Ghaziabad election 2024: दलित वोट के 4 दावेदार, किस पर होगी बरसात ?

Ghaziabad Election 2024: गाजियाबाद विधानसभा सीट पर सबसे ज्यादा दलित वोटर हैं। जबकि इसके बाद दूसरा नंबर ब्राह्मण और वैश्य मतदाताओं का है। इसके बाद मुस्लिम मतदाताओं की तादात है जबकि इन सबके बाद ठाकुर, जाट सहित अन्य बिरादरियों के मतदाता हैं। ऐसे में सबसे ज्यादा फोकस पार्टियों और प्रत्याशियों का दलित वोट पर ही है।

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बहुजन समाज पार्टी के साथ-साथ इस बार के उप-चुनाव में 4 उम्मीदवारों की चुनाव जीतने की दावेदारी दलित समाज के वोट पर ही टिकी है। इनमें बसपा के परमानंद गर्ग, आसपा के सतपाल चौधरी, सपा-कांग्रेस समर्थित सिंघराज और ओवेसी की पार्टी से चुनाव लड़ रहे रवि गौतम मुख्य हैं, जो इस वोट बैंक को अपना होने और इन मतदाताओं को अपने पक्ष में रिझाने में जुटे हैं।

Ghaziabad Election 2024 में किसकी कैसे दावेदारी ?

परमानंद गर्ग

परमानंद गर्ग बहुजन समाज पार्टी यानि दलित राजनीति से निकली पार्टी के उम्मीदवार होने के नाते खुद को दलित वोट का सबसे बड़ा दावेदार मान रहे हैं। इसमें संदेह भी नहीं की दलित समाज में एक बहुत बड़ा वर्ग ऐसा रहा है जो ईवीएम और वेलट पेपर पर सिर्फ हाथी का निशान ही ढूंढता है। आब बात चाहें निगम चुनाव की हो, विधानसभा इलेक्शन की या फिर लोकसभा चुनाव की। ये बात अलग है कि चंद्रशेखर रावण की आजाद समजा पार्टी के सक्रिय होने के बाद से आंकड़े ही बताते हैं कि चुनाव दर चुनाव दलित मतदाता इस पार्टी से छिटक कर (आसपा) आजाद समाज पार्टी की ओर जा रहे हैं।

सतपाल चौधरी

सतपाल चौधरी ओबीसी में आने वाले जाट समाज से हैं। लेकिन बहुजन समाज पार्टी में रहने के अलावा बसपा के टिकट पर चुनाव भी लड़ चुके हैं। पिछले काफी समय से वो चंद्रशेखर रावण की पार्टी आजाद समाज से जुड़कर दलितों की ही राजनीति करते आ रहे हैं। इस लिहाज से सतपाल भी आजाद समाज पार्टी के उम्मीदवार होने के नाते अपने को दलित वोट का सबसे बड़ा उत्तराधिकारी मान रहे हैं।

इसी के चलते उप-चुनाव की घोषणा से करीब एक महीने पहले से ही सतपाल दलित मतदाता बाहुल इलाकों में जनसंपर्क और अनग-अलग माध्यमों से प्रचार करते नजर आ रहे हैं। सतपाल चौधरी लाईन पार क्षेत्र के पुराने गांव चिपियाना का होने की वजह से भी इस इलाके के दलित वोटों पर अपना हक मान रहे हैं।

सिंघराज जाटव

सिंघराज जाटव दलित वोट पर अपनी दावेदारी सबसे ज्यादा मानकर चल रहे हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह वे अपना दलित समाज का होना मानकर चल रहे हैं। जबकि दूसरा सबसे बड़ा कारण वे अपना लंबे समय तक बसपा से जुड़ा होना मान रहे हैं। सिंघराज के दलित समाज के वोट पर अपनी मजबूत दावेदारी करने की तीसरी वजह ये मानी जा रही है क्योंकि उन्हें लगता है कि बसपा का पुराना कार्यकर्ता हाथी नहीं बल्कि अपने पुराने साथी को दिमाग में रखकर साईकिल के निशान पर मुहर लगाएगा।

दलित वोटों पर अपनी बड़ी दावेदारी की एक वजह सिंघराज को ये लगती है कि वो उस लाईनपार क्षेत्र के रहने वाले हैं जहां दलित मतदाता इस विधानसभा में सबसे ज्यादा है। सिंघराज अपनी जन्म स्थली और कर्मस्थली लाईनपार होने की वजह से ये दावेदारी कर रहे हैं।

रवि गौतम

रवि गौतम अपने एक दलित उत्थान के लिए चलने वाले संगठन की वजह से कई साल से दलित समाज से जुड़े रहे हैं। इनके अलावा बाबा भीम राव अंबेडकर से जुड़ी कई संस्थाओं और संगठन में भी उनकी मजबूत पकड़ बताई जाती है। रवि गौतम भी दलित समाज से ही आते हैं। लिहाजा वो इन सभी कारणों से दलित वोटों पर अपनी सबसे ज्यादा मजबूत दावेदारी बता रहे हैं। हालाकि रवि गौतम पहले बहुजन समाज पार्टी से प्रत्याशी घोषित किए गए थे। मगर ऐन वक्त पर उनका टिकट काटकर पार्टी हाईकमान ने परमानंद गर्ग को दे दिया जिसके चलते उन्हें ओवेसी की पार्टी AIMIM से चुनाव लड़ना पड़ रहा है।

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