Bjp पार्षद सर्वेसर्वा: फिर भी खंडहर बनी पहली कन्या पाठशाला, अवैध कब्जे में आर्यसमाज भवन, दोषी कौन ?

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BJP: चुनावी सरगर्मियां जोरों पर हैं। लोग चुनाव में तरह-तरह के मुद्दे उठा रहे हैं। जनता से प्रत्याशी तरह-तरह के दावे और वायदे भी कर रहे हैं। मगर किसी का ध्यान गाजियाबाद की सबसे प्राचीन आर्य समाजों में से एक रेलवे स्टेशन रोड की आर्य समाज की बेहाली और बदहाली पर नहीं है। लाईनपार क्षेत्रवासियों को पहला आठवीं तक की कन्या पाठशाला देने वाली ये आर्यसमाज अज अपनी हालत पर आंसु बहाने को मजबूर है।

इसकी खंडहर में तबदील होती बिल्डिंग और अतिक्रमण की चपेट में आए चार मंजिला भवन की चिंता किसी को नहीं। ये हाल तब है जबकि इस आर्यसमाज के सर्वेसर्वा भारतीय जनता पार्टी के मनोनीत पार्षद रहे सुरेंद्र नागर खुद हैं।

सबसे ज्यादा जमीन, सबसे ज्यादा बच्चे थे कन्या पाठशाला में

रेलवे स्टेशन रोड पर करीब आधी से भी ज्यादा सदी पहले स्थापित इस आर्यसमाज के द्वारा आठवीं तक के विद्यालय का संचालन होता था। पांचवी तक लड़कों के लिए जबकि आठवीं तक लड़कियों के लिए इसमें शिक्षा की व्यवस्था थी। लाईनपार क्षेत्र में कन्याओं को आठवीं तक की पढाई की एक मात्र पाठशाला आर्य समाज ही संचालित करती थी। बाकायदा रक्षा मंत्रालय ने भी कोड़ियों के दामों पर आर्य समाज को उस वक्त करोड़ों में (आज अरबों में) कीमत वाली जमीन लीज पर दी थी।

उस वक्त के आर्य समाज के संचालकों ने रक्षा मंत्रालय से लीज पर मिली कुछ जमीन पर करीब एक दर्जन क्लास रूम और उनके सामने बड़ा सा मैदान विकसित किया था। लेकिन अनदेखी के चलते आज वो खंडहर में तब्दील हो गया है। क्लास रूम के दरवाजे और चौखट तक गायब हैं जबकि इस पूरी इमारत की बाउंड्री भी गायब हो चुकी है। यही नहीं स्कूल के इस भवन के नाम पर सिर्फ एक द्वार और कुछ कमरे खंडहर की शक्ल में दिखाई देते हैं जहां नशेड़ियों और जुआरियों का अड्डा बना हुआ है।

मुख्य भवन भी है अतिक्रमण की चपेट में

आर्य समाज का मुख्य भवन रेलवे स्टेशन के ठीक सामने चार मंजिला खड़ा है। मगर संचालकों की अनदेखी के चलते जहां बिल्डिंग की हालत जरजर है वहीं बिल्डिंग और इसके चारों तरफ अतिक्रमण हो रखा है। लेकिन आर्य समाज की समिति के लोगों को इसकी कोई फिक्र नहीं है।

अतिक्रमण करने वाले बोले-महीना देते हैं

इस आर्य समाज के चारों तरफ ठेलियां और स्टॉल लगाकर बैठे लोगों का कहना है कि वो इसकी एवज में आर्य समाज से जुड़े लोगों को बाकायदा हर महीने बंधी हुई रकम देते हैं। इतना ही नहीं स्थानीय लोगों की तो यहां तक शिकायत है कि इनमें से कुछ दुकानदार रात में लोगों को आर्ससमाज के बाहर ही नशे का सेवन तक कराते हैं।

स्कूल के नाम पर हो रही महज खानापूर्ति

कहने को तो आज भी आर्यसमाज के द्वारा संचालित कन्या पाठशाला का संचालन हो रहा है, मगर ये सिर्फ कागजों में ही चल रहा है। यहां पढ़ने वाले बच्चों की संख्या सैकड़ों से दर्जनों में भी बामुश्किल बची है। ये सब हालत आर्य समाज की कमेटी की अनदेखी का ही नतीजा है। जिसके सर्वेसर्वा बीजेपी के पूर्व मनोनीत पार्षद सुरेंद्र नागर हैं।

पहले हर साल होता सत्संग

इस आर्यसमाज का ख्याति पूर्व में सिर्फ गाजियाबाद ही नहीं बल्कि भारत की चुनिंदा आर्य समाजों में होती थी। हर साल यहां एक-एक सप्ताह तक चलने वाला रात्रि सत्संग होता था। इसमें देश-विदेश के आर्य समाज से जुड़े बड़े संत प्रवचन के लिए आते थे। एक सप्ताह तक हर रात होने वाले इस सत्संग को सुनने और उसमें शिरकत करने वाले लोगों की संख्या भी सैकड़ों में हुआ करती थी, मगर कमेटी की अनदेखी के चलते वह सत्संग भी सालों से बंद पड़ा है।

इलाके के लोगों ने आर्य समाज का कराया था निर्माण

बताते हैं कि लाईन पार क्षेत्र में रहने वाले पुराने लोगों ने मुफ्त जमीन और अन्य तरह-तरह की मदद करके इस भव्य आर्य समाज का निर्माण कराया था। लोगों के सहयोग से ही न सिर्फ आर्य समाज का भव्य भवन बना था बल्कि रक्षा मंत्रालय की जमीन पर भी बड़ा स्कूल औऱ उसके मैदान से लेकर क्लास रूम तक बने थे। लेकिन कमेटी के पदाधिकारियों की अनदेखी के चलते आज ये प्राचीन आर्य समाज स्मृति और खंडहर बनती जा रही है। इसकी फिक्र न स्थानीय कमेटी को है और ना ही आर्य समाज के संचालन में अहम रोल निभाने वाले बड़े पदाधिकारियों को।   

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