
Parmanand Garg(BSP Candidate) Interview: इसे संयोग कहें कि प्रयोग कि सुरेश बंसल के रूप में गाजियाबाद विधानसभा सीट पर अपनी जीत का परचम लहराने वाली बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने इस चुनाव में भी एक वैश्य उम्मीदवार पर दांव लगाया है। इस बार बीएसपी से चुनाव लड़ने वाले वैश्य समाज के परमानंद गर्ग मूल रूप से बोंझा(पटेलनगर) के निवासी हैं। चुनाव को लेकर कट-टू-कट तरीके से उनसे कुछ सवालों के जवाब पूछे गए।
सुनें क्या बोले BSP Candidate Parmanand Garg

प्रश्न 1– इस बार चुनाव में दलित-मुस्लिम वोटों के आपके अलावा तीन और दावेदार सिंघराज, रवि गौतम और आजाद समाज पार्टी के सतपाल चौधरी हैं। किसे कितना दलित-मुस्लिम वोट मिल रहा है ?
जवाब- कोई कितने भी गाल बजाए। कोई कितने भी दावें करे, मगर हकीकत ये है कि ये तीनों के तीनों उम्मीदवार दो-चार हजार में निबटने वाले हैं। हजार डेढ़ हजार में सतपाल, और हजार 500 में सिंघराज और रवि का निबटना तय है। लोग कितना भी दुष्प्रचार कर लें दलित समाज का विश्वास केवल और केवल बहन मायावती के साथ ही जुड़ा है।
गाजियाबाद की सीट पर मैं कहने को उम्मीदवार हूं, मगर यहां चुनाव बहनजी ही लड़ रही हैं। इस सीट पर आप खुद तय कीजिए कि क्या इनमें से किसी की हैसियत इतनी है जो बहनजी की बजाय दलित समाज के वोट पा सकता है। मुस्लिम समाज जानता है कि भाजपा को हराने की ताकत केवल मुझमें है। इसलिए मुस्लिम समाज भी इस बार वोट खराब नहीं कर रहा बल्कि एकतरफा हमारे साथ है।
प्रश्न 2- कहा जा रहा है कि वैश्य समाज आपके साथ नहीं है ?
उत्तर- विपक्षी और विरोधी कितना भी दुष्प्रचार करें मेरा पूरा समाज मेरे साथ है। ये बात अलग है कि कुछ लोग निजी कारणों और संबंधों की वजह से कुछ और नेताओं और प्रत्याशियों के साथ नजर आ रहे हैं। लेकिन किसी के साथ फोटो खिंचवाना, किसी के साथ प्रचार करने से वोट उसे नहीं दे दिया जाता। 13 नवंबर को जब समाज के लोग वोट डालने के लिए जाएंगे तो पूरा वैश्य समाज मेरे नाम के साथ हाथी वाला बटन दबाने जा रहा है। भले ही बीजेपी या फिर और दलों के नेता और प्रत्याशी कितने भी दावें कर रहे हैं, मगर हकीकत ये है कि वैश्य समाज का एक-एक वोटर और संगठन मेरे साथ है।
शोर-शराबा नहीं किया जा रहा है। सब अंदर ही अंदर चल रहा है। जब चुनाव का नतीजा सामने आएगा तो लोग अपने मुंह से कहेंगे कि इस बार तो गाजियाबाद के वोटर्स ने 2012 का सुरेश बंसल वाला वक्त दोहरा दिया। इस बार गाजियाबाद में दलित-वैश्य और मुस्लिम मतदाता यही करने जा रहे हैं।
प्रश्न 3- एक सर्वे हुआ है जिसमें सामने आया है कि बीजेपी का उम्मीदवार अब तक सभी उम्मीदवारों से बढ़त बनाए हुए है। लोग बीजेपी का विकल्प तो चाहते हैं, मगर उन्हें कोई ऐसा प्रत्याशी नजर नहीं आया।
उत्तर– वो सर्वे आपकी ही टीम का है। उस सर्वे में ये भी बताया गया है कि 85 फीसदी लोग बीजेपी से नाराज है। मतदान में अभी वक्त है। जैसे-जैसे समय नजदीक आएगा आप दोबारा सर्वे कराकर देख लीजिएगा जनता को बीजेपी को हराने वाले प्रत्याशी के विकल्प के रूप में सिर्फ मेरा चेहरा और बसपा उम्मीदवार ही नजर आएगा। दलित और मुस्लिम समाज जानता है कि बाकी दलों के उम्मीदवार बढ़त से जीतने वाली बीजेपी को हराने की ताकत ही नहीं रखते। अकेला मैं हूं जो दलित- वैश्य और मुस्लिम वोट के बूते स्वर्गीय सुरेश बंसल की तरह इस बार बीजेपी उम्मीदवार संजीव शर्मा को पटखनी देने जा रहा हूं।
प्रश्न 4- बीजेपी उम्मीदवार के पास मजबूत टीम है और उनका प्रचार अभियान भी जबरदस्त चल रहा है। क्या कहेंगे ?
उत्तर- देखिए साहब बीजेपी के प्रचार की जो तस्वीर सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स पर और समाचार पत्र के जरिये दिखाई जा रही है, वो वास्तविक नहीं है। वास्तविक तस्वीर ये है कि संजीव को उन्हीं की पार्टी के लोग इस बार चुनाव हरा रहे हैं। उन्हीं की पार्टी के लोग ये प्रचार जनता के बीच कर रहे हैं कि वो गाजियाबाद के आखिरी कोने दिल्ली बॉर्डर के बाशिंदे हैं और उन्हें विधायक बना दिया तो उनसे काम कराने के लिए बॉर्डर नापना पड़ेगा।
उन्हीं की पार्टी के लोग और टिकट के कुछ दावेदार भीतरखाने उनकी काट कर रहे हैं। ऐसे लोगों की वजह से एक बड़े वर्ग का जुड़ाव इस बार बहुजन समाज पार्टी के साथ भी हुआ है जो बीजेपी को हराने के साथ मेरी जीत का अंतर इस बार बढ़ाने जा रहा है।
प्रश्न 5- विधायक बने तो आपकी पांच वरीयताएं क्या होंगी ?
उत्तर- दिल में तो बहुत कुछ सोचा है मगर प्रमुख वरीयताओं में
मलीन बस्ती से पॉश इलाके तक ऐक जैसा काम चाहें वो सफाई या विकास का हो। निगम के बढ़े टेक्स के जरिये हो रहा जनता का उत्पीड़न खत्म कराया जाएगा।
लाईन पार क्षेत्र की बेटियों के लिए एक डिग्री कॉलेज बनवाना है।
लाईन पार क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर करने के लिए बड़ा अस्पताल बनवाने के साथ दिल्ली की तर्ज पर मुहल्ला क्लीनिकों का संचालन कराना है।
चाहें पुराना शहर हो या फिर लाईन पार क्षेत्र दोनों इलाकों को जाम की समस्या से मुक्त कराना है।
- सबसे जरूरी और अहम लाईनपार क्षेत्र के लोगों को पानी-बिजली, सफाई जैसी मूलफूत सुविधाएं अनवरत दिलवाना और टूटी सड़कों, नाली-खड़ंजों और गंदगी के अंबार से निजात दिलाना।
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