
Survey By Buland Ghaziabad: एक टीवी चैनल की तरह चाहते तो हम भी झटपट बीजेपी को उसके प्रचार, उसके नेटवर्क और अन्य संसाधनों के बूते जीत दिला देते। मगर, हम खोजबीन करते हैं सत्यता की। आंकलन करते हैं सटीक जानकारियों का । समीक्षा करते हैं हर मिलने वाली हवाई और आधारहीन बातों की। उसके बाद ही तथ्यात्मक जानकारी बिना लाग-लपेट और सटीक तरीके से आप तक पहुंचाते हैं।
हमने टिकट फाइनल होने से पहले अपनी इसी गुणवत्ता के आधार पर सबसे पहले संजीव का टिकट फाईनल होने की जानकारी भी दी थी। हमने ही मतदान से पहले Survey के जरिये आपको बताया था कि 85 फीसदी जनता बीजेपी की सरकार में सरकारी मशीनरी और जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा से त्रस्त होकर विकल्प ढूंढ रही है। हमने ही कहा था कि दलित और मुस्लिम समाज के चार दावेदार हैं। और हुआ भी यही। मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण हुआ।
दो दो राष्ट्रीय पार्टियों की सपोर्ट से चुनाव लड़ने वाले सिंघराज अपने कमजोर मैनेजमेंट की वजह से चुनाव को अपनी तरफ मोड नहीं पाए और नतीजा ये रहा कि दलित वोट भी बंटा और मुस्लिम भी। कम मतदान होने का फायदा भी सपा-कांग्रेस के प्रत्याशी नहीं उठा पाए। नतीजा कम मतदान प्रतिशत के बावजूद बीजेपी के पक्ष में है और बीजेपी उम्मीदवार संजीव शर्मा के सिर पर विधायकी का ताज सजने जा रहा है।
हालाकि इसका औपचारिक ऐलान 23 नवंबर को होना है। मगर एक लाख से ज्यादा वोट से जीतने का दावा करने वाले संजीव को कुछ हजार की वोटों के अंतर से ही जीत का स्वाद चखना पड़ रहा है। लेकिन कहते हैं कि जीत तो जीत है, भले ही एक वोट की ही क्यों न हो।
Survey के हिसाब से दूसरे नंबर पर कौन ?
पहले ही दिन से ये कयास लग रहा था कि चुनाव में दूसरे नंबर पर कौन रहेगा ? पार्षदी का चुनाव हारने वाले सिंघराज सपा के सिंबल और कांग्रेस की वोट के बूते अपनी जीत का दावा पहले ही दिन से कर रहे थे, वहीं बसपा के टिकट पर उम्मीदवार बने परमानंद गर्ग को ये गुमान था कि वो हाथी के बूते सारा दलित वोट और अपनी बिरादरी के नाम पर अधिकांश वैश्य वोट ले जाएंगे। जबकि मुस्लिमम वोट उन्हें खुद-ब-खुद इस वजह से मिल जाएगा, क्योंकि वो बीजेपी को टक्कर देने वाले सबसे मजबूत प्रत्याशी हैं।
बसपा से टिकट कटने पर नाराज रवि गौतम को मुस्लिम समाज का अधिकांश वोट इस आधार पर मिलने की उम्मीद थी क्योंकि वो पेगंबर साहब को अपशब्द कहने के मामले में विरोध प्रदर्शन करने की वजह से जेल जाकर पूरे मुस्लिम समाज के हीरो बन गए हैं। और ओवेसी की पार्टी के प्रत्याशी बनने के बाद सारा मुस्लिम वोट उनकी तरफ हो गया है। जबकि दलित समाज के लिए दशकों की मेहनत के बूते अधिकांश दलित वोट भी उन्हीं को मिलने जा रहा है।
उधर, दलित समाज में बहुत तेजी से उभर रही पार्टी चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी के प्रत्याशी सत्यपाल चौधरी को भी अपनी सबसे पहले चुनाव की तैयारियों और अपने पुराने अनुभवों की वजह से विश्वास था कि दलित और मुस्लिम समाज के साथ-साथ जाट और अन्य समाज के लोग भी उन्हीं को वोट करेंगे। इन्हीं आधारों पर सब अपने को मजबूत प्रत्याशी मानकर चल रहे थे औऱ जीत के दावें भी कर रहे थे। मगर मतदाताओं ने किया इसका उलट।
वो दलित और मुस्लिम वोटों के ध्रुवीकरण के साथ-साथ चुनाव में चली शराब-पैसे, सूट-साड़ी और कुर्ते-पायजामें शर्ट और मिठाई की वजह से। इन सबके चलते सारे समीकरण बदले और नतीजा बीजेपी के पक्ष में रहा। बीजेपी फिर से जनता ने सरताज बना दी है। तो दो-दो राष्ट्रीय पार्टियों और दलित समाज के बूते भी चुनाव जीतने में सिंघराज नाकाम साबित हुए हैं। ये हाल तब है जबकि उनके खिलाफ मतदाताओं को लुभाने के लिए सूट बांटने की एफआईआर तक दर्ज हो गई है। बहरहाल, हमारे सर्वे में सिंघराज का नंबर दूसरा है।
सतपाल, गर्ग, रवि तीसरे नंबर की रेस में
गली-गली और मुहल्ले-मुहल्ले हमने नॉन पॉलिटिकल लोगों से बात की है। उसके आधार पर हमारा आंकलन बता रहा है कि आजाद समाज पार्टी के प्रत्याशी सतपाल चौधरी, बसपा के परमानंद गर्ग औऱ ओवैसी की पार्टी के रवि गौतम तीसरे नंबर की रेस में हैं।
अगली खबर में पढ़ें क्षेत्र के हिसाब से सारा गुणा-भाग
हम अपनी अगली खबरे के जरिये आपको मतगणना से पहले ही क्षेत्र के हिसाब से सारी जानकारी देंगे। वो जानकारियां कितनी सटीक होंगी ये आप 23 नवंबर को आने वाले नतीजों के बाद खुद ही तय कीजिएगा।
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