
‘Hindutva‘ ने निकाली ‘हवा’: दलित वोटर्स के लिहाज से सबसे अहम मानी जाने वाली गाजियाबाद विधानसभा की सीट पर हुए हालिया उप-चुनाव के नतीजे ने जहां बीजेपी के आज भी अजेय होने का सबूत दे दिया है, वहीं ये भी एहसास करा दिया है कि सारी दलित समाज की राजनीति करने वाली पार्टियों से ज्यादा दलित मतदाताओं को बीजेपी पर भरोसा है। ये कहना गलत नहीं होगा कि गाजियाबाद की सीट पर रहने वाले दलित समाज के वोटर्स का विश्वास दलित समाज की राजनीति करने वाली पार्टियों पर लगातार कम हो रहा है। ये कहना गलत नहीं होगा कि Hindutva ने दलित राजनीति कर रहीं बसपा-असपा और सपा की हवा निकाल दी है।
दलित बाहुल्य इलाकों में सबसे ज्यादा बीजेपी को वोट
सबसे कम मतदान प्रतिशत रहने के बावजूद इस उप-चुनाव में जब हमने हर वार्ड के एक-एक बूथ पर मिले वोटों की पड़ताल की तो एक चीज निकलकर सामने आई। जो बेहद चौंकाने वाली थी। चौकंने वाली बात ये रही कि दलित बाहुल्य इलाकों में हुए मतदान में सिंघराज जाटव को लड़ाने वाली सपा, मायावती की पार्टी बसपा और चंद्रशेखर रावण की पार्टी असपा के अलावा दलितों की राजनीति करने वाले रवि गौतम के कुल मतों को जोड़ने के बाद भी बीजेपी को जो अकेले वोट मिले वो ज्यादा थे। इसका सीधा सा अर्थ यही निकलता है कि उप-चुनाव में दलित समाज ने बाकी दलित राजनीति करने वाली पार्टियों या प्रत्याशियों से ज्यादा बीजेपी पर भरोसा जताया।
दलित राजनीति पर भारी 'Hindutva'
गाजियाबाद विधानसभा की सीट के बड़े क्षेत्र लाईनपार (विजयनगर-प्रतापविहार) में पहली बार सीएम योगी आए। योगी ने बंटोगे तो कटोगे का ऐसा उद्घोष किया कि हिन्दुत्व की लहर ऐसी उठी कि लाईनपार क्षेत्र जहां सबसे ज्यादा आबादी दलित समाज की है, बीजेपी की लहर चल निकली। उसी का नतीजा रहा कि बीजेपी ये चमत्कार कर गई जिसने दलितों की राजनीति करने वाले सारे संगठनों को मिलाकर जो वोट मिले, उससे ज्यादा मत दलित बाहुल्य इलाकों से बंटोरकर बंपर जीत दर्ज कर दी।
नरेश जाटव के वार्ड में भी पछाड़ा
लाईनपार क्षेत्र में विजयनगर बाईपास के दूसरी तरफ के जिस इलाके से बसपा नेता नरेश जाटव लगातार पार्षद बनते चले आ रहे हैं, यदि वहां की बात करें तो बीजेपी ने हर बूथ पर जितने वोट हासिल किए हैं उतने वोट किसी भी बूथ पर सारी पार्टियों के प्रत्याशियों को मिलाकर भी नहीं मिल सके। जो साफ बताता है कि बीजेपी के सामने न साईकिल का जादू चला, न हाथी या केतली का और ना ही पतंग का।
वीर सिंह जाटव के वार्ड में बंपर जीत
सेक्टर-नौ विजयनगर के जिस इलाके से कांग्रेस के नेता वीर सिंह जाटव पार्षद रहे हैं और सिंघराज भी जिस इलाके के ही मूल निवासी रहे हैं वहां भी वोटों की स्थिति परखी जाए तो बीजेपी को जितने वोट मिले हैं उसके आगे सारे उम्मीदवारों के प्रत्याशियों के वोट मिलकर भी कम रहे हैं। कमोवेश यहां भी हर बूथ पर यही स्थिति देखने को मिली है।
कुलदीप ओके के वार्ड में क्लिन स्वीप
बसपा के पूर्व जिलाध्यक्ष रहे कुलदीप जाटव ओके के वार्ड की बात करें तो वहां भी हालात यही रहे कोई ऐसा बूथ नहीं था जिसपर बीजेपी को बंपर वोट न मिले हों। बल्कि यहां कई बूथ पर तो बसपा को सपा उम्मीदवार से भी कम वोट मिले हैं। जबकि अधिकांश बूथों पर रवि गौतम और आजाद समाज पार्टी को एक भी वोट नहीं मिला। इस वार्ड में ये हालत तब रही है जबकि ये दलित बाहुल्य इलाका है।
सिंघराज के वार्ड में भी जबरदस्त बढ़त
प्रताप विहार के जिस इलाके में वर्तमान में सिंघराज रह रहे हैं और जहां से पूर्व पार्षद भी रहे हैं। वहां भी बीजेपी का ही जादू देखने को मिला है। कई बूथों पर तो आलम ये रहा है कि सिंघराज वोटों के लिहाज से तीसरे नंबर पर पहुंच गए। यही नहीं चरण सिंह कालोनी जैसे इलाके में भी बीजेपी का वोट प्रतिशत सबसे बेहतर रहा है। जबकि वहां दलित और मुस्लिम मतदाताओं की संख्या ज्यादा है।
विकास खारी के वार्ड में बीजेपी की बंपर जीत
विजयनगर के जिस इलाके पर लगातार कई बार निगम पार्षद के चुनाव में कांग्रेस का कब्जा रहा है वहां भी इस बार बीजेपी की बंपर जीत हुई है। खासकर सेक्टर नौ-सी, डी और ई ब्लाक के अलावा मवई में तो केवल और केवल कमल का फूल ही खिला है। यहां निगम चुनाव, लोकसभा चुनाव और 2022 के विधानसभा चुनावों से ज्यादा इस बार बीजेपी को वोट मिले हैं। जो साफ बताता है कि तमाम राजनैतिक दल बीजेपी से दूर-दूर तक मुकाबले की रेस में दौड़ने से पहले ही हांफ गए।
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