नहीं है। हालाकि रवि गौतम ने अपने प्रदर्शन से चंद्रशेखर रावण के कई दिन के प्रचार के बावजूद आसपा से ज्यादा वोट लाकर जरूर ओवैसी की पार्टी को गर्व करने का मौका देने के साथ-साथ कम मतदान प्रतिशत के बावजूद चौथे नंबर पर लाकर बड़ा काम कर दिया है।
बसपा-आसपा का क्या ?
पहली बार उप-चुनाव लड़ने वाली बसपा का गाजियाबाद के किसी चुनाव में ये आज तक का सबसे निराशाजनक प्रदर्शन रहा है। जाहिर है कि इस पर चिंतन-मनन और ग्राउंड लेबस से पड़ताल होनी चाहिए थे। मगर हाल देखिए कि पार्टी 15 जनवरी को होने वाले पार्टी प्रमुख के जन्मदिन के लिए धन जुटाने की कसरत कर रही है। जबकि चिंतन-मंतन हो ही नहीं रहा। उधर, असपा के प्रत्याशी गड़बड़ी की बात कहकर मामले को कोर्ट ले जाने की बात तो कह रहे हैं। मगर ये नहीं सोच रहे कि चंद्रशेखर रावण के कई रोड शो और सभाओं के बावजूद उनका प्रदर्शन रवि गौतम से भी निराशाजनक क्यों रहा ?
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