बीजेपी में अध्यक्षी पर घमासान, ऐसा क्या है खास ?

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बीजेपी में अध्यक्षी पर घमासान: इसमें शक नहीं कि बीजेपी दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बन गई है। इसमें भी कोई शुबा नहीं कि केंद्र और प्रदेश की सत्ता पर काबिज बीजेपी का निकट भविष्य में भी कोई ऐसा बड़ा प्रतिद्वंदी नजर नहीं आ रहा जो इस पार्टी को नंबर वन बने रहने से रोक पाए। बावजूद इसके ये बात समझ से परे है कि क्यों इस पार्टी के क्षेत्रीय स्तर के नेताओं को भी केवल एक शहर की अध्यक्षी इस कदर सुहा रही है कि क्षेत्रीय स्तर के नेता भी अध्यक्षी के लिए ताल ठोक रहे हैं।

इतना ही नहीं दो-दो बार विधायकी लड़ने और पार्टी छोड़कर अपने ही जिले के वर्तमान सांसद को बसपा के टिकट से मैंदान में विफल चुनौती देने वाले केके शुक्ला जैसे नेता भी अध्यक्षी के लिए अपना दावा पेश कर रहे हैं। ये सवाल ऐसा है जिसका जवाब तमाम बीजेपी वाले जानते तो हैं, मगर संस्कारी पार्टी होने का दंभ भरते हुए कुछ भी खुलकर कहने को तैयार नही हैं। अध्यक्ष पद के लिए दो-चार या दस पांच नहीं बल्कि 63 लोगों की दावेदारी ये सवाल उठा रही है कि आखिर ऐसा क्या है महानगर अध्यक्ष पद में ?

ये बड़े नेता, जिन्होंने ठोकी ताल

  • मान सिंह गोस्वामी, क्षेत्रीय उपाध्यक्ष, पूर्व जिलाध्यक्ष
  • मयंक गोयल, क्षेत्रीय मंत्री
  • के.के.शुक्ला, पूर्व क्षेत्रीय पदाधिकारी
  • पवन गोयल, प्रदेश स्तर के नेता पूर्व क्षेत्रीय उपाध्यक्ष-कोषाध्यक्ष
  • अजय शर्मा, प्रदेश स्तर के नेता, पूर्व क्षेत्रीय पदाधिकारी, पूर्व महानगर अध्यक्ष

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ब्राह्मण दावेदारों की काट कर रहे ब्राह्मण

पार्टी सूत्रों की मानें तो इस वक्त बीजेपी के दो बड़े ब्राह्मण चेहरे ही पार्टी में महानगर अध्यक्ष पद की दौड़ में ब्राह्मण दावेदारों की काट कर रहे हैं। इनमें पहला नाम योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री और साहिबाबाद विधायक सुनील शर्मा का है, तो दूसरा नाम बीजेपी के वर्तमान महानगर अध्यक्ष और गाजियाबाद विधायक संजीव शर्मा का। सूत्रों का दावा है कि बीजेपी के दोनों बड़े ब्राह्मण चेहरे ही ब्राह्मण दावेदारों की काट कर गैर ब्राह्मण दावेदारों को प्रमोट कर रहे हैं।

सुनील शर्मा गुट

सुनील शर्मा के गुट की तरफ से खुलकर पवन गोयल और मयंक गोयल को महानगर अध्यक्ष पद के लिए सपोर्ट किया जा रहा है। जबकि सूत्रों का दावा है कि भीतरखाने प्रेम त्यागी को महानगर अध्यक्ष के रूप में ताजपोशी कराने की तैयारी हो रही है। यही वजह है कि वीरवार को नॉमिनेशन के दौरान मुरादनगर विधायक अजीत पाल त्यागी भी सुनील शर्मा गुट के साथ ही सुर में सुर लगाते नजर आए।

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संजीव शर्मा गुट

संजीव शर्मा गुट में सांसद अतुल गर्ग मुख्य रूप से हैं। इस गुट की तरफ से दो दावेदारों गोपाल अग्रवाल और पप्पू पहलवान की ताजपोशी के प्रयास किए जा रहे हैं। हालाकि ये गुट दलित महानगर अध्यक्ष बनाए जाने की सूरत में सुशील गौतम पर भी दांव लगाने को तैयार है।

केके शुक्ला की दावेदारी समझ से परे

हालाकि प्रदेश और क्षेत्रीय स्तर के नेता रहने वाले तमाम लोगों की महानगर अध्यक्ष पद के लिए दावेदारी ने सबको चौंका दिया है। मगर सबसे ज्यादा हैरत की बात ये है कि दो बार गोंडा से बीजेपी के चुनाव चिन्ह पर टिकट लड़ने वाले केके शुक्ला प्रदेश औऱ क्षेत्रीय स्तर के नेता रहने के बावजूद भी आखिर कैसे महानगर अध्यक्ष पद के लिए दावेदारी कर रहे हैं।

ये हाल तब जबकि वो बीते दिनों पार्टी के फैसले की मुखालफत करते हुए बीजेपी प्रत्याशी रहे अतुल गर्ग के सामने ही बसपा के टिकट पर चुनाव लड़कर बीजेपी को ही चुनौती दे चुके हैं। दो-दो बार गोंडा से चुनाव लड़ने के बावजूद खुद पार्टी नेता ही ये सवाल कर रहे हैं कि केके शुक्ला गोंडा के बीजेपी नेता हैं या फिर गाजियाबाद के ?

महापौर-दिनेश गोयल सुनील गुट के साथ

हालाकि अभी तक खुलकर कोई भी किसी की वकालत नहीं कर रहा। लेकिन चर्चा है कि महापौर सुनीता दयाल और दिनेश गोयल भी सुनील शर्मा गुट में विधायक अजीत पाल त्यागी की तरह की सहयोगी की भूमिका में हैं। वो भी अध्यक्ष पद के लिए मयंक या पवन गोयल में से किसी एक को चुने जाने का समर्थन कर रहे हैं। लेकिन नतीजा किसके पक्ष में आएगा औऱ किसके खिलाफ ये पार्टी आलाकमान के फैसले पर निर्भर करता है।

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